कोटा. देश के कई मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है. दक्षिण के मंदिरों में यह लंबे समय से चल रहा है. इसी क्रम में राजस्थान के कोटा जिले के शिवपुरी धाम में भी अब ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है. इसके तहत कटे-फटे कपड़े, बरमूडा और शॉट्स पहनकर महिला और पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है. मंदिर के बाहर शालीन वेश में आने से संबंधित सूचना लगा दी गई है.
श्रद्धालुओं ने नम्र निवेदन : शिवपुरी धाम थेकड़ा के संरक्षक सनातन पुरी महाराज का कहना है कि मंदिर समिति के निर्णय के बाद मंदिर के बाहर शालीन वेश में आने से संबंधित सूचना लगा दी गई है. उन्होंने कहा कि शिवपुरी धाम मंदिर में काफी संगत आती हैं. कई नवयुवक और ज्यादा उम्र के लोग भी ऐसे कपड़े पहन के आते हैं, जो भद्दे लगते हैं. कई लोग नाइट सूट में भी आ जाते हैं. इन सबको देखते हुए हमने बोर्ड बनाकर लगवाया है. सभी से गुजारिश है कि शालीन वस्त्रों में ही मंदिर आएं.
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यह लिखा है चस्पा किए गए बोर्ड पर : मंदिर के बाहर लगे नोटिस बोर्ड पर साफ लिखा गया है कि सभी महिलाएं और पुरुष मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहनकर ही आएं. छोटे कपड़े, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस, फ्रॉक आदि पहनकर न आएं. ऐसा करने वाले श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन करने का लाभ प्राप्त कर पाएंगे. सनातन पुरी महाराज का कहना है कि जैन मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे में शालीन वस्त्रों में ही प्रवेश दिया जाता है. ऐसे में सनातन धर्म के मंदिरों में भी शालीन वेश में ही आना होगा.
पहली बार समझाइश, दूसरी बार नो एंट्री : सनातन पुरी महाराज का कहना है कि पहली बार गलती करने वाले व्यक्ति को माफ कर दिया जाएगा. ऐसे में एक बार तो उनके लिए मंदिर में आने की इजाजत होगी, लेकिन दोबारा गलती करने पर उन्हें एंट्री नहीं दी जाएगी. इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी. आने वाले दिनों में सावन के सोमवार शुरू होने वाले हैं, जिसको लेकर भी यह व्यवस्था की जाएगी.
525 शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है शिवपुरी धाम : शिवपुरी धाम मंदिर में भगवान शंकर के 525 शिवलिंग विराजित हैं, जिन्हें स्वास्तिक के आकार में स्थापित किया गया है. मंदिर में कई जिलों और अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. सावन के महीने में करीब 10 से 15 हजार लोग रोज दर्शन के लिए सुबह से शाम तक आते हैं. सावन के सोमवार या फिर महाशिवरात्रि के दिन यह संख्या बढ़कर 30 से 40 हजार के ऊपर चली जाती है. इन 525 शिवलिंग की स्थापना का मंदिर के नागा बाबा राणाराम पुरी ने सन 1985 में नेपाल के पशुपतिनाथ में किया था. हालांकि राणाराम पुरी जी का देहांत सन 1987 में हो गया, जिसके बाद सनातन पुरी महाराज ने यह प्रण 2007 में पूरा करवाया था.