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संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में कटौती, मितव्ययता की इच्छा से नहीं की जानी चाहिए: भारत - मिनाक्षी लेखी

संयुक्त राष्ट्र शांतिसेना में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में कटौती, मितव्ययता की इच्छा से नहीं की जानी चाहिए. इसके साथ ही भारत ने चेताया कि युद्ध की स्थिति में वापस लौटने की कीमत अल्पकालिक बचत से कहीं ज्यादा होती है.

मिनाक्षी लेखी
मिनाक्षी लेखी
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Published : Sep 9, 2021, 4:17 AM IST

जिनेवा : संयुक्त राष्ट्र शांतिसेना में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले भारत ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में कटौती, मितव्ययता की इच्छा से नहीं की जानी चाहिए. इसके साथ ही भारत ने चेताया कि युद्ध की स्थिति में वापस लौटने की कीमत अल्पकालिक बचत से कहीं ज्यादा होती है.

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों पर सुरक्षा परिषद की खुली चर्चा को संबोधित करते हुए भारत की विदेश राज्यमंत्री मिनाक्षी लेखी ने कहा कि शांतिरक्षा अभियानों में कटौती और उसे संयुक्त राष्ट्र की न्यूनतम उपस्थिति तक सीमित करना संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण चरण है.

सुरक्षा परिषद की यह बैठक आयरलैंड की वर्तमान अध्यक्षता में हुई. लेखी ने कहा कि मेजबान देश के लिए, एक तरफ तो यह राजनीतिक स्थिरता की प्रगति और विकास के नए अवसरों की तरफ इंगित करता है, लेकिन दूसरी तरफ यह देश को संघर्ष की स्थति में दोबारा पहुंचाने के खतरे को दर्शाता है.

यह भी पढ़ें- भारत-ईयू मुक्त व्यापार संधि बहाली वार्ता में प्रगति, इस महीने औपचारिक बातचीत शुरू होगी : जयशंकर

उन्होंने कहा कि शांतिरक्षा अभियानों के आकार में कटौती मितव्ययता की इच्छा से नहीं की जानी चाहिए. युद्ध की स्थति में दोबारा आने का खतरा हमेशा अल्पकालिक बचत से कहीं ज्यादा होता है.

(पीटीआई भाषा)

जिनेवा : संयुक्त राष्ट्र शांतिसेना में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले भारत ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में कटौती, मितव्ययता की इच्छा से नहीं की जानी चाहिए. इसके साथ ही भारत ने चेताया कि युद्ध की स्थिति में वापस लौटने की कीमत अल्पकालिक बचत से कहीं ज्यादा होती है.

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों पर सुरक्षा परिषद की खुली चर्चा को संबोधित करते हुए भारत की विदेश राज्यमंत्री मिनाक्षी लेखी ने कहा कि शांतिरक्षा अभियानों में कटौती और उसे संयुक्त राष्ट्र की न्यूनतम उपस्थिति तक सीमित करना संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण चरण है.

सुरक्षा परिषद की यह बैठक आयरलैंड की वर्तमान अध्यक्षता में हुई. लेखी ने कहा कि मेजबान देश के लिए, एक तरफ तो यह राजनीतिक स्थिरता की प्रगति और विकास के नए अवसरों की तरफ इंगित करता है, लेकिन दूसरी तरफ यह देश को संघर्ष की स्थति में दोबारा पहुंचाने के खतरे को दर्शाता है.

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उन्होंने कहा कि शांतिरक्षा अभियानों के आकार में कटौती मितव्ययता की इच्छा से नहीं की जानी चाहिए. युद्ध की स्थति में दोबारा आने का खतरा हमेशा अल्पकालिक बचत से कहीं ज्यादा होता है.

(पीटीआई भाषा)

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