विजयवाड़ा : कोविड-19 देखभाल स्वास्थ्य केंद्र में बेड और ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं. अस्पताल प्रभावित लोगों को जीवन रक्षक दवाओं और अन्य विटामिन की गोलियां दे रहे हैं, जो अधिक कीमत पर भी लोग खरीदने को तैयार हैं. यही कारण है कि दवाओं की कालाबाजारी करने वालों ने इसे अनैतिक कमाई का जरिया बना लिया है.
हालांकि सरकार ने जीवन रक्षक दवाओं के लिए एक कीमत तय की है लेकिन वे इसके बारे में परेशान नहीं हैं. कुछ मेडिकल शॉप्स न तो कोई स्टॉक दिखा रही हैं और न ही कोई सप्लाई बोर्ड दिखा रही हैं बल्कि उन्हीं दवाओं को महंगे दामों पर बेच रही हैं. जहां एक आम मरीज सबसे जान बचाने के लिए उन दवाओं की खरीदारी नहीं कर सकता.
सरकार द्वारा तय की गई कीमत रेमेडिसिवर के लिए 3490 रुपये है लेकिन इसकी बिक्री 35,000 से 45000 तक में की जा रही है. हकीकत यह है कि केवल कुछ ही अस्पतालों को दवाइयों का स्टॉक मिला है. अन्य अस्पतालों में इलाज करवाने वाले लोगों को रोगियों का जीवन बचाने वाली प्रमुख दवाओं को खरीदने की सलाह दी जा रही है.
तेलंगाना राज्य पुलिस ने ऐसे 9 सदस्यों को पकड़ा है जो उंची कीमतों पर दवा बेचने की कोशिश कर रहे थे. एक मेडिकल शॉप के मालिक को भी पकड़ा गया है और इस संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ है. कोविड केंद्रों में काम कर रहे डॉक्टरों पर आंध्र प्रदेश के राजनेताओं का दबाव है कि वे उनके द्वारा बताए गए रोगियों के लिए रेमिडिसिविर की खुराक का प्रबंध करें.
हाल ही में तेनाली कोविड देखभाल केंद्र के समन्वयक जो कि गुंटूर जिले के हैं, ने राजनेताओं की ऐसी मांगों को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि केवल मरीजों की स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर ही दवाओं का प्रशासन किया जाना चाहिए.
चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सिंघल ने इस पर कार्रवाई की और ड्रग्स की बिक्री पर विशेष आदेश जारी किया. उन्होंने कहा कि रेमेडिसिविर की 32,810 उपलब्धता है और लोगों को घबराने की जरुरत नहीं है.
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एमआर सिंघल ने विशाखापट्टनम में इस इंजेक्शन की बड़ी मांग को देखते हुए आश्वासन भी दिया है. साथ ही मौजूदा हालात को देखते हुए ड्रग अथॉरिटी ने लोगों से शिकायत दर्ज कराने के लिए व्हाट्सऐप नंबर भी जारी किया है.