बेंगलुरू : कर्नाटक के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आनंद सिंह (Minister of Tourism and Environment Anand Singh ) ने स्पष्ट किया है कि डोडा गणपति मंदिर में घंटी कम करने के लिए पर्यावरण विभाग (Environment Department to reduce the bell ) की ओर से कोई नोटिस जारी नहीं किया गया ( no notice has been issued ) है.
इससे पहले खबर आयी थी कि बसावनगुडी पुलिस (Basavangudi Police) ने शहर के एक डोडा गणपति मंदिर (Doddaganesha Temple) के प्रशासनिक कर्मचारियों को यहां की घंटियों के बजने के कारण उच्च डेसिबल शोर (high decibel noise due to the ringing of the bells) पर नोटिस दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार बेंगलुरू के बसवनागुडी डोडा गणपति (Bangalore's Basavanagudi Doddaganapati temple) मंदिर में घंटी की तेज आवाज के लिए नोटिस जारी किया गया है. इसी को लेकर मंत्री ने जवाब दिया और कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में मैंने विभाग के सचिव से बात की है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है.
कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बेंगलुरू दक्षिण क्षेत्रीय कार्यालय ने कोई आदेश जारी नहीं किया है. मंत्री ने कहा कि बेंगलुरू शहर दक्षिण क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है जैसा कि पुलिस नोटिस में उल्लेख किया गया है.
गौरतलब है कि इससे पहले खबर आयी थी कि बसावनगुडी पुलिस (Basavangudi Police) ने शहर के एक डोड्डागणेश मंदिर (Doddaganesha Temple) के प्रशासनिक कर्मचारियों को यहां की घंटियों के बजने के कारण उच्च डेसिबल शोर (high decibel noise due to the ringing of the bells) पर नोटिस दिया है. मंदिर को ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एम्पलीफायरों के उपयोग को रोकने के लिए निर्देशित किया गया है.
नोटिस के अनुसार मंदिर के प्रशासनिक कर्मचारी चेतावनी पर ध्यान देने में विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. डोड्डागणेश मंदिर के परिसर में भगवान गणेश (Lord Ganesha), मिंटो अंजनेय स्वामी (Minto Anjaneya Swamy), करंजी अंजनेस्वामी मंदिर(Karanji Anjaneyaswamy Temple), डोड्डा बसवन्ना मंदिर (Dodda Basavanna Temple) सहित अन्य को समर्पित मंदिर हैं. यह प्राचीन मंदिर हैं. इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि 500 साल से अधिक पुराने इस मंदिर का इतिहास टीपू सुल्तान से भी जुड़ा है.