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राजनीतिक फायदे के लिए ना करें जाति और धर्म का इस्तेमाल : इंद्रेश कुमार

इंद्रेश कुमार ने कहा है कि "मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करना चाहता हूं कि वे दूसरे धर्म का सम्मान करें केवल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल देश के लोकतांत्रिक सिद्धांत के लिए खतरा है"

इंद्रेश कुमार
इंद्रेश कुमार
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Published : Dec 16, 2021, 10:25 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. इंद्रेश कुमार (Dr. Indresh Kumar) ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वो सियासी लाभ या निजी हित के लिए जाति और धर्म को सियासत के साथ ना मिलाएं.

इंद्रेश कुमार दिल्ली स्थित नागालैंड हाउस में क्रिसमस को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. जहां उन्होंने कहा कि "भारत एक ऐसा देश है जो सभी धर्मों का स्वागत करता है. एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों का सम्मान करना चाहिए. सियासी दलों को जाति और धर्म के साथ राजनीति को नहीं मिलाना चाहिए"

देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे धर्मांतरण, सियासी दलों की जात और धर्म की राजनीति की खबरों के बीच डॉ. इंद्रेश कुमार द्वारा दिया गया बयान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. इन दिनों सभी राजनीतिक दल 2022 की शुरुआत में होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारी में लगे हुए हैं. खासकर उत्तर प्रदेश को लेकर हर दल ने कमर कस ली है, जहां जाति और धर्म के बिना चुनावों की कल्पना करना मुश्किल है. वैसे देश में चुनाव के दौरान सियासी दल जाति और धर्म की बात करने लगते हैं और ऐसे ही सियासी दलों को इंद्रेश कुमार ने ये अपील की है.

आरएसएस (RSS) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि राजनीति को धर्म के साथ मिलाने पर अराजकता को बल मिलता है. उन्होंने कहा कि "क्रिसमस के अवसर पर मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करना चाहता हूं कि वे दूसरे धर्म का सम्मान करें. केवल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और जाति (use of caste and religion for political gain) का इस्तेमाल देश के लोकतांत्रिक सिद्धांत के लिए खतरा है" डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि "असहिष्णुता और अस्पृश्यता (intolerance and untouchability) भी नहीं होनी चाहिए"

ये भी पढ़ें: जाति और धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए: इंद्रेश कुमार

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. इंद्रेश कुमार (Dr. Indresh Kumar) ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वो सियासी लाभ या निजी हित के लिए जाति और धर्म को सियासत के साथ ना मिलाएं.

इंद्रेश कुमार दिल्ली स्थित नागालैंड हाउस में क्रिसमस को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. जहां उन्होंने कहा कि "भारत एक ऐसा देश है जो सभी धर्मों का स्वागत करता है. एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों का सम्मान करना चाहिए. सियासी दलों को जाति और धर्म के साथ राजनीति को नहीं मिलाना चाहिए"

देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे धर्मांतरण, सियासी दलों की जात और धर्म की राजनीति की खबरों के बीच डॉ. इंद्रेश कुमार द्वारा दिया गया बयान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. इन दिनों सभी राजनीतिक दल 2022 की शुरुआत में होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारी में लगे हुए हैं. खासकर उत्तर प्रदेश को लेकर हर दल ने कमर कस ली है, जहां जाति और धर्म के बिना चुनावों की कल्पना करना मुश्किल है. वैसे देश में चुनाव के दौरान सियासी दल जाति और धर्म की बात करने लगते हैं और ऐसे ही सियासी दलों को इंद्रेश कुमार ने ये अपील की है.

आरएसएस (RSS) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि राजनीति को धर्म के साथ मिलाने पर अराजकता को बल मिलता है. उन्होंने कहा कि "क्रिसमस के अवसर पर मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करना चाहता हूं कि वे दूसरे धर्म का सम्मान करें. केवल राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और जाति (use of caste and religion for political gain) का इस्तेमाल देश के लोकतांत्रिक सिद्धांत के लिए खतरा है" डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि "असहिष्णुता और अस्पृश्यता (intolerance and untouchability) भी नहीं होनी चाहिए"

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