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आम लोगों की जान से खिलवाड़, खाने के तेल में धड़ल्ले से हो रही मिलावट

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में खाद्य तेल की कालाबाजारी जमकर हो रही है. इसमें यह भी सामने आया है कि तेलों या सामग्रियों में मिलावट (adulteration) भी धड़ल्ले से हो रही है. जानिए खाने के तेल में मिलावट के कारण आम लोगों की जान से कैसे हो रहा खिलवाड़.

edible oil
खाद्य तेल कॉन्सेप्ट फोटो
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Published : Dec 29, 2021, 7:54 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा खाद्य तेल पर किए गए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में पाया गया है कि तेल की कालाबाजारी में शामिल लोग उपभोक्ताओं की जान से खेल रहे हैं. सर्वे के नतीजों में कहा गया है कि खाने के तेलों में दूसरी सामग्रियां मिलाई जा रही हैं और धड़ल्ले से हो रही मिलावट के कारण उपभोक्ताओं की सुरक्षा के साथ समझौता हो रहा है.

बुधवार को जारी एफएसएसएआई सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है कि 4461 नमूनों में से 2.42 प्रतिशत (108) नमूने सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे. इन तेलों में एफ्लाटॉक्सिन, कीटनाशक अवशेष और भारी धातु पाए गए. तेलों में पाया गया मिलावटी सामान का स्तर खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम (FSSR) द्वारा निर्धारित स्तर से अधिक है.

गुणवत्ता श्रेणी में, तेल के नमूने में हाइड्रोसायनिक एसिड (hydrocyanic acid) की मौजूदगी के संदर्भ में 24.2 प्रतिशत (1080) सैंपल मानकों के अनुरूप नहीं रहे. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए तेल के नमूनों में रीफ्रैक्टिव इंडेक्स, बीआर रीडिंग, फैटी एसिड प्रोफाइल, आयोडिन वैल्यू (Refractive Index, BR reading, Fatty Acid Profile, iodine value) आदि भी निर्धारित सीमा में नहीं पाए गए.

FSSAI के निष्कर्षों में कहा गया है, गुणवत्ता मानकों का अनुपालन न होना, संभावित मिलावट का संकेत है. ऐसा होने की स्थिति में तेल को किसी सामग्री के साथ मिलाने या दूसरी सामग्री का तेल में मिलावट की आशंका प्रबल होती है.

यह भी पढ़ें- पशुओं की चर्बी से तैयार हो रहा था खाद्य तेल, आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज

गुणवत्ता के पैमाने पर ऑयल सैंपल के परीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि तेल की शेल्फ लाइफ मानकों की अनदेखी हो रही है. इसके साथ ही एडिटिव्स के निर्धारित मानकों का (prescribed standards of additives) अनुपालन नहीं किया जा रहा है.

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा खाद्य तेल पर किए गए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में पाया गया है कि तेल की कालाबाजारी में शामिल लोग उपभोक्ताओं की जान से खेल रहे हैं. सर्वे के नतीजों में कहा गया है कि खाने के तेलों में दूसरी सामग्रियां मिलाई जा रही हैं और धड़ल्ले से हो रही मिलावट के कारण उपभोक्ताओं की सुरक्षा के साथ समझौता हो रहा है.

बुधवार को जारी एफएसएसएआई सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है कि 4461 नमूनों में से 2.42 प्रतिशत (108) नमूने सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरे. इन तेलों में एफ्लाटॉक्सिन, कीटनाशक अवशेष और भारी धातु पाए गए. तेलों में पाया गया मिलावटी सामान का स्तर खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम (FSSR) द्वारा निर्धारित स्तर से अधिक है.

गुणवत्ता श्रेणी में, तेल के नमूने में हाइड्रोसायनिक एसिड (hydrocyanic acid) की मौजूदगी के संदर्भ में 24.2 प्रतिशत (1080) सैंपल मानकों के अनुरूप नहीं रहे. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए तेल के नमूनों में रीफ्रैक्टिव इंडेक्स, बीआर रीडिंग, फैटी एसिड प्रोफाइल, आयोडिन वैल्यू (Refractive Index, BR reading, Fatty Acid Profile, iodine value) आदि भी निर्धारित सीमा में नहीं पाए गए.

FSSAI के निष्कर्षों में कहा गया है, गुणवत्ता मानकों का अनुपालन न होना, संभावित मिलावट का संकेत है. ऐसा होने की स्थिति में तेल को किसी सामग्री के साथ मिलाने या दूसरी सामग्री का तेल में मिलावट की आशंका प्रबल होती है.

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गुणवत्ता के पैमाने पर ऑयल सैंपल के परीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि तेल की शेल्फ लाइफ मानकों की अनदेखी हो रही है. इसके साथ ही एडिटिव्स के निर्धारित मानकों का (prescribed standards of additives) अनुपालन नहीं किया जा रहा है.

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