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दिल्ली की अदालत ने दंगों के मामले में आगजनी के आठ आरोपियों को बरी किया

दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में आगजनी करने के आरोप से आठ लोगों को बरी करते हुए कहा कि कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है और किसी शिकायत में उन पर अपराध को अंजाम देने का आरोप नहीं है.

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Published : Sep 11, 2021, 7:59 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की अदालत ने दिल्ली दंगों में आगजनी करने के आठ आरोपियों को बरी कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत सामग्री से आरोपपत्र में शामिल की गई भारतीय दंड संहिता की धारा 436 (आग या विस्फोटक तत्वों से उपद्रव फैलाना) के संबंध में कोई बात निकलकर नहीं आती.

अदालत ने कहा कि अनेक दुकानदारों की ओर से दर्ज 12 शिकायतों के आधार पर आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. दुकानदारों का आरोप था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगाई भीड़ ने कथित तौर पर उनकी दुकानों में लूटपाट और तोड़फोड़ की थी.

आरोपियों को उनके खिलाफ दर्ज अन्य मामलों में दिए गए बयानों के आधार पर तथा इलाके में बीट अधिकारी के रूप में तैनात पुलिस कांस्टेबलों की पहचान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.

यह भी पढ़ें-बलात्कार के बाद महिलाओं की वीभत्स हत्या, इन मामलों ने किया देश को शर्मसार

आठ आरोपियों को आरोप मुक्त करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आईपीसी की धारा 436 को महज पुलिस कांस्टेबलों के बयान के आधार पर नहीं लगाया जा सकता क्योंकि इस संबंध में 12 शिकायतकर्ताओं ने अपनी लिखित शिकायतों में कुछ नहीं कहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली की अदालत ने दिल्ली दंगों में आगजनी करने के आठ आरोपियों को बरी कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा प्रस्तुत सामग्री से आरोपपत्र में शामिल की गई भारतीय दंड संहिता की धारा 436 (आग या विस्फोटक तत्वों से उपद्रव फैलाना) के संबंध में कोई बात निकलकर नहीं आती.

अदालत ने कहा कि अनेक दुकानदारों की ओर से दर्ज 12 शिकायतों के आधार पर आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. दुकानदारों का आरोप था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दंगाई भीड़ ने कथित तौर पर उनकी दुकानों में लूटपाट और तोड़फोड़ की थी.

आरोपियों को उनके खिलाफ दर्ज अन्य मामलों में दिए गए बयानों के आधार पर तथा इलाके में बीट अधिकारी के रूप में तैनात पुलिस कांस्टेबलों की पहचान के आधार पर गिरफ्तार किया गया था.

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आठ आरोपियों को आरोप मुक्त करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आईपीसी की धारा 436 को महज पुलिस कांस्टेबलों के बयान के आधार पर नहीं लगाया जा सकता क्योंकि इस संबंध में 12 शिकायतकर्ताओं ने अपनी लिखित शिकायतों में कुछ नहीं कहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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