कोच्चि: न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) हाईरेंज रूरल डेवलपमेंट सोसायटी (एचआरडीएस) के संस्थापक अजी कृष्णन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिका में पारदर्शी तरीके से जांच नहीं किए जाने की जताई गई आशंका ‘आधारहीन’ है. अदालत ने कहा कि जांच उचित तरीके से नहीं होने की धारणा के अलावा कृष्णन ने अपने दावे की पुष्टि के लिए कोई सामग्री उसके समक्ष प्रस्तुत नहीं की है.
एकल पीठ ने कहा, ‘‘सीमा शुल्क विभाग के साथ प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच की है या कर रहा है. यह मानने का कोई कारण नहीं है कि किसी व्यक्ति की संलिप्तता का खुलासा होने के बाद वे उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे.’’
अदालत ने कहा, ‘‘कहावत है कि ‘आप कितने भी बड़े क्यों न हों, कानून आपके ऊपर है’ यह कहावत सभी पर समान रूप से लागू होती है, भले ही उनकी हैसियत या स्थिति कुछ भी हो. इसके मद्देनजर, रिट याचिका खारिज की जाती है.’’
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सीमा शुल्क विभाग पहले ही एर्णाकुलम के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सोना तस्करी और गैर कानूनी विदेशी मुद्रा के आयात मामले में दो शिकायतें दर्ज करा चुका है. अदालत ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के मद्देनजर अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता की जांच के निर्देश में नहीं पड़ा जाना चाहिए.
अदालत ने कहा कि चूंकि यह मामला विशेष अदालत के समक्ष लंबित है और जांच जारी है, ऐसे में ‘‘निष्पक्ष या केवल जांच या जांच की निगरानी संबंधी राहत का मुद्दा नहीं उठता.’’ गौरतलब है कि मामले की सह-आरोपी स्वपना सुरेश कुछ समय तक इस एनजीओ में कार्यरत रही थी.
कोच्चि में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के वाणिज्य दूतावास की पूर्व कर्मचारी सुरेश को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने एक अन्य आरोपी संदीप नायर के साथ 11 जुलाई 2020 को बेंगलुरु से हिरासत में लिया था.
एनआईए, ईडी और सीमा शुल्क विभाग ने पांच जुलाई 2020 को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर यूएई वाणिज्य दूतावास के राजनयिक सामान से 15 करोड़ रुपये कीमत के सोने की जब्ती मामले में आरोपी गिरोह के खिलाफ अलग-अलग जांच की थी. मामले में मुख्यमंत्री विजयन के पूर्व प्रधान सचिव एम शिवशंकर और यूएई वाणिज्य दूतावास के एक अन्य पूर्व कर्मचारी सहित कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
पीटीआई-भाषा
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