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कोयला संकट के कारण घरेलू स्पॉन्ज आयरन क्षेत्र नकारात्मक वृद्धि दर्ज कर सकता है: उद्योग निकाय - एसआईएमए के कार्यकारी निदेशक

शीर्ष उद्योग निकाय एमआईएमए के मुताबिक अगर कोयले की कमी बनी रही तो घरेलू स्पॉन्ज आयरन उद्योग दिसंबर तिमाही में नकारात्मक वृद्धि दर्ज कर सकता है.

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Published : Oct 17, 2021, 3:40 PM IST

नई दिल्ली : स्पॉन्ज आयरन विनिर्माता संघ (एसआईएमए) के कार्यकारी निदेशक दीपेंद्र काशिवा ने कहा कि मौजूदा कोयला संकट के बीच जुलाई-सितंबर 2021 के दौरान भारत के स्पॉन्ज आयरन उत्पादन में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 60 प्रतिशत तक गिरावट हो सकती है.

जेपीसी के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च 2021 के मुकाबले अप्रैल-जून 2021 में स्पॉन्ज आयरन उत्पादन 70 प्रतिशत बढ़ा था. उन्होंने बिना कोई ब्योरा दिए कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके 60 प्रतिशत घटकर 10 फीसदी के स्तर पर आने की आशंका है.

काशिवा ने टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे, अगर कोयले की कमी बनी रही, तो मुझे आशंका है कि तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में नकारात्मक वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि सितंबर के जेपीसी के आंकड़े अगले सप्ताह तक जारी कर दिए जाएंगे.

यह भी पढ़ें-गाजियाबाद : बालकनी में खेल रहे जुड़वा भाई 25वीं मंजिल से गिरे, दोनों की मौत

इस्पात मंत्रालय के तहत संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) एकमात्र संस्था है, जो भारतीय इस्पात और लौह क्षेत्र के आंकड़े जमा करती है. उन्होंने आगे कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने हाल ही में केवल ताप बिजली संयंत्रों को कोयला देने की घोषणा की है और बाकी उद्योगों को आपूर्ति रोकी जा रही है. बिजली क्षेत्र के बाद स्पॉन्ज आयरन और सीमेंट उद्योग कोयले के दो बड़े उपभोक्ता हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : स्पॉन्ज आयरन विनिर्माता संघ (एसआईएमए) के कार्यकारी निदेशक दीपेंद्र काशिवा ने कहा कि मौजूदा कोयला संकट के बीच जुलाई-सितंबर 2021 के दौरान भारत के स्पॉन्ज आयरन उत्पादन में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 60 प्रतिशत तक गिरावट हो सकती है.

जेपीसी के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मार्च 2021 के मुकाबले अप्रैल-जून 2021 में स्पॉन्ज आयरन उत्पादन 70 प्रतिशत बढ़ा था. उन्होंने बिना कोई ब्योरा दिए कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके 60 प्रतिशत घटकर 10 फीसदी के स्तर पर आने की आशंका है.

काशिवा ने टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे, अगर कोयले की कमी बनी रही, तो मुझे आशंका है कि तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में नकारात्मक वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि सितंबर के जेपीसी के आंकड़े अगले सप्ताह तक जारी कर दिए जाएंगे.

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इस्पात मंत्रालय के तहत संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) एकमात्र संस्था है, जो भारतीय इस्पात और लौह क्षेत्र के आंकड़े जमा करती है. उन्होंने आगे कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने हाल ही में केवल ताप बिजली संयंत्रों को कोयला देने की घोषणा की है और बाकी उद्योगों को आपूर्ति रोकी जा रही है. बिजली क्षेत्र के बाद स्पॉन्ज आयरन और सीमेंट उद्योग कोयले के दो बड़े उपभोक्ता हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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