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यूपी में रोमांच देखने के लिए शहर करें पार, ठंड में वन प्रेमियों के लिए खुले जंगलों के द्वार

उत्तर प्रदेश के जंगलों के द्वार जाड़े की शुरुआत में देशभर के वन्य प्रेमियों (doors of forests open for forest lovers) के लिए खुल गए हैं. दुधवा नेशनल पार्क और कतर्नियाघाट नेशनल पार्क में देश के सबसे अधिक बाघ देखे जा सकते हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व और चका बीच भी अद्भुत वन संपदा से भरा हुआ है. नवाबगंज पक्षी विहार भी आनंदित करता है.

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Published : Nov 26, 2022, 3:08 PM IST

वन प्रेमियों के लिए खुले जंगलों के द्वार
वन प्रेमियों के लिए खुले जंगलों के द्वार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के जंगलों के द्वार जाड़े की शुरुआत में देशभर के वन्य प्रेमियों (doors of forests open for forest lovers) के लिए खुल गए हैं. दुधवा नेशनल पार्क और कतर्नियाघाट नेशनल पार्क में देश के सबसे अधिक बाघ देखे जा सकते हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व और चूका बीच भी अद्भुत वन संपदा से भरा हुआ है. नवाबगंज पक्षी विहार भी आनंदित करता है. उत्तर प्रदेश में ईको टूरिज्म को लेकर सरकार खांसी गंभीर है, ऐसे में जंगलों में लोगों के रहने-ठहरने की शानदार व्यवस्था है और जंगल सफारी के जरिए लोग वनों की खूबसूरती का आनंद लेने के साथ वन्य प्राणियों की झलक भी देख सकते हैं.

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान.
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान.

उत्तर प्रदेश की प्रधान वन्यजीव संरक्षक ममता संजीव दुबे (Chief Wildlife Warden Mamta Sanjeev Dubey) ने बताया कि ईकोटूरिज्म को लेकर हमारे प्रदेश ने पर्यटकों की संख्या पिछले पांच साल में कई गुना बढ़ चुकी है. दुधवा से लेकर इटावा तक और पीलीभीत से लेकर बहराइच तक देश दुनिया के पर्यटक यहां आ रहे हैं. ममता संजीव दुबे ने बताया कि हमारी वेबसाइट
https://www.upecotourism.in/ पर इन पर्यटन केंद्रों का पूरा विवरण उपलब्ध है. कैसे यहां तक पहुंचा जा सकता है. किस तरह के साधन उपलब्ध हैं, ठहरने और भोजन की व्यवस्था क्या है. पूरे विजिटिंग पैकेज भी इस वेबसाइट पर मिल सकते हैं. यह सिंगल विंडो सिस्टम है, जिसमें पूरे उत्तर प्रदेश का इको टूरिज्म शामिल किया गया है.

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान.
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान का दृश्य.
यूपी में ये है खास

लखीमपुर खीरी : दुधवा राष्ट्रीय उद्यान. जो कि बाघों को लेकर पूरे देश में मशहूर है. यहां ना केवल बाघ बल्कि हाथियों के झुंड भी देखे जा सकते हैं. इसके अलावा अन्य पशु पक्षी इस नेशनल पार्क की शोभा बढ़ाते हैं.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व.

लायन सफारी इटावा : समाजवादी पार्टी की सरकार में चंबल नदी के किनारे इटावा में लायन सफारी को विकसित किया गया था. गुजरात के गीर से यहां बब्बर शेरों को लाया गया था. इसके बाद में मोदी सरकार के प्रयासों से नाइजीरिया से चीते भी इस लायन सफारी की शोभा बढ़ा रहे हैं.

लायन सफारी इटावा.
लायन सफारी इटावा.

कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार : बहराइच के इस वन्य जीव विहार में बाघों की बड़ी संख्या है. इसके अलावा यहां तेंदुए भी हैं. यही नहीं मगरमच्छ और पक्षियों के लिए भी यह वन्य जीव विहार मशहूर है.

कर्तनियाघाठ वन्य जीव विहार.
कर्तनियाघाठ वन्य जीव विहार.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व : उत्तराखंड की सीमा से लगे हुए इस वन क्षेत्र में बाघ तेंदुए के अलावा हाथियों के झुंड भी देखे जा सकते हैं. साथ ही जंगल और जल का अद्भुत संगम इस वन क्षेत्र में है. जहां चूका बीच रिजॉर्ट प्रकृति की एक अनुपम कृति है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व.

नवाबगंज पक्षी विहार, उन्नाव : लखनऊ से करीब 45 किलोमीटर दूर कानपुर रोड पर प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता है. नवाबगंज पक्षी विहार की सुरम्य झील में पक्षियों को देखना पक्षी प्रेमियों के लिए एक अद्भुत आकर्षण है. इसके अतिरिक्त फोटोग्राफी के लिए भी यह क्षेत्र जबरदस्त है.

पक्षी विहार नवाबगंज.
पक्षी विहार नवाबगंज.

उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य प्रमुख इको टूरिज्म स्थल

चंदौली-चन्द्रप्रभा वन्य जीव विहार, बहराइच-चित्रकूट- रानीपुर वन्य जीव विहार ललितपुर- महावीर स्वामी वन्य जीव विहार, आगरा-सूरसरोवर पक्षी विहार, मीरजापुर-कैमूर वन्य जीव विहार, मेरठ-हस्तिनापुर वन्य जीव विहार, बिजनौर-अमानगढ़ टाइगर रिजर्व, बलरामपुर-सोहेलवा वन्य जीव विहार, वाराणसी-कछुआ प्रजनन केन्द्र, रायबरेली-समसपुर पक्षी विहार, कन्नौज-लाखबहोसी पक्षी विहार, हरदोई-सांडी पक्षी विहार, संतकबीरनगर-बखीरा पक्षी विहार, गौतमबुद्ध नगर-ओखला पक्षी विहार, मैनपुरी-समान पक्षी विहार, गोंडा-पार्वती अरगा पक्षी विहार, महोबा-विजय सागर पक्षी विहार, एटा-पटना पक्षी विहार, प्रतापगढ़-डा. भीमराव आंबेडकर पक्षी विहार, अलीगढ़-शेखा झील, लखनऊ-लखनऊ प्राणि उद्यान, कानपुर-कानपुर प्राणि उद्यान, गोरखपुर-गोरखपुर प्राणि उद्यान, बरेली-मिनी जू इज्जत नगर. अम्बेडकरनगर-दखन झील, आजमगढ़-बढेला ताल, औरैया-खानपुर वन ब्लाक, कानपुर देहात-मगही झील, कौशाम्बी-अलवारा वेटलैंड, जौनपुर-शाहगंज वेटलैंड (घूमर ताल), फतेहपुर-अखनई झील, फर्रूखाबाद-कुठिला झील, अयोध्या-समदा झील, देवरिया-सिंधुवा, तालबांदा-दियाबानी मंदिर पैलानी, बाराबंकी-भगहर वेटलैंड, भदोही-समधा, तालमथुरा-जोधपुर ताल, सहारनपुर-एलिफेंट रिजर्व, सिद्धार्थनगर-मझौली सागर, सीतापुर-अज्जैपुर झील, सोनभद्र-कैमूर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, अमेठी-कांदूनाला वन ब्लाक, हमीरपुर-मौदहा, बांध हाथरस-नगला शेखा वेटलैंड, बस्ती-संत रविदास वन विहार, मऊ-वन देवी मंदिर, शाहजहांपुर-नगर निगम बायोडायवर्सिटी पार्क, कासगंज-चन्दनपुर घटियारी बायोडायवर्सिटी पार्क, प्रयागराज-चांद खम्हरिया कृष्ण मृग संरक्षण क्षेत्र, बलिया-जय प्रकाश नारायण पक्षी विहार (सुरहाताल)

यह भी पढ़ें : National Milk Day आज, जाने क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय दूध दिवस

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के जंगलों के द्वार जाड़े की शुरुआत में देशभर के वन्य प्रेमियों (doors of forests open for forest lovers) के लिए खुल गए हैं. दुधवा नेशनल पार्क और कतर्नियाघाट नेशनल पार्क में देश के सबसे अधिक बाघ देखे जा सकते हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व और चूका बीच भी अद्भुत वन संपदा से भरा हुआ है. नवाबगंज पक्षी विहार भी आनंदित करता है. उत्तर प्रदेश में ईको टूरिज्म को लेकर सरकार खांसी गंभीर है, ऐसे में जंगलों में लोगों के रहने-ठहरने की शानदार व्यवस्था है और जंगल सफारी के जरिए लोग वनों की खूबसूरती का आनंद लेने के साथ वन्य प्राणियों की झलक भी देख सकते हैं.

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान.
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान.

उत्तर प्रदेश की प्रधान वन्यजीव संरक्षक ममता संजीव दुबे (Chief Wildlife Warden Mamta Sanjeev Dubey) ने बताया कि ईकोटूरिज्म को लेकर हमारे प्रदेश ने पर्यटकों की संख्या पिछले पांच साल में कई गुना बढ़ चुकी है. दुधवा से लेकर इटावा तक और पीलीभीत से लेकर बहराइच तक देश दुनिया के पर्यटक यहां आ रहे हैं. ममता संजीव दुबे ने बताया कि हमारी वेबसाइट
https://www.upecotourism.in/ पर इन पर्यटन केंद्रों का पूरा विवरण उपलब्ध है. कैसे यहां तक पहुंचा जा सकता है. किस तरह के साधन उपलब्ध हैं, ठहरने और भोजन की व्यवस्था क्या है. पूरे विजिटिंग पैकेज भी इस वेबसाइट पर मिल सकते हैं. यह सिंगल विंडो सिस्टम है, जिसमें पूरे उत्तर प्रदेश का इको टूरिज्म शामिल किया गया है.

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान.
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान का दृश्य.
यूपी में ये है खास

लखीमपुर खीरी : दुधवा राष्ट्रीय उद्यान. जो कि बाघों को लेकर पूरे देश में मशहूर है. यहां ना केवल बाघ बल्कि हाथियों के झुंड भी देखे जा सकते हैं. इसके अलावा अन्य पशु पक्षी इस नेशनल पार्क की शोभा बढ़ाते हैं.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व.

लायन सफारी इटावा : समाजवादी पार्टी की सरकार में चंबल नदी के किनारे इटावा में लायन सफारी को विकसित किया गया था. गुजरात के गीर से यहां बब्बर शेरों को लाया गया था. इसके बाद में मोदी सरकार के प्रयासों से नाइजीरिया से चीते भी इस लायन सफारी की शोभा बढ़ा रहे हैं.

लायन सफारी इटावा.
लायन सफारी इटावा.

कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार : बहराइच के इस वन्य जीव विहार में बाघों की बड़ी संख्या है. इसके अलावा यहां तेंदुए भी हैं. यही नहीं मगरमच्छ और पक्षियों के लिए भी यह वन्य जीव विहार मशहूर है.

कर्तनियाघाठ वन्य जीव विहार.
कर्तनियाघाठ वन्य जीव विहार.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व : उत्तराखंड की सीमा से लगे हुए इस वन क्षेत्र में बाघ तेंदुए के अलावा हाथियों के झुंड भी देखे जा सकते हैं. साथ ही जंगल और जल का अद्भुत संगम इस वन क्षेत्र में है. जहां चूका बीच रिजॉर्ट प्रकृति की एक अनुपम कृति है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व.
पीलीभीत टाइगर रिजर्व.

नवाबगंज पक्षी विहार, उन्नाव : लखनऊ से करीब 45 किलोमीटर दूर कानपुर रोड पर प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा लगता है. नवाबगंज पक्षी विहार की सुरम्य झील में पक्षियों को देखना पक्षी प्रेमियों के लिए एक अद्भुत आकर्षण है. इसके अतिरिक्त फोटोग्राफी के लिए भी यह क्षेत्र जबरदस्त है.

पक्षी विहार नवाबगंज.
पक्षी विहार नवाबगंज.

उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य प्रमुख इको टूरिज्म स्थल

चंदौली-चन्द्रप्रभा वन्य जीव विहार, बहराइच-चित्रकूट- रानीपुर वन्य जीव विहार ललितपुर- महावीर स्वामी वन्य जीव विहार, आगरा-सूरसरोवर पक्षी विहार, मीरजापुर-कैमूर वन्य जीव विहार, मेरठ-हस्तिनापुर वन्य जीव विहार, बिजनौर-अमानगढ़ टाइगर रिजर्व, बलरामपुर-सोहेलवा वन्य जीव विहार, वाराणसी-कछुआ प्रजनन केन्द्र, रायबरेली-समसपुर पक्षी विहार, कन्नौज-लाखबहोसी पक्षी विहार, हरदोई-सांडी पक्षी विहार, संतकबीरनगर-बखीरा पक्षी विहार, गौतमबुद्ध नगर-ओखला पक्षी विहार, मैनपुरी-समान पक्षी विहार, गोंडा-पार्वती अरगा पक्षी विहार, महोबा-विजय सागर पक्षी विहार, एटा-पटना पक्षी विहार, प्रतापगढ़-डा. भीमराव आंबेडकर पक्षी विहार, अलीगढ़-शेखा झील, लखनऊ-लखनऊ प्राणि उद्यान, कानपुर-कानपुर प्राणि उद्यान, गोरखपुर-गोरखपुर प्राणि उद्यान, बरेली-मिनी जू इज्जत नगर. अम्बेडकरनगर-दखन झील, आजमगढ़-बढेला ताल, औरैया-खानपुर वन ब्लाक, कानपुर देहात-मगही झील, कौशाम्बी-अलवारा वेटलैंड, जौनपुर-शाहगंज वेटलैंड (घूमर ताल), फतेहपुर-अखनई झील, फर्रूखाबाद-कुठिला झील, अयोध्या-समदा झील, देवरिया-सिंधुवा, तालबांदा-दियाबानी मंदिर पैलानी, बाराबंकी-भगहर वेटलैंड, भदोही-समधा, तालमथुरा-जोधपुर ताल, सहारनपुर-एलिफेंट रिजर्व, सिद्धार्थनगर-मझौली सागर, सीतापुर-अज्जैपुर झील, सोनभद्र-कैमूर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, अमेठी-कांदूनाला वन ब्लाक, हमीरपुर-मौदहा, बांध हाथरस-नगला शेखा वेटलैंड, बस्ती-संत रविदास वन विहार, मऊ-वन देवी मंदिर, शाहजहांपुर-नगर निगम बायोडायवर्सिटी पार्क, कासगंज-चन्दनपुर घटियारी बायोडायवर्सिटी पार्क, प्रयागराज-चांद खम्हरिया कृष्ण मृग संरक्षण क्षेत्र, बलिया-जय प्रकाश नारायण पक्षी विहार (सुरहाताल)

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