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Dharmendra Pradhan in Lok Sabha: लोस में प्रधान बोले- इतिहास का पुनर्लेखन नहीं कर रहे, इसे व्यापक बना रहे - Congress member Manish Tiwari

सप्ताह के पहले दिन राज्यसभा और लोकसभा में अडाणी मामले को लेकर हंगामा जारी रहा. हंगामा बढ़ता देख सभापति ने राज्यसभा की कार्रवाई स्थगित कर दी, तो वहीं लोकसभा की कार्रवाई जारी रही.

Dharmendra Pradhan
धर्मेंद्र प्रधान
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Published : Feb 13, 2023, 1:02 PM IST

Updated : Feb 13, 2023, 1:07 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि इतिहास के पुनर्लेखन की सरकार की कोई योजना नहीं है, लेकिन इतिहास को व्यापक बनाया जा रहा है. उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी के पूरक प्रश्न के उत्तर में यह टिप्पणी की.

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा गया है कि इतिहास का पुनर्लेखन करने का कोई उद्देश्य नहीं है. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कई सारे ऐसे लोग थे जो इतिहास में छूट गए थे, उन्हें इसमें शामिल किया जाना चाहिए.

उनका कहना था कि 'देश 1100-1200 साल तक अलग-अलग कालखंड में पराधीनता से गुजरा है. इस दौरान अनेक साम्राज्य रहे, जिन्होंने देश की संस्कृति और सभ्यता को उजागर करने का काम किया. उन्होंने कहा, 'हम कोई पुनर्लेखन नहीं कर रहे हैं, इतिहास को व्यापक कर रहे हैं. आईसीएचआर (भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद) यही काम कर रहा है. भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में प्रधान ने कहा कि भारत सरकार का यह स्पष्ट मानना है कि सभी भाषाओं और पूजा पद्धति का सम्मान ही यहां की संस्कृति है.

ये भी पढ़ें- Adani issue hearing today: अडाणी हिंडनबर्ग विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

हंगामेदार रही संसद की शुरुआत: सोमवार को संसद के बजट सत्र की शरुआत हंगामेदार रही. विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में अडाणी मामले को लेकर जोरदार हंगामा किया. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि चूंकि आज संसद में (बजट सत्र के पहले भाग का) आखिरी दिन है, इसलिए हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि अडाणी मुद्दे को कैसे सुलझा सकते हैं ?

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि इतिहास के पुनर्लेखन की सरकार की कोई योजना नहीं है, लेकिन इतिहास को व्यापक बनाया जा रहा है. उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी के पूरक प्रश्न के उत्तर में यह टिप्पणी की.

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा गया है कि इतिहास का पुनर्लेखन करने का कोई उद्देश्य नहीं है. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कई सारे ऐसे लोग थे जो इतिहास में छूट गए थे, उन्हें इसमें शामिल किया जाना चाहिए.

उनका कहना था कि 'देश 1100-1200 साल तक अलग-अलग कालखंड में पराधीनता से गुजरा है. इस दौरान अनेक साम्राज्य रहे, जिन्होंने देश की संस्कृति और सभ्यता को उजागर करने का काम किया. उन्होंने कहा, 'हम कोई पुनर्लेखन नहीं कर रहे हैं, इतिहास को व्यापक कर रहे हैं. आईसीएचआर (भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद) यही काम कर रहा है. भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में प्रधान ने कहा कि भारत सरकार का यह स्पष्ट मानना है कि सभी भाषाओं और पूजा पद्धति का सम्मान ही यहां की संस्कृति है.

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Last Updated : Feb 13, 2023, 1:07 PM IST
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