नई दिल्ली : देश में महंगाई को लेकर नरेंद्र मोदी नीत भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि देश में अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति के पीछे इस सरकार के पिछले आठ साल का आर्थिक कुप्रबंधन है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में नियम 193 के अधीन मूल्यवृद्धि पर चर्चा की शुरुआत करते हुए यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर कर और जीएसटी से सरकार ने अपना बजट तो पूरा कर लिया होगा और अपना खजाना भी भर लिया होगा लेकिन देश में करोड़ों परिवारों का बजट बिगाड़ दिया और कमरतोड़ महंगाई से गरीबी बढ़ती जा रही है. तिवारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था पांच बिंदुओं बचत, निवेश, उत्पादन, खपत और रोजगार पर खड़ी होती है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले आठ वर्ष में इन सभी की स्थिति कमजोर हो गई.
उन्होंने एक आंकड़े के हवाले से दावा किया कि देश में 2008 से 2014 तक, जब संप्रग सरकार थी, 27 करोड़ लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर उठाया गया, लेकिन 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 23 करोड़ लोग दोबारा गरीबी रेखा से नीचे चले गये हैं. तिवारी ने कहा कि देश में 77 प्रतिशत धन एक प्रतिशत लोगों के पास है और अरबपति 100 से बढ़कर 142 हो गये हैं जबकि गरीबों की संख्या बढ़ती जा रही है.
उन्होंने दावा किया कि देश में सबसे अमीर 92 लोगों के पास 55 करोड़ भारतीयों के धन के बराबर संपत्ति है. तिवारी ने कहा, "इसकी शुरुआत 8 नवंबर 2016 को हुई थी जब सरकार ने बिना सोचे-समझे नोटबंदी लागू की थी. सरकार ने आज तक सदन को नहीं बताया कि यह फैसला क्यों लिया गया और देश पर इसका क्या असर पड़ा." उन्होंने कहा कि नोटबंदी से जीडीपी वृद्धिदर घटते-घटते 2021-22 में कम हो गयी. तिवारी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा लेकिन इसका एकमात्र कारण कोविड नहीं है और अर्थव्यवस्था निरंतर गिरती जा रही थी. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया जिससे 2,30,000 से अधिक लघु उद्योग बंद हो गये और आज भी उस मार से उबर नहीं पाये हैं.
कांग्रेस नेता ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी का असर रोजगार पर भी पड़ा और 2017 से बेरोजगारी दर बढ़ते-बढ़ते जून 2022 में 7.8 प्रतिशत पहुंच गई. उन्होंने कहा, "किसी भी विकसित देश में मापदंड है कि दो-तिहाई लोगों को रोजगार मिलना चाहिए, लेकिन हमारे देश में आज 40 करोड़ लोगों के पास रोजगार है. विकसित देश बनने के लिए इस आंकड़े को 84 करोड़ तक ले जाना होगा. लेकिन सरकार के पास इसके लिए कोई रणनीति नहीं है."
तिवारी ने कहा कि रोजगार की समस्या का जीता-जागता उदाहरण मनरेगा में बढ़ती मांग है. उन्होंने कहा कि सरकार ने आठ साल पहले मनरेगा की आलोचना की थी और आज उसी के सहारे करोड़ों परिवारों की आजीविका चल रही है. तिवारी ने कहा कि सरकार को मनरेगा के लिए बोले गये अपने शब्द वापस लेने चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि जब देशवासियों की जेब में पैसा डालना जरूरी था तो पूंजीपतियों की जेब में पैसा डाला गया और 2014 से लेकर 2021 तक पूंजीपतियों को 4,32,000 करोड़ रुपये की छूट दी गई. उन्होंने कहा, "आज जो हो रहा है उसका कारण पिछले आठ साल का आर्थिक कुप्रबंधन है." उन्होंने कहा कि सरकार ने पेट्रोलियम पर कर से 27 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा अर्जित किये हैं. तिवारी ने कहा, "सरकार अपना खजाना तो भरती रही, लेकिन लोगों की जेब खाली करती रही. जिस घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत एक मार्च 2014 को 410 रुपये थी वह आज बढ़कर एक हजार रुपये से अधिक हो गयी है. गरीबों और मध्यम वर्ग पर इतना बोझ पड़ेगा तो सारा देश त्राहि-त्राहि करेगा."
तिवारी ने कहा कि पिछले 14 महीने से मुद्रास्फीति दो अंकों में है जो पिछले 30 साल में सबसे ज्यादा है, हालांकि, यह जुलाई में थोड़ी कम हुई है. उन्होंने हाल ही में रोजमर्रा की अनेक वस्तुओं पर जीएसटी की दर बढ़ाये जाने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने पेंसिल और शार्पनर के ऊपर भी जीएसटी लगा दी और बच्चों को भी नहीं छोड़ा. तिवारी ने कहा कि शमशान घाट के निर्माण पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी की क्या जरूरत? उन्होंने कहा कि सरकार ने अपना बजट तो ठीक कर लिया होगा लेकिन 25 करोड़ परिवारों का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया. उन्होंने कहा कि इतनी कमरतोड़ महंगाई है कि गृहणियों के आंसू बह रहे हैं.