भरतपुर. दुनिया भर में मानव सेवा के लिए पहचाने जाने वाला अपना घर आश्रम अब मेडिकल एजुकेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रयोग पढ़ाई के लिए महत्वपूर्ण कैडेवर यानी डेड बॉडी की कमी चल रही है. प्रदेश के 24 मेडिकल कॉलेजों को 1 साल में करीब 400 कैडेवर की आवश्यकता होती है, जबकि अपना घर आश्रम 700 से अधिक कैडेवर उपलब्ध करा सकता है. फिलहाल प्रदेश के हेल्थ सेक्रेटरी की तरफ से इस संबंध में स्पष्ट आदेश आने का इंतजार है. यदि कैडेवर को लेकर हेल्थ सेक्रेटरी की तरफ से आदेश जारी कर दिए जाते हैं, तो पूरे राजस्थान के मेडिकल कॉलेज की कमी को अकेला अपना घर आश्रम दूर कर देगा. हालांकि अपना घर आश्रम अभी भी भरतपुर के मेडिकल कॉलेज और उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित मेडिकल कॉलेज को कई बार कैडेवर उपलब्ध करा चुका है.
1 साल में 700 से अधिक प्रभूजन की मौत : अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बी एम भारद्वाज ने बताया कि राजस्थान में 24 मेडिकल कॉलेज हैं. सभी मेडिकल कॉलेज को 1 साल में करीब 400 कैडेवर की आवश्यकता होती है. जबकि राजस्थान में 19 जिलों में 22 अपना घर आश्रम हैं. अपना घर आश्रम में कुल मिलाकर प्रति माह करीब 60 बीमार, उम्रदराज प्रभुजन (बेसहारा लोग) प्राण त्यागते हैं. ऐसे में प्रदेश के 22 अपना घर आश्रम में 1 साल में करीब 700 से अधिक प्रभुजनों की मौत होती है, जिनका धर्मानुसार अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. यदि राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज की कैडेवर की कमी के प्रस्ताव पर गौर करती है और उसे अनुमति प्रदान करती है, तो यह समस्या अपना घर आश्रम दूर कर सकता है.
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यूपी को दिए कैडेवर : डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अभी तक अपना घर आश्रम की ओर से भरतपुर मेडिकल कॉलेज को करीब 7 कैडेवर उपलब्ध कराए जा चुके हैं. जबकि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक अन्य मेडिकल कॉलेज को भी तीन कैडेवर उपलब्ध कराए गए हैं. अपना घर आश्रम में मेडिकल कॉलेज की ओर से जब भी मांग की जाती है कैडेवर उपलब्ध करा दिए जाते हैं.
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में कैडेवर की कमी को लेकर भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष ने हेल्थ सेक्रेटरी को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा था. जिस पर हेल्थ सेक्रेटरी ने 6 माह पूर्व सभी मेडिकल कॉलेज को एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा कि मेडिकल कॉलेज अपनी आवश्यकता के अनुसार अपना घर आश्रम से कैडेवर ले सकते हैं. लेकिन उस आदेश में कुछ बिंदु स्पष्ट नहीं थे, जिसकी वजह से फिर से एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. यदि हेल्थ सेक्रेट्री कैडेवर को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी कर देते हैं, तो मेडिकल कॉलेज को कैडेवर लेने में कोई समस्या नहीं होगी.
फैक्ट फाइल
- राजस्थान में कुल मेडिकल कॉलेज 24
- सभी मेडिकल कॉलेज में 1 साल में 400 कैडेवर की आवश्यकता
- राजस्थान में कुल 22 अपना घर आश्रम
- सभी आश्रम में 1 साल में करीब 700 से अधिक प्रभुजन की मौत
- अपना घर आश्रम में प्रति माह होती है 60 लोगों की मौत
यह है उद्देश्य : डॉ भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम में आने वाले बेसहारा और बेघर प्रभुजनों की सेवा और उपचार किया जाता है. जब ऐसे प्रभुजन का शरीर पूरा हो जाता है तो, जिस थाना क्षेत्र से उनको आश्रम में भर्ती कराया गया था, वहां पर सूचित किया जाता है. यदि किसी के परिजन मिल जाते हैं, तो उन्हें सूचित किया जाता है, और 24 घंटे तक परिजनों के आने का इंतजार किया जाता है. यदि कोई नहीं आता तो प्रभुजन, जिस धर्म के होते हैं, उसी के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. डॉ. भारद्वाज ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि यदि प्राण त्यागने के बाद प्रभुजनों का शरीर मेडिकल की पढ़ाई में काम आ सके तो विद्यार्थियों की शिक्षा में सहयोग हो सकेगा.