लखनऊ : पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में साल 2010 से लेकर 2011 के दौरान करीब 11 चीनी मिलों को बेचा गया था. आरोप है कि औने-पौने दाम पर इनकी बिक्री हुई थी. ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह ने इस कार्रवाई की पुष्टि की है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार को करीब 1,179 हजार करोड़ रुपये नुकसान पहुंचाने का आरोप है.
यह था पूरा मामला
प्रवर्तन निदेशालय के जोनल कार्यालय ने 1100 करोड़ रुपये के चीनी मिलों के घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया था. राज्य की 21 चीनी मिलों की बिक्री में कथित घोटाला बसपा प्रमुख मायावती के चौथे कार्यकाल के दौरान 2007-12 में हुआ था. मामला दर्ज होने से मायावती की मुश्किलें बढ़ी थीं. जोनल ईडी कार्यालय ने घोटाले में सीबीआई द्वारा पहले से दर्ज एफआईआर के आधार पर धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था.
जांच के घेरे में कई आला अफसर
ईडी ने सीबीआई की एफआईआर में नामजद उन सभी के खिलाफ शिकंजा कसा है, जो धन की हेराफेरी में शामिल हैं. यहां तक कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नेताराम जो तत्कालीन सीएम मायावती के करीबी थे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी ईडी के दायरे में आएंगे. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल 2018 को 2010-2011 में 21 चीनी मिलों के विनिवेश की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. आरोप है कि सभी 21 चीनी मिलों को घटी हुई कीमतों पर बेच दिया गया था. सीबीआई ने इस साल 25 अप्रैल को कथित घोटाले में मामला दर्ज किया था. जांच एजेंसी ने कथित घोटाले की जांच के तहत उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पूर्व प्रमुख सचिव के निवास सहित 14 स्थानों पर छापा भी मारा था.
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इन चीनी मिलों की खरीद-फरोख्त में हुई थी गड़बड़
सीबीआई की एफआईआर में दावा किया गया कि उत्तर प्रदेश के देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, चित्तौनी और बाराबंकी में सात बंद चीनी मिलों के खरीदार ने सौदे के दौरान जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था. सीबीआई की एफआईआर में धोखाधड़ी, जालसाजी के आरोप में सात लोगों को नामित किया गया है.