नई दिल्ली : एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में एक याचिका दायर की है. एडिटर्स गिल्ट ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट से पेगासस फोन हैकिंग की एसआईटी से जांच कराने के निर्देश देने की मांग की है.
EGI ने अपनी याचिका में कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा पत्रकारों की रिपोर्टिंग में गैर-हस्तक्षेप पर निर्भर करती है, जिसमें स्रोतों के साथ सुरक्षित और गोपनीय रूप से बोलने, सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की जांच करने, सरकारी अक्षमता को उजागर करने और विरोध करने वालों के साथ बोलने की उनकी क्षमता शामिल है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild Of India) की याचिका में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, हैकिंग और स्पाइवेयर के उपयोग, और निगरानी के लिए मौजूदा कानूनी व्यवस्था की वैधता को भी चुनौती दी गई है. याचिका में यह भी मांग की गई है कि निगरानी के लिए स्पाइवेयर लगाने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ किए गए अनुबंधों और उन लोगों के खिलाफ केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया जाए जिनके खिलाफ इस तरह के पेगासस स्पाइवेयर (pegasus case ) का इस्तेमाल किया गया था.
याचिका में कहा गया है कि भारत के नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि क्या कार्यकारी सरकार संविधान के तहत अपने अधिकार की सीमाओं का उल्लंघन कर रही है और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.
जनता और भारत के सभी नागरिकों की ओर से अधिवक्ता रूपाली सैमुअल, राघव तन्खा और लजफीर अहमद बीएफ (AOR) के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से जवाबदेही लेने और संवैधानिक सीमाओं को लागू करने के सभी प्रयास किए गए हैं. अपने हठधर्मिता के माध्यम से, प्रतिवादियों ने जानबूझकर इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस से परहेज किया है और अस्पष्ट उत्तर प्रदान किए हैं, जिससे याचिकाकर्ता को ट्रस्टी के रूप में अपने दायित्वों के प्रदर्शन में जनता के जानने के अधिकार को लागू करने के लिए इस माननीय न्यायालय से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ पांच अगस्त को विवाद की न्यायिक जांच की मांग पर विचार करेगी. पेगासस स्नूप सूची में शामिल होने वाले पांच पत्रकारों ने भी इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्र रिट याचिका दायर की है. राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और एडवोकेट एमएल शर्मा ने भी इसी तरह की मांगों के साथ जनहित याचिका दायर की है.
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बता दें कि पेगासस विवाद 18 जुलाई को द वायर और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों द्वारा मोबाइल नंबरों के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद शुरू हुआ, जो भारत सहित विभिन्न सरकारों को एनएसओ कंपनी द्वारा दी गई स्पाइवेयर सेवा के संभावित लक्ष्य थे.
द वायर के अनुसार 40 भारतीय पत्रकार, राजनीतिक नेता जैसे राहुल गांधी, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर, चुनाव आयोग के पूर्व सदस्य अशोक लवासा आदि को लक्ष्य की सूची में शामिल किया गया है. एक महत्वपूर्ण कदम में, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की.