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महामारी में प्रधानमंत्री ने लोगों की चिंता नहीं की, सिर्फ राजनीति व प्रचार पर ध्यान दिया: प्रियंका

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पैदा हुए हालात को लेकर एक बार फिर सराकर पर निशाना साधते हुए सरकार से सवाल किए हैं. पढ़िए प्रियंका के सवाल...

प्रियंका
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Published : Jun 12, 2021, 9:28 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पैदा हुए हालात को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने लोगों की कोई चिंता नहीं की, बल्कि राजनीति को प्राथमिकता दी और अपने प्रचार पर ध्यान दिया.

सरकार से सवाल करने की अपनी श्रृंखला 'जिम्मेदार कौन' के तहत प्रियंका ने एक बयान में यह दावा भी किया कि पूरी दुनिया ने देख लिया कि प्रधानमंत्री मोदी शासन करने में सक्षम नहीं हैं.

उन्होंने कहा , आखिर क्या वजह है कि इस महामारी के दौरान हमें वही अनुभव करना पड़ा जो पिछली सदी में स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान देशवासियों ने किया था? सरकार द्वारा भगवान भरोसे छोड़े दिए गए भारतवासी आखिर क्यों मदद की गुहार लगाते हुए अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे? गंगा नदी में दिनों-दिन तक उतराते शवों का जो मंजर देख पूरा विश्व व्याकुल था – वह क्यों हुआ? प्रियंका ने दावा किया, एक मजबूत नेता संकट के समय सच का सामना करता है और जिम्मेदारी अपने हाथ में लेकर निर्णय लेता है. दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री जी ने इसमें से कुछ भी नहीं किया.

उन्होंने आरोप लगाया, महामारी की शुरुआत से ही सरकार का सारा जोर सच्चाई छिपाने और जिम्मेदारी से भागने पर रहा. नतीजतन, जब कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू किया, तो मोदी सरकार निष्क्रियता की अवस्था में चली गई. इस निष्क्रियता ने वायरस को भयानक क्रूरता से बढ़ने का मौका दिया जिससे देश को असीम पीड़ा सहनी पड़ी.

कांग्रेस महासचिव कहा, यदि प्रधानमंत्री देश-दुनिया के विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाहों को नजरअंदाज नहीं करते, खुद के एम्पावर्ड ग्रुप या स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति की ही सलाह पर ध्यान दे देते तो देश अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन एवं दवाइयों के भीषण संकट के दौर से नहीं गुजरता.

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने यह भी कहा, अगर वह एक जिम्मेदार नेता होते और देशवासियों द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी की जरा भी परवाह करते तो वे कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर के बीच अस्पताल के बेडों की संख्या कम नहीं करते.

पढ़ें :- संसदीय समिति की चेतावनी को अनसुना कर अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या क्यों घटाई गई : प्रियंका

उनके मुताबिक, यदि प्रधानमंत्री ने देशवासियों की जिंदगी की कीमत अपने प्रचार और अपनी छवि से ज्यादा आंकी होती तो आज देश में टीके का भीषण संकट नहीं पैदा हुआ होता। यदि प्रधानमंत्री अपनी कुंभकर्णी नींद से जागकर टीकों का आर्डर, जनवरी 2021 तक इंतजार करने के बजाय, 2020 की गर्मियों में ही दे देते तो हम अनगिनत लोगों की जान बचा सकते थे.

प्रियंका ने दावा किया, यदि प्रधानमंत्री जी राजनीति के बजाय देशवासियों की जिंदगी को ज्यादा तरजीह देते तो वे कोरोना के खिलाफ इस असाधारण लड़ाई में राज्यों का पूरा सहयोग करते. टीवी पर आकर अपनी असफलता का दोष राज्य सरकारों पर मढ़ने जैसी हरकतों के बजाय वे राज्यों को संसाधन उपलब्ध कराते, उनके बकायों का भुगतान करते और इस लड़ाई में उनके साथ मजबूती से खड़े होते. उन्होंने यह भी कहा, यदि प्रधानमंत्री एक सक्षम प्रशासक होते तो कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनज़र पहले से अपनी रणनीति बनाते और तैयारी रखते. अगर वे एक सक्षम प्रशासक होते तो विज्ञान और आधुनिकता को परे रखकर कोरोना के अंधकार से निपटने के लिए थाली पीटने - दीया जलाने जैसे तरीके न बताते.

प्रियंका ने कटाक्ष करते हुए कहा, प्रधानमंत्री के समर्थकों ने जैसी उनकी एक छवि देश भर में प्रचारित कर रखी है, काश वह वैसे होते और एक राजनेता की दिलेरी रखते या उनमें एक सच्चे नेता में पाई जाने वाली करुणा और साहस होता, तब वे संकट के समय असहनीय पीड़ा का सामना कर रहे देशवासियों को सांत्वना देने, हौसला बढ़ाने के लिए सामने आते. उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पैदा हुए हालात को लेकर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने लोगों की कोई चिंता नहीं की, बल्कि राजनीति को प्राथमिकता दी और अपने प्रचार पर ध्यान दिया.

सरकार से सवाल करने की अपनी श्रृंखला 'जिम्मेदार कौन' के तहत प्रियंका ने एक बयान में यह दावा भी किया कि पूरी दुनिया ने देख लिया कि प्रधानमंत्री मोदी शासन करने में सक्षम नहीं हैं.

उन्होंने कहा , आखिर क्या वजह है कि इस महामारी के दौरान हमें वही अनुभव करना पड़ा जो पिछली सदी में स्पैनिश फ्लू महामारी के दौरान देशवासियों ने किया था? सरकार द्वारा भगवान भरोसे छोड़े दिए गए भारतवासी आखिर क्यों मदद की गुहार लगाते हुए अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे? गंगा नदी में दिनों-दिन तक उतराते शवों का जो मंजर देख पूरा विश्व व्याकुल था – वह क्यों हुआ? प्रियंका ने दावा किया, एक मजबूत नेता संकट के समय सच का सामना करता है और जिम्मेदारी अपने हाथ में लेकर निर्णय लेता है. दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री जी ने इसमें से कुछ भी नहीं किया.

उन्होंने आरोप लगाया, महामारी की शुरुआत से ही सरकार का सारा जोर सच्चाई छिपाने और जिम्मेदारी से भागने पर रहा. नतीजतन, जब कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू किया, तो मोदी सरकार निष्क्रियता की अवस्था में चली गई. इस निष्क्रियता ने वायरस को भयानक क्रूरता से बढ़ने का मौका दिया जिससे देश को असीम पीड़ा सहनी पड़ी.

कांग्रेस महासचिव कहा, यदि प्रधानमंत्री देश-दुनिया के विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाहों को नजरअंदाज नहीं करते, खुद के एम्पावर्ड ग्रुप या स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति की ही सलाह पर ध्यान दे देते तो देश अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन एवं दवाइयों के भीषण संकट के दौर से नहीं गुजरता.

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने यह भी कहा, अगर वह एक जिम्मेदार नेता होते और देशवासियों द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी की जरा भी परवाह करते तो वे कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर के बीच अस्पताल के बेडों की संख्या कम नहीं करते.

पढ़ें :- संसदीय समिति की चेतावनी को अनसुना कर अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या क्यों घटाई गई : प्रियंका

उनके मुताबिक, यदि प्रधानमंत्री ने देशवासियों की जिंदगी की कीमत अपने प्रचार और अपनी छवि से ज्यादा आंकी होती तो आज देश में टीके का भीषण संकट नहीं पैदा हुआ होता। यदि प्रधानमंत्री अपनी कुंभकर्णी नींद से जागकर टीकों का आर्डर, जनवरी 2021 तक इंतजार करने के बजाय, 2020 की गर्मियों में ही दे देते तो हम अनगिनत लोगों की जान बचा सकते थे.

प्रियंका ने दावा किया, यदि प्रधानमंत्री जी राजनीति के बजाय देशवासियों की जिंदगी को ज्यादा तरजीह देते तो वे कोरोना के खिलाफ इस असाधारण लड़ाई में राज्यों का पूरा सहयोग करते. टीवी पर आकर अपनी असफलता का दोष राज्य सरकारों पर मढ़ने जैसी हरकतों के बजाय वे राज्यों को संसाधन उपलब्ध कराते, उनके बकायों का भुगतान करते और इस लड़ाई में उनके साथ मजबूती से खड़े होते. उन्होंने यह भी कहा, यदि प्रधानमंत्री एक सक्षम प्रशासक होते तो कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनज़र पहले से अपनी रणनीति बनाते और तैयारी रखते. अगर वे एक सक्षम प्रशासक होते तो विज्ञान और आधुनिकता को परे रखकर कोरोना के अंधकार से निपटने के लिए थाली पीटने - दीया जलाने जैसे तरीके न बताते.

प्रियंका ने कटाक्ष करते हुए कहा, प्रधानमंत्री के समर्थकों ने जैसी उनकी एक छवि देश भर में प्रचारित कर रखी है, काश वह वैसे होते और एक राजनेता की दिलेरी रखते या उनमें एक सच्चे नेता में पाई जाने वाली करुणा और साहस होता, तब वे संकट के समय असहनीय पीड़ा का सामना कर रहे देशवासियों को सांत्वना देने, हौसला बढ़ाने के लिए सामने आते. उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया.

(पीटीआई-भाषा)

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