भावनगर : गुजरात पुलिस ने भावनगर के दिहोर से परीक्षाओं में असली स्टूडेंट की जगह नकली स्टूडेंट को बैठाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. पुलिस के मुताबिक ये घोटाला विगत 11 साल से चल रहा था. बताया जाता है कि इसको लेकर गिरोह के द्वारा बदले में 5 से 10 लाख रुपये वसूल किए जाते थे. मामले में पुलिस को करीब तीन दर्जन शिकायतें मिली हैं. इसी क्रम में पुलिस ने कार्रवाई के दौरान पाया कि विभिन्न परीक्षाओं के दौरान शामिल होने वाले 36 लोगों को डमी उम्मीदवार के रूप में पाया. इस पर उन सभी लोगों के खिलाफ पुलिस के द्वारा कार्रवाई की गई है.
इतना ही नहीं इन सभी आरोपियों ने हॉल टिकट, आधार कार्ड और फोटो से छेड़छाड़ कर 2012 से 2023 तक प्रतियोगी परीक्षा सहित कई परीक्षाएं दी है. इस बारे में एलसीबी के प्रभारी पीआई शिंगारखिया ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. बताया जा रहा है इस घोटाले में कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं. मामले में मुख्य आरोपी शरद लाभशंकर पनोट दिहोरवाला, प्रकाशकुमार उर्फ पीके करशन दवे पिपरलावाला व बलदेव रमेश राठौड़ तलजावाला व डमी उम्मीदवार मिलन घुघाभाई बरैया सरतनपरवाला मुख्य आरोपी हैं. इन सभी 36 लोगों से पूछताछ की गई है और उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है.
कैसे हुआ खुलासा- भावनगर के दिहोर के शरदकुमार एक डमी छात्र से 5 लाख से 10 लाख रुपये तक वसूल रहे थे. जबकि डमी प्रत्याशी को 25 हजार देते थे. इस दौरान आरोपियों द्वारा परीक्षार्थी के हॉल टिकट व आधार कार्ड में फोटो ट्रांसफर कर डमी परीक्षार्थी की फोटो लगाकर कंप्यूटर के माध्यम से डुप्लीकेट कागज तैयार किए गए. वहीं डमी छात्रों द्वारा परीक्षा के लिए जाते समय डुप्लीकेट हॉल टिकट और आधार कार्ड का उपयोग किया गया था. मामले डमी उम्मीदवारों की एक लंबी कतार सामने आई है. जिसमें खासकर शिकायत में यह बात सामने आ रही है कि तलाजा तालुका के गांव की डमी छात्रा भी शामिल है. इतनी ही नहीं डमी परीक्षार्थी राज्य शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए भी डमी बैठे थे. इसके अलावा आरोपी प्रतियोगी सरकारी नौकरी परीक्षा में भी डमी के रूप में शामिल हो चुके हैं.
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