कोलकाता: कोलकाता के फर्जी वैक्सीनेशन कैंप (Bengal Fake Vacciantion Camp) केस में जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. साथ ही कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग (डीडी) को जांच अपने हाथ में लिए हुए काफी समय बीत चुका है. घोटाले के मुख्य आरोपी के अलावा, इससे जुड़े कई और लोग पहले से ही शहर के पुलिस जासूसों की हिरासत में हैं. ऐसे में विपक्षी दलों माकपा और भाजपा के नेताओं ने जांच प्रक्रिया पर ही सवाल उठाते हुए जांच को सही तरीके से कराने के लिए कोर्ट जाने की बात कही है.
दरअसल, जांच अधिकारियों ने अभी तक कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) की इमारत के सीसीटीवी फुटेज की जांच नहीं की है जिससे कि पता चल सके कि नागरिक निकाय के अन्य लोग अक्सर नकली आईएएस अधिकारी देबांजन देब से कैसे मिलते थे ? कुछ अंदरूनी लोगों का कहना है कि कोलकाता पुलिस जांच को एक विशेष क्षेत्र में सीमित करके कर रही है. साथ ही जांच के दायरे को बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला है कि फर्जी आईएएस अधिकारी देब केएमसी भवन में भी आना-जाना था. केएमसी के तीन विभागों के तीन मूल आंतरिक दस्तावेजों के स्कैन किए गए दस्तावेज उनके लैपटॉप पर उपलब्ध हैं. साथ ही उसके लैपटॉप में केएमसी के तीन विभागों के आंतरिक दस्तावेजों की स्कैन कॉपी भी बरामद हुई है.
पढ़ें: फर्जी टीकाकरण घोटाला : देबंजन देब का कर्मचारी इंद्रजीत शॉ गिरफ्तार
उसके मोबाइल फोन के संपर्क सूची में केएमसी के कई अधिकारियों के नंबरों के साथ सत्ता के प्रभावशाली लोगों के साथ देब की कई तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए हैं. जिससे कि यह सवाल उठता है कि क्या इन प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए जांच को सीमित दायरे में किया जा रहा है. सवाल यह भी है कि केएमसी के संयुक्त आयुक्त के रूप में देब कैसे फर्जी उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों में छापेमारी की कार्रवाई करता था?
जांच को किया जा रहा प्रभावित
जाने-माने वकील और माकपा नेता बिकाश रंजन भट्टाचार्य आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस बड़े घोटाले में देब से आंशिक रूप से जुड़े लोगों को ही गिरफ्तार कर रही है. केएमसी के एक भी अधिकारी या कर्मचारी को अभी तक पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया गया है? आरोप लगाया कि इस फर्जी टीकाकरण घोटाले से राज्य सरकार और केएमसी के आला अधिकारी काफी दबाव में हैं. इसलिए मुझे यकीन है कि कहीं न कहीं ये प्रभावशाली लोग इस जांच के पैटर्न और प्रगति को प्रभावित कर रहे हैं.
करेंगे सीबीआई जांच की मांग
बीजेपी के राज्य महासचिव स्यांतन बसु ने कहा कि वह सीबीआई जांच की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. कहा कि हर दिन कुछ प्यादों की गिरफ्तारी के बारे में सुना जाता है, लेकिन मुख्य असली दोषी अभी भी स्वतंत्र रूप से घूम रहा है. कहा कि देबंजन देब तृणमूल कांग्रेस के आईटी सेल के संचालक के रूप में काम करता था. उसने केएमसी और पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध का फायदा उठाया. इसलिए अभी तक केवल मामूली दोषियों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है.
बताते चलें कि अभी तक गिरफ्तार लोगों में देबंजन का बड़ा भाई, उसका निजी अंगरक्षक और उनके कुछ बेहद करीबी सहयोगी शामिल हैं. जांच अधिकारियों ने दावा किया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें मुख्य आरोपी के साथ जुड़ने से आर्थिक लाभ हुआ है. अब यह सवाल स्वतः ही उठता है कि गिरफ्तार किए गए लोगों ने ही देबंजन की मदद की, तो निगम के महत्वपूर्ण आंतरिक दस्तावेजों तक देबांजन की पहुंच कैसे थी.