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वैलेंटाइन स्पेशल : विदेशी मेम का अमर प्रेम, पति के बगल में दफन होने के लिए किया 38 साल का इंतजार

देवभूमि हिमाचल प्रदेश के 400 साल पुराने ऐतिहासिक शहर नाहन के इतिहास के पन्नों में यह अद्भुत व अमर प्रेम कहानी दर्ज है, जोकि आज भी शहर वासियों के लिए मोहब्बत व पति पत्नी के अमर प्रेम को दर्शाती एक अनूठी लव स्टोरी है. वैलेंटाइन डे पर हम अपने पाठकों के लिए इस अमर प्रेम कहानी को लेकर आए हैं. ये कहानी है लूसिया और उनके पति डॉ. इडविन पियरसाल की.

वैलेंटाइन स्पेशल
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Published : Feb 13, 2021, 9:34 PM IST

नाहन : एक और जहां वर्तमान में परिवार बिखर रहे हैं. पति-पत्नी के रिश्ते भी दांव पर लगे हैं और मोहब्बत व अपनापन खोखला होता दिखाई दे रहा है. वहीं पहाड़ों में अंग्रेज दंपती की एक ऐसी अमर व अद्भुत प्रेम कहानी भी है जो अपने आप में एक शानदार मिसाल है. 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे पर ईटीवी भारत आज अपने पाठकों को इसी अद्भुत प्रेम कहानी से रूबरू करवाने जा रहा है.

स्पेशल रिपोर्ट

दरअसल देवभूमि हिमाचल प्रदेश के 400 साल पुराने ऐतिहासिक शहर नाहन के इतिहास के पन्नों में यह अद्भुत व अमर प्रेम कहानी दर्ज है, जोकि आज भी शहर वासियों के लिए मोहब्बत व पति पत्नी के अमर प्रेम को दर्शाती एक अनूठी लव स्टोरी है.

38 साल किया मौत का इंतजार
बात सिरमौर रियासत काल की है. यहां रियासतकाल में एक अंग्रेज अफसर की पत्नी ने अपने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. जिक्र लेडी लूसिया पियरसाल का हो रहा है. रियासतकाल में लूसिया अपने पति डॉ. इडविन पियरसाल के साथ नाहन में रहती थी.

50 साल की उम्र में हुआ था पति का इंतकाल

लूसिया के पति डॉ इडविन पियरसाल महाराज के चीफ मेडिकल ऑफिसर थे. डॉ पियरसाल ने महाराज के यहां करीब 11 साल अपनी सेवाएं दीं और 19 नवंबर 1883 में डॉ. इडविन का 50 साल की उम्र में इंतकाल हो गया. महाराज ने डॉ. पियरसाल को मिलिट्री ऑनर के साथ ऐतिहासिक विला राउंड के उत्तरी हिस्से में दफन करवाया. यह जगह पियरसाल ने खुद चुनी थी और कहा था कि उनके देहांत के बाद उन्हें यहां दफनाया जाए. उस वक्त अंग्रेज अफसर की पत्नी लूसिया 49 साल की थी. डॉ पियरसाल की तरह लूसिया भी रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला के तौर पर विख्यात थी. पति की मौत के बाद लूसिया वापस इंग्लैंड नहीं गई. अपने परिवार के सदस्यों को भी छोड़ दिया.

38 साल बाद खत्म हुआ इंतजार
लूसिया अपने पति डॉ. पियरसाल से बेपनाह मोहब्बत करती थीं. ऐसे में लूसिया ने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. 19 अक्टूबर 1921 को वह घड़ी आई, जब लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और अपने पति को याद करते हुए उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराज ने सम्मान सहित लूसिया को भी उनके पति डॉ पियरसाल की कब्र की बगल में दफन किया. आज भी ऐतिहासिक विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह में पियरसाल दंपती के अमर प्रेम की कहानी को बयां करती वास्तु कला से परिपूर्ण कब्रें आने-जाने वालों को आकर्षित करती हैं.

क्या कहते हैं शाही परिवार के सदस्य?
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शाही परिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह भी इस अंग्रेज दंपती की प्रेम कहानी को अद्भुत प्रेम कहानी करार देते हैं. उन्होंने कहा कि लूसिया ने अपने अंग्रेज पति की मौत के बाद बगल में दफन होने को 38 साल लंबा इंतजार किया. अंतिम इच्छा के अनुसार महाराज ने लूसिया को उनके पति की कब्र के बगल में दफन करवाया. उन्होंने कहा कि इस दंपती की कब्रें आज भी इस प्रेम कहानी को बयां करती हैं और लोगों के लिए आकर्षण भी बनती है.

आर्किटेक्ट भी थे पियरासल
कंवर अजय बहादुर सिंह बताते हैं कि डॉ. पियरसाल रियासतकाल में चीफ मेडिकल ऑफिसर थे. इसके साथ-साथ नगर परिषद नाहन के अध्यक्ष भी थे. नाहन में अंडरग्राउंड ड्रेनेज का आईडिया भी डॉ. पियरसाल ने ही राजा को दिया था. सबसे बड़ी बात यह है कि नाहन शहर की कोई भी गली ब्लाइंड यानी की अंधी गली नहीं है. सारी गलियों में दो छोर हैं, जोकि कहीं ना कहीं जाकर मिलते हैं और कहीं न कहीं आपस में कनेक्ट करती हैं. इन गलियों को भी पियरसाल ने डिजाइन करवाया था.

स्थानीय निवासी जितेंद्र ठाकुर कहते हैं कि निसंदेह अंग्रेज दंपती की यह अद्भुत प्रेम कहानी है, जिससे आज सभी को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. साथ ही नगर परिषद को भी इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है.

कुल मिलाकर वर्तमान में जहां वैलेंटाइन डे के मौके पर महज एक दिन लोग लाल गुलाब व महंगे तोहफे देकर अपने प्यार को बयां करते हैं, वही पहाड़ों में दफन अंग्रेज दंपती की यह कहानी यही संदेश देती है कि रिश्तों में मोहब्बत व अपनापन होना जरूरी है और हर दिन प्यार का दिन है और प्यार ऐसा हो, जिसकी चर्चाएं जिंदगी के बाद भी हर जुबान पर हों.

नाहन : एक और जहां वर्तमान में परिवार बिखर रहे हैं. पति-पत्नी के रिश्ते भी दांव पर लगे हैं और मोहब्बत व अपनापन खोखला होता दिखाई दे रहा है. वहीं पहाड़ों में अंग्रेज दंपती की एक ऐसी अमर व अद्भुत प्रेम कहानी भी है जो अपने आप में एक शानदार मिसाल है. 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे पर ईटीवी भारत आज अपने पाठकों को इसी अद्भुत प्रेम कहानी से रूबरू करवाने जा रहा है.

स्पेशल रिपोर्ट

दरअसल देवभूमि हिमाचल प्रदेश के 400 साल पुराने ऐतिहासिक शहर नाहन के इतिहास के पन्नों में यह अद्भुत व अमर प्रेम कहानी दर्ज है, जोकि आज भी शहर वासियों के लिए मोहब्बत व पति पत्नी के अमर प्रेम को दर्शाती एक अनूठी लव स्टोरी है.

38 साल किया मौत का इंतजार
बात सिरमौर रियासत काल की है. यहां रियासतकाल में एक अंग्रेज अफसर की पत्नी ने अपने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. जिक्र लेडी लूसिया पियरसाल का हो रहा है. रियासतकाल में लूसिया अपने पति डॉ. इडविन पियरसाल के साथ नाहन में रहती थी.

50 साल की उम्र में हुआ था पति का इंतकाल

लूसिया के पति डॉ इडविन पियरसाल महाराज के चीफ मेडिकल ऑफिसर थे. डॉ पियरसाल ने महाराज के यहां करीब 11 साल अपनी सेवाएं दीं और 19 नवंबर 1883 में डॉ. इडविन का 50 साल की उम्र में इंतकाल हो गया. महाराज ने डॉ. पियरसाल को मिलिट्री ऑनर के साथ ऐतिहासिक विला राउंड के उत्तरी हिस्से में दफन करवाया. यह जगह पियरसाल ने खुद चुनी थी और कहा था कि उनके देहांत के बाद उन्हें यहां दफनाया जाए. उस वक्त अंग्रेज अफसर की पत्नी लूसिया 49 साल की थी. डॉ पियरसाल की तरह लूसिया भी रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला के तौर पर विख्यात थी. पति की मौत के बाद लूसिया वापस इंग्लैंड नहीं गई. अपने परिवार के सदस्यों को भी छोड़ दिया.

38 साल बाद खत्म हुआ इंतजार
लूसिया अपने पति डॉ. पियरसाल से बेपनाह मोहब्बत करती थीं. ऐसे में लूसिया ने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लंबा इंतजार किया. 19 अक्टूबर 1921 को वह घड़ी आई, जब लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और अपने पति को याद करते हुए उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराज ने सम्मान सहित लूसिया को भी उनके पति डॉ पियरसाल की कब्र की बगल में दफन किया. आज भी ऐतिहासिक विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह में पियरसाल दंपती के अमर प्रेम की कहानी को बयां करती वास्तु कला से परिपूर्ण कब्रें आने-जाने वालों को आकर्षित करती हैं.

क्या कहते हैं शाही परिवार के सदस्य?
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शाही परिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह भी इस अंग्रेज दंपती की प्रेम कहानी को अद्भुत प्रेम कहानी करार देते हैं. उन्होंने कहा कि लूसिया ने अपने अंग्रेज पति की मौत के बाद बगल में दफन होने को 38 साल लंबा इंतजार किया. अंतिम इच्छा के अनुसार महाराज ने लूसिया को उनके पति की कब्र के बगल में दफन करवाया. उन्होंने कहा कि इस दंपती की कब्रें आज भी इस प्रेम कहानी को बयां करती हैं और लोगों के लिए आकर्षण भी बनती है.

आर्किटेक्ट भी थे पियरासल
कंवर अजय बहादुर सिंह बताते हैं कि डॉ. पियरसाल रियासतकाल में चीफ मेडिकल ऑफिसर थे. इसके साथ-साथ नगर परिषद नाहन के अध्यक्ष भी थे. नाहन में अंडरग्राउंड ड्रेनेज का आईडिया भी डॉ. पियरसाल ने ही राजा को दिया था. सबसे बड़ी बात यह है कि नाहन शहर की कोई भी गली ब्लाइंड यानी की अंधी गली नहीं है. सारी गलियों में दो छोर हैं, जोकि कहीं ना कहीं जाकर मिलते हैं और कहीं न कहीं आपस में कनेक्ट करती हैं. इन गलियों को भी पियरसाल ने डिजाइन करवाया था.

स्थानीय निवासी जितेंद्र ठाकुर कहते हैं कि निसंदेह अंग्रेज दंपती की यह अद्भुत प्रेम कहानी है, जिससे आज सभी को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है. साथ ही नगर परिषद को भी इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है.

कुल मिलाकर वर्तमान में जहां वैलेंटाइन डे के मौके पर महज एक दिन लोग लाल गुलाब व महंगे तोहफे देकर अपने प्यार को बयां करते हैं, वही पहाड़ों में दफन अंग्रेज दंपती की यह कहानी यही संदेश देती है कि रिश्तों में मोहब्बत व अपनापन होना जरूरी है और हर दिन प्यार का दिन है और प्यार ऐसा हो, जिसकी चर्चाएं जिंदगी के बाद भी हर जुबान पर हों.

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