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कॉलेजियम की सिफारिश वाले नामों को मंजूरी देने में केंद्र के रवैये पर SC ने कहा- 'इससे अच्छा संदेश नहीं जाता'

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देने में केंद्र के रवैये को मनमाफिक तरीके से चयन वाला बताया. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता. सुमित सक्सेना की रिपोर्ट. Doesnt send a good signal, SC to Centre.

SC to Centre
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 20, 2023, 9:19 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र द्वारा 'पिक एंड चूज़' के मुद्दे को दोहराया. पीठ ने कहा कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वरिष्ठ उम्मीदवारों में से एक के नाम को पहली बार में मंजूरी नहीं दी गई थी और इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया गया था.

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि अदालत की जानकारी के अनुसार स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों के 11 नामों में से पांच को स्थानांतरित कर दिया गया है लेकिन छह अभी भी लंबित हैं. इनमें चार गुजरात उच्च न्यायालय से और एक इलाहाबाद और दिल्ली के प्रत्येक उच्च न्यायालय से हैं.

एजी ने पीठ से मामले को एक सप्ताह के लिए टालने का आग्रह किया. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत नहीं है और उन्होंने सरकार से चुनिंदा तबादलों से परहेज करने को कहा. उन्होंने कहा, 'आप क्या मैसेज देंगे जब अनुशंसित तबादलों में से गुजरात के 4 न्यायाधीशों का स्थानांतरण ही नहीं किया गया है?'

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश पद के लिए हाल ही में अनुशंसित नामों में से आठ को मंजूरी नहीं दी गई है और इनमें से कुछ न्यायाधीश उन लोगों से वरिष्ठ हैं जिनकी नियुक्ति की गई है. पीठ ने कहा कि सरकार तबादलों के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों के संबंध में 'पिक एंड चूज' नीति का पालन कर रही है. इस बात पर जोर दिया कि समस्या तब उत्पन्न होती है जब चयनात्मक नियुक्ति होती है क्योंकि लोग अपनी वरिष्ठता खो देते हैं.

सुनवाई के दौरान पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि हाल ही में नियुक्त गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के शपथ ग्रहण में देरी हुई क्योंकि केंद्र ने एक अन्य वरिष्ठ उम्मीदवार के नाम को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, जिसे कॉलेजियम ने न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित किया था.

पीठ ने कहा, 'गौहाटी में वरिष्ठ उम्मीदवारों में से एक के नाम को पहली बार में मंजूरी नहीं दी गई थी. इसे गंभीरता से लिया गया और सरकार को उक्त व्यक्ति की नियुक्ति जारी करने की सुविधा देने के लिए दूसरे को शपथ दिलाने में देरी की गई.'

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिस पर उसने पहले टिप्पणी की थी कि यदि किसी उम्मीदवार को यह नहीं पता है कि न्यायाधीश के रूप में उसकी वरिष्ठता क्या होगी, तो अन्य योग्य और योग्य उम्मीदवारों को राजी करना मुश्किल हो जाता है. पीठ ने कॉलेजियम द्वारा की गई कुछ पुरानी सिफारिशों का हवाला दिया और कहा कि इसमें वे नाम शामिल हैं जिन्हें या तो एक या दो बार दोहराया गया है.

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न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि अदालत की जानकारी के अनुसार स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों के 11 नामों में से पांच को स्थानांतरित कर दिया गया है लेकिन छह अभी भी लंबित हैं. इनमें चार गुजरात उच्च न्यायालय से और एक इलाहाबाद और दिल्ली के प्रत्येक उच्च न्यायालय से हैं.

एजी ने पीठ से मामले को एक सप्ताह के लिए टालने का आग्रह किया. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि यह एक अच्छा संकेत नहीं है और उन्होंने सरकार से चुनिंदा तबादलों से परहेज करने को कहा. उन्होंने कहा, 'आप क्या मैसेज देंगे जब अनुशंसित तबादलों में से गुजरात के 4 न्यायाधीशों का स्थानांतरण ही नहीं किया गया है?'

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश पद के लिए हाल ही में अनुशंसित नामों में से आठ को मंजूरी नहीं दी गई है और इनमें से कुछ न्यायाधीश उन लोगों से वरिष्ठ हैं जिनकी नियुक्ति की गई है. पीठ ने कहा कि सरकार तबादलों के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों के संबंध में 'पिक एंड चूज' नीति का पालन कर रही है. इस बात पर जोर दिया कि समस्या तब उत्पन्न होती है जब चयनात्मक नियुक्ति होती है क्योंकि लोग अपनी वरिष्ठता खो देते हैं.

सुनवाई के दौरान पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि हाल ही में नियुक्त गौहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के शपथ ग्रहण में देरी हुई क्योंकि केंद्र ने एक अन्य वरिष्ठ उम्मीदवार के नाम को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, जिसे कॉलेजियम ने न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित किया था.

पीठ ने कहा, 'गौहाटी में वरिष्ठ उम्मीदवारों में से एक के नाम को पहली बार में मंजूरी नहीं दी गई थी. इसे गंभीरता से लिया गया और सरकार को उक्त व्यक्ति की नियुक्ति जारी करने की सुविधा देने के लिए दूसरे को शपथ दिलाने में देरी की गई.'

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिस पर उसने पहले टिप्पणी की थी कि यदि किसी उम्मीदवार को यह नहीं पता है कि न्यायाधीश के रूप में उसकी वरिष्ठता क्या होगी, तो अन्य योग्य और योग्य उम्मीदवारों को राजी करना मुश्किल हो जाता है. पीठ ने कॉलेजियम द्वारा की गई कुछ पुरानी सिफारिशों का हवाला दिया और कहा कि इसमें वे नाम शामिल हैं जिन्हें या तो एक या दो बार दोहराया गया है.

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