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लंबित मांगों को लेकर 31 जुलाई को देशभर में चक्का जाम: संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में 31 जुलाई को चक्का जाम करने की घोषणा की है. न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों से जुड़ी अन्य लंबित मांगों को लेकर फिर से आंदोलन चलाया जाएगा.

Due to the pending demands of the farmers movement there will be a traffic jam across the country on July 31 says United Kisan Morcha
किसान आंदोलन की लंबित मांगों को लेकर 31 जुलाई को देशभर में चक्का जाम: संयुक्त किसान मोर्चा
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Published : Jul 4, 2022, 8:18 AM IST

नई दिल्ली: न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और अन्य लंबित मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 500 जिलों में 'वादाखिलाफी विरोधी सभा' आयोजित करेगा. साथ ही किसान आंदोलन की लंबित मांगों को लेकर 31 जुलाई को देशभर में चक्का जाम करेगा. अग्निपथ योजना के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा 7 अगस्त से 14 अगस्त तक देश भर में 'जय जवान, जय किसान' सम्मेलन आयोजित करेगा. वहीं, आजादी की 75वीं जयंती पर 18, 19, 20 अगस्त को लखीमपुर खीरी में 75 घंटे का मोर्चा होगा.

गाजियाबाद में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठनों के चुनिंदा प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय बैठक में किसान आंदोलन को लेकर तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात पर निराशा व्यक्त की, कि 9 दिसंबर 2021 को मोर्चा उठाने पर सरकार ने किसानों से जो वादे किए थे उन पर केंद्र सरकार पूरी तरह मुकर गई है. ना तो एमएसपी पर कमेटी का गठन हुआ है और ना ही आंदोलन के दौरान किसानों पर लगाए गए मुकदमें वापस लिए गए हैं.

सरकार बिजली बिल को संसद में लाने का प्रयास कर रही है. किसानों की सबसे बड़ी मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, पर सरकार विचार करने को भी तैयार नहीं है. सरकार के इस वादाखिलाफी के विरोध में 18 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से 31 जुलाई शहीद उधम सिंह की शहादत दिवस पर देशभर में जिला स्तर पर 'वादाखिलाफी विरोधी सभा' आयोजित की जाएगी.

इस अभियान के अंत में 31 जुलाई को सरदार उधम सिंह के शहादत दिवस पर सुबह 11:00 से दोपहर 3:00 बजे तक देशभर में मुख्य मार्ग पर चक्का जाम किया जाएगा. इस आयोजन से आम जनता को परेशानी ना हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा. बैठक में यह फैसला भी लिया गया कि अग्निपथ योजना के विरुद्ध किसान संगठन, बेरोजगार युवाओं और पूर्व सैनिकों को लामबंद करेगा, क्योंकि यह योजना राष्ट्र-विरोधी और युवा-विरोधी होने के साथ-साथ किसान-विरोधी भी है.

अग्निपथ योजना के चरित्र का पर्दाफ़ाश करने के लिए 7 अगस्त से 14 अगस्त के बीच देशभर में 'जय-जवान जय-किसान' सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पूर्व सैनिकों और बेरोजगार युवाओं को भी आमंत्रित किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड के 10 महीने बाद भी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना देश की कानून व्यवस्था के साथ एक भद्दा मजाक है.

ये भी पढ़ें- गुजरात: कच्छ में गायों में फैली बीमारी, दहशत में किसान

इसी मुद्दे को मज़बूती उठाने के लिए आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी में 18-19-20 अगस्त को 75 घंटे का पक्का मोर्चा आयोजित करेगा, जिसमें देश भर से किसान नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे. इस बैठक में किसान और मानवाधिकार आंदोलनों पर हो रही कार्रवाई पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई. संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में किसान नेता आशीष मित्तल को झूठे मामलों में फंसाने, बंगाल के फरक्का में अदानी के हाई-वोल्टेज तार का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज, और छत्तीसगढ़ में विरोध कर रहे किसानों के दमन पर रोष व्यक्त किया साथ ही कहा कि तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और मुहम्मद ज़ुबैर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गिरफ्तारी, पूरे देश में लोकतांत्रिक अधिकारों पर बढ़ते दमन का संकेत देती है.

सभा में देश के 15 राज्यों से लगभग 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. पंजाब चुनाव के मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा से अलग किए गए 16 संगठनों को आज मोर्चे में पुनः दाखिल किया गया. बैठक में चंद्रशेखर कोडीहल्ली के नेतृत्व वाली 'कर्नाटक राज्य रैय्यत संघ' को संयुक्त किसान मोर्चा से निष्कासित करने का भी निर्णय लिया गया.

नई दिल्ली: न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और अन्य लंबित मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 500 जिलों में 'वादाखिलाफी विरोधी सभा' आयोजित करेगा. साथ ही किसान आंदोलन की लंबित मांगों को लेकर 31 जुलाई को देशभर में चक्का जाम करेगा. अग्निपथ योजना के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा 7 अगस्त से 14 अगस्त तक देश भर में 'जय जवान, जय किसान' सम्मेलन आयोजित करेगा. वहीं, आजादी की 75वीं जयंती पर 18, 19, 20 अगस्त को लखीमपुर खीरी में 75 घंटे का मोर्चा होगा.

गाजियाबाद में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठनों के चुनिंदा प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय बैठक में किसान आंदोलन को लेकर तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात पर निराशा व्यक्त की, कि 9 दिसंबर 2021 को मोर्चा उठाने पर सरकार ने किसानों से जो वादे किए थे उन पर केंद्र सरकार पूरी तरह मुकर गई है. ना तो एमएसपी पर कमेटी का गठन हुआ है और ना ही आंदोलन के दौरान किसानों पर लगाए गए मुकदमें वापस लिए गए हैं.

सरकार बिजली बिल को संसद में लाने का प्रयास कर रही है. किसानों की सबसे बड़ी मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, पर सरकार विचार करने को भी तैयार नहीं है. सरकार के इस वादाखिलाफी के विरोध में 18 जुलाई को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से 31 जुलाई शहीद उधम सिंह की शहादत दिवस पर देशभर में जिला स्तर पर 'वादाखिलाफी विरोधी सभा' आयोजित की जाएगी.

इस अभियान के अंत में 31 जुलाई को सरदार उधम सिंह के शहादत दिवस पर सुबह 11:00 से दोपहर 3:00 बजे तक देशभर में मुख्य मार्ग पर चक्का जाम किया जाएगा. इस आयोजन से आम जनता को परेशानी ना हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा. बैठक में यह फैसला भी लिया गया कि अग्निपथ योजना के विरुद्ध किसान संगठन, बेरोजगार युवाओं और पूर्व सैनिकों को लामबंद करेगा, क्योंकि यह योजना राष्ट्र-विरोधी और युवा-विरोधी होने के साथ-साथ किसान-विरोधी भी है.

अग्निपथ योजना के चरित्र का पर्दाफ़ाश करने के लिए 7 अगस्त से 14 अगस्त के बीच देशभर में 'जय-जवान जय-किसान' सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें पूर्व सैनिकों और बेरोजगार युवाओं को भी आमंत्रित किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड के 10 महीने बाद भी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना देश की कानून व्यवस्था के साथ एक भद्दा मजाक है.

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इसी मुद्दे को मज़बूती उठाने के लिए आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी में 18-19-20 अगस्त को 75 घंटे का पक्का मोर्चा आयोजित करेगा, जिसमें देश भर से किसान नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे. इस बैठक में किसान और मानवाधिकार आंदोलनों पर हो रही कार्रवाई पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई. संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में किसान नेता आशीष मित्तल को झूठे मामलों में फंसाने, बंगाल के फरक्का में अदानी के हाई-वोल्टेज तार का विरोध कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज, और छत्तीसगढ़ में विरोध कर रहे किसानों के दमन पर रोष व्यक्त किया साथ ही कहा कि तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और मुहम्मद ज़ुबैर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की गिरफ्तारी, पूरे देश में लोकतांत्रिक अधिकारों पर बढ़ते दमन का संकेत देती है.

सभा में देश के 15 राज्यों से लगभग 200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. पंजाब चुनाव के मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा से अलग किए गए 16 संगठनों को आज मोर्चे में पुनः दाखिल किया गया. बैठक में चंद्रशेखर कोडीहल्ली के नेतृत्व वाली 'कर्नाटक राज्य रैय्यत संघ' को संयुक्त किसान मोर्चा से निष्कासित करने का भी निर्णय लिया गया.

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