नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने दादरा और नगर हवेली, खंडवा (मध्य प्रदेश) और मंडी (हिमाचल प्रदेश) लोकसभा सीटों पर उपचुनाव को टालने का फैसला किया है. इसके अलावा पांच राज्यों की 8 विधानसभा सीटों पर भी चुनाव टालने का फैसला लिया गया है.
जिन आठ विधानसभा सीटों पर चुनाव टाले गए हैं, उनमें हरियाणा की कालका और एलनाबाद सीट शामिल हैं. इसके अलावा राजस्थान की वल्लभनगर सीट, कर्नाटक की सिन्डागी, मेघालय की राजाबाला और मावार्केनेंग (Mawryngkneng) सीटों पर भी उपचुनाव कराए जाने थे.
हिमाचल प्रदेश की फतेहपुर विधानसभा सीट और आंध्र प्रदेश की बाडवेल विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव कराए जाने थे.
बंगाल और ओडिशा में भी टले चुनाव
इससे पहले कोरोना महामारी के मद्देनजर आयोग ने गत तीन मई को पश्चिम बंगाल की जांजगीर और शमशेरगंज विधानसभा सीटों पर चुनाव टालने का एलान किया था. इसके अलावा ओडिशा की पिपली विधानसभा सीट पर भी चुनाव टाल दिया गया है.
बता दें कि जमकर हुई आलोचना के बाद पिछले दिनों चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों को विजय जुलूस की अनुमति नहीं दी थी. भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इस फैसले का स्वागत किया.
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इससे पहले पांच राज्यों- पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में कराए गए विधानसभा चुनाव के दौरान हुई रैलियों को लेकर खूब राजनीतिक टीका-टिप्पणी की गई थी. पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के बाद लगातार तीसरी बार सीएम बनीं ममता बनर्जी ने कहा था कि आयोग भाजपा के दिशानिर्देश पर काम कर रहा है.
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दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा था कि चुनाव आयोग हमेशा भारत सरकार और संघ के साथ परामर्श के बाद निर्णय लेता है. ऐसे में आयोग पर गैर-जिम्मेदार व्यवहार के लिए हत्या का मुकदमा लगाया जाना चाहिए.
बता दें कि गत मार्च-अप्रैल माह में कराए गए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की काफी किरकिरी हुई है. कोरोना महामारी के दौरान कराए गए चुनाव को लेकर एक याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने आयोग की भूमिका पर तल्ख टिप्प्णी की थी.
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मद्रास हाईकोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा था कि आयोग के अधिकारी प्रारंभिक रूप से चुनाव कराए जाने के प्रति जवाबदेह हैं, और अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.