लखनऊ : जी20 देशों के आर्थिक समूह की बैठक के तहत मंगलवार को लखनऊ में डिजिटल अर्थव्यवस्था और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की उड़ान पर चर्चा हुई. सदस्य देशों के बीच भारत ने अपनी बात रखी. जिसमें बताया गया कि विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये भारत ने सात साल में वह सफलता अर्जित की है जो 40 साल में पाई जा सकती थी. G20 के तहत सुशांत गोल्फ सिटी के होटल सेंट्रम में डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप (DEWG) की बैठक अपने दूसरे दिन भी जारी रही. जिसमें G20 सदस्यों और आठ अतिथि देशों की सक्रिय भागीदारी रही. जी-20 बैठक के तहत मंगलवार को चर्चाओं का फोकस DEWG दो प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर था, जो कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) और डिजिटल अर्थव्यवस्था में सायबर सुरक्षा था.
सत्र की शुरुआत सुशील पाल, संयुक्त सचिव इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय और सह-अध्यक्ष की स्वागत टिप्पणियों के साथ हुई. इसके बाद अल्केश कुमार शर्मा, सचिव और DEWG के अध्यक्ष ने उद्घाटन टिप्पणी की और दिन की चर्चाओं के लिए संदर्भ तय किए. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रौद्योगिकी का लाभ सभी के लिए उपलब्ध हो. डिजिटल परिवर्तन के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर महत्वपूर्ण है. डिजिटल अर्थव्यवस्था में लचीलापन होने के साथ ही साइबर सुरक्षा महत्वपूर्ण है और विषमता की खाई को पाटने और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल बनाने के लिए डिजिटल स्किलिंग महत्वपूर्ण है. इंडोनेशिया और ब्राजील के प्रतिनिधियों ने भी सभा को संबोधित किया और भारत के जी20 एजेंडा के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया.
भारत के जी20 प्रतिनिधि अमिताभ कांत ने मुख्य भाषण दिया. जिन्होंने समावेशन, सामाजिक सेवाओं को देने, डिजिटल स्पेस में एकाधिकार को रोकने, और सुरक्षा, गोपनीयता और शासन के मामले में सफलताओं के बारे में विस्तार से बात की. आधार, कोविन, डिजि लॉकर, उमंग, DEPA, ONDC, ULIP जैसे भारतीय प्लेटफॉर्म के बारे अहम जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि इन डिजिटल प्लेटफॉर्म के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ, भारत ने विकास और प्रगति की लंबी छलांग लगाई है, जो 47 वर्षों में प्राप्त होने की उम्मीद थी उसको केवल सात साल में हासिल किया है. कोई भी देश पहले से विकसित डीपीआई का उपयोग कर सकता है और उसी के शीर्ष पर नवाचार कर सकता है. दिन भर G20 सदस्यों, प्रमुख ज्ञान भागीदारों और अतिथि देशों की ओर से व्यावहारिक प्रस्तुतियां और व्याख्यान हुए. प्रतिनिधियों ने तुर्किये में भूकंप पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए भी कुछ समय लिया.
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