नई दिल्ली : लोकसभा (Lok Sabha) में बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) के उन आरोपों के बारे पूछे जाने पर कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान और चीन को साथ लाने का काम किया है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. बागची ने कहा कि इस बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुके हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA spokesperson Arindam Bagchi) ने कहा कि विदेश मंत्रालय का ट्वीट स्वत: स्थिति स्पष्ट करने वाला है. उन्होंने संसद की चर्चा के बाद ट्वीट किया. मुझे और कुछ नहीं कहना है. गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि भारत को गणतंत्र दिवस समारोह में शरीक होने के लिए कोई विदेशी अतिथि नहीं मिल सका.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान और चीन को लेकर सरकार के खिलाफ बुधवार को लोकसभा में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों (Rahul Gandhi remark in LS) के लिए उनकी आचोलना की. जयशंकर ने कहा कि राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया कि इस सरकार के कारण पाकिस्तान और चीन एकजुट हो गए हैं. कुछ ऐतिहासिक सबक इस प्रकार हैं: 1963 में, पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी (Shaksgam valley) को चीन को सौंप दिया; चीन ने 1970 के दशक में पीओके के रास्ते से काराकोरम राजमार्ग का निर्माण किया.'
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विदेश मंत्री ने कहा, 'दोनों देशों के बीच 1970 के दशक से घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी रहा है. 2013 में, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शुरू हुआ. तो, अपने आप से पूछें: क्या चीन और पाकिस्तान तब दूर थे?' राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार की नीति के कारण ही आज चीन एवं पाकिस्तान एक साथ आ गए हैं. सीमा पर चीन की आक्रामकता और पाकिस्तान की सीमा से जुड़ी चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'आप खतरे को हल्के में मत लीजिए. आप चीन और पाकिस्तान को साथ ला चुके हैं, यह भारत के लोगों के साथ सबसे बड़ा अपराध है.'
साथ ही राहुल गांधी ने दावा किया था कि भारत को गणतंत्र दिवस समारोह में शरीक होने के लिए कोई विदेशी अतिथि नहीं मिल सका. इस पर जयशंकर ने कहा कि जिन पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपतियों को आना था, उन्होंने 27 जनवरी को एक डिजिटल शिखर सम्मेलन आयोजित किया. विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, 'लोकसभा में राहुल गांधी ने कहा कि हमें गणतंत्र दिवस के लिए कोई विदेशी अतिथि नहीं मिला. भारत में रहने वाले जानते हैं कि हम कोरोना (महामारी) की लहर का सामना कर रहे हैं.'
उन्होंने लिखा, 'जिन पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपतियों को आना था. उन्होंने 27 जनवरी को एक डिजिटल शिखर सम्मेलन किया. क्या राहुल गांधी इसे भी भूल गए हैं?' भारत ने कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शरीक होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वे कोविड-19 स्थिति के कारण समारोह में शामिल नहीं हो सके थे. 27 जनवरी को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ डिजिटल शिखर सम्मेलन आयोजित किया था.