श्रीनगर : नशे से प्रभावित कश्मीर घाटी में हेरोइन और गांजा जैसी नशीली दवाओं के सेवन से युवा बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं और हजारों लड़के-लड़कियों की जिंदगी नशे से बर्बाद हो रही है. नशे की लत जहां एक ओर जहां नशेड़ियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, वहीं दूसरी ओर महंगी दवाएं पीड़ितों की आर्थिक स्थिति को बर्बाद कर रही हैं. सोहेल (बदला हुआ नाम) पिछले तीन साल से हेरोइन का आदी है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में सोहेल ने बताया कि पहले वह अपने दोस्तों को देखकर ड्रग्स लेना चाहता था और एक बार जब उसने हेरोइन का सेवन किया तो वह इसका आदी हो गया. उसने बताया कि मैंने हेरोइन की मांग को पूरा करने के लिए पिछले तीन वर्षों में लगभग 30 लाख रुपये खर्च किए हैं. सोहेल के मुताबिक उसने कुल राशि में से 20 लाख रुपये वेतन से बचाए गए और 10 लाख रुपये ऋण के रूप में लिए थे. सोहेल एक बैंक में सर्विलांस इंजीनियर के रूप में काम करता है, जिसने फिलहाल उसे सेवाओं से निलंबित कर दिया है.
30 साल के सोहेल ने बताया कि हेरोइन पर उनका रोजाना खर्च करीब 14,000 रुपये था. उसने कहा कि मैं अपने माता-पिता और अपने करीबी रिश्ते से दूर हो गया और न केवल पैसा बल्कि सम्मान भी खो गया. नशे की लत से छुटकारा पाने के लिए श्रीनगर के इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज के ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर में इलाज करा रहा सोहेल अब अपने अतीत को भूलकर बेहतर जिंदगी जीना चाहता है.
गौरतलब है कि श्रीनगर के इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि हेरोइन और गांजा के आदी लोगों की संख्या औसतन प्रति माह 88,000 है. एक ग्राम हेरोइन की कीमत 5,000 से 6,000 रुपये है. घाटी में नशे के आदी लोगों में हेरोइन के इंजेक्शनों का चलन बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप नशे का आदी हर तीसरा युवा हेपेटाइटिस सी बीमारी से भी पीड़ित पाया जा रहा है. इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (IMHANS) के सर्वे से पता चला है कि जम्मू-कश्मीर नशे के मामले में पंजाब से आगे निकल गया है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में 10 लाख से अधिक लोग नशीली दवाओं के आदी हैं, जिनमें 100,000 से अधिक महिलाएं भी शामिल हैं.
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