हैदराबाद : डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन कभी-कभी ऐसे मामले सामने आते हैं जब उनकी घोर लापरवाही उजागर होती है. ऐसा ही एक मामला तेलंगाना के जहीराबाद के सरकारी अस्पताल में सामने आया है. यहां के डॉक्टरों ने एक बेहोश महिला को 'मृत' घोषित कर दिया. परिजन जब उसे दूसरे अस्पताल ले गए तो पता चला वह जीवित है. घटना मई महीने की है.
संगारेड्डी जिले के जहीराबाद अंचल के चिन्ना हैदराबाद गांव की चित्रा (20) सात मई को अपने ससुराल में बेहोश हो गई. पति ने उसके माता-पिता को सूचना दी और उसे जहीराबाद के क्षेत्रीय अस्पताल ले गया. आरोप है कि जनरल सर्जन डॉ. संतोष ने उसकी जांच की और पुष्टि की कि वह मर चुकी है. साथ ही अस्पताल के रजिस्टर पर लिखा कि मरीज 'मृत' लाया गया था.
अर्चना के परिवार को विश्वास नहीं हुआ तो तब वे अपनी बेटी को संगारेड्डी जिले के एक निजी अस्पताल ले गए. डॉक्टरों ने उसकी जांच की और कहा कि वह जीवित है. फिर उन्होंने उसका इलाज किया और वह ठीक हो गई. उसे 22 मई को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई. 28 मई को एक सप्ताह के बाद, उन्होंने एक बार फिर उसकी जांच की और पुष्टि की कि वह पूरी तरह से स्वस्थ है. अर्चना के माता-पिता का कहना है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर विश्वास किया और उसे वहां ले गए. वे इस बात से नाराज थे कि डॉक्टर ने उनकी बेटी को जीवित रहते 'कागजों पर मार' दिया. उन्होंने कहा कि उनकी लापरवाही के कारण वे अपनी बेटी खो सकते थे.
रजिस्टर पर कागज का टुकड़ा चिपकाकर लिखा मरीज रेफर : पीड़ित आवाज उठा रहे हैं कि उन्होंने एक सरकारी डॉक्टर की लापरवाही के चलते एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च किए हैं. उन्होंने न्याय की मांग की है. गौरतलब है कि अस्पताल के रजिस्टर में जिस पेज पर लिखा था कि अर्चना की मौत हो गई है... कागज का एक नया टुकड़ा चिपका दिया गया. साथ ही उस पर लिख दिया गया कि उसे दूसरे अस्पताल रेफर किया गया.
अस्पताल अधीक्षक ने ये दी सफाई : इस मामले में अस्पताल अधीक्षक शेषु पद्मनाभ राव ने कहा कि 'जब युवती बेहोशी की हालत में अस्पताल लाई गई तो ड्यूटी डॉक्टर ने ईसीजी लिया. साथ ही लिखा कि सिंगल पल्स लाइन की वजह से उसकी मौत हुई है. जब उसके माता-पिता रोने लगे तो हमने फिर से उसका ईसीजी लिया. इस बार उसकी पल्स मिल गई, जिस पर हमने रजिस्टर का कागज फाड़कर उसे दूसरे अस्पताल रेफर करने की इंट्री कर दी. केवल मृत लाए जाने की पुरानी रसीद समझकर डॉक्टरों पर आरोप लगाना ठीक नहीं है.'