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मिजोरम के विस्थापित ब्रू परिवारों को त्रिपुरा में मिला स्थायी आशियाना

साल 1996 में हुए जातीय संघर्ष के चलते मिजोरम के कई ब्रू परिवारों को अपना पैतृक घर-बार छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद 1997 से त्रिपुरा में हजारों ब्रू लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. अब उनकी संख्या बढ़कर 37,136 हो गयी है. इस समुदाय की शरणार्थी समस्या का स्थायी हल प्रदान करने के लिए सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की थी. अब उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर उपंसभाग के नयसिंहपारा शिविर में रहे रहे 92 परिवारों के कुल 426 लोग धलाई जिले के हडुकलाऊ में लाये गये हैं जहां उन्हें पक्का मकान बनाने के लिए जमीन और पैसे मिले है.

ब्रू परिवार
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Published : Sep 12, 2021, 5:33 PM IST

अगरतला : साल 1996 में हुए जातीय संघर्ष के चलते मिजोरम के कई ब्रू परिवारों को अपना पैतृक घर-बार छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद 1997 से हजारों ब्रू लोग त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे हैं. अब उनकी संख्या बढ़कर 37,136 हो गयी है. इस समुदाय की शरणार्थी समस्या का स्थायी हल प्रदान करने के लिए सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की थी. अब उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर उपंसभाग के नयसिंहपारा शिविर में रह रहे 92 परिवारों के कुल 426 लोग धलाई जिले के हडुकलाऊ में लाये गये हैं जहां उन्हें पक्का मकान बनाने के लिए जमीन और पैसे मिले हैं.

जातीय संघर्ष (Ethnic conflicts) के कारण 24 साल पहले मिजोरम के मामित जिला (Mizoram’s Mamit district) स्थित अपना घर-बार छोड़ पलायन कर गई और त्रिपुरा में उत्तरी त्रिपुरा जिले के एक शरणार्थी शिविर में शरण लेने वाली ब्रू जनजातीय समुदाय की 40 वर्षीय महिला लक्सिति रियांग (Laksiti Reang) को आखिरकार इसी राज्य के धलाई जिले (Dhalai district) के एक आदिवासी बहुल क्षेत्र (A tribal hamlet) में स्थायी आशियाना मिल गया है.

वह अपने परिवार के चार सदस्यों के साथ सभी जरूरी सुविधाओं से लैस अपने मकान में रह रही हैं. यह मकान केंद्र सरकार द्वारा मंजूर राहत पैकेज के पैसे से बना है. अप्रैल के तीसरे सप्ताह में 400 से अधिक ब्रू लोगों ने सरकार द्वारा प्रदत्त जमीन पर घर बनाने के लिए राहत शिविर छोड़ा था. इस समुदाय की शरणार्थी समस्या का स्थायी हल प्रदान करने के लिए सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की थी.

दरअसल, साल 1996 में ब्रू और बहुसंख्यक मिजो समुदाय के बीच सांप्रदायिक दंगा हुआ था. त्रिपुरा में 1997 से हजारों ब्रू लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. उन्होंने जातीय संघर्ष के चलते मिजोरम में अपना पैतृक घर-बार छोड़ा था. अब उनकी संख्या बढ़कर 37,136 हो गयी है.

एक अधिकारी ने बताया कि उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर उपंसभाग के नयसिंहपारा शिविर में रहे रहे 92 परिवारों के कुल 426 लोग धलाई जिले के हडुकलाऊ में लाये गये हैं. लक्सिति रियांग ने पत्रकारों से कहा, हमें अपना घर बनाने के लिए जमीन और पैसे मिले. अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय हमारे बच्चों के लिए खोले गये हैं और हमें प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि हमें सब्सिडी वाला राशन भी दिया जाएगा.

ये लोग समुदाय के प्रथम समूह हैं, जिनका पुनर्वास कराया गया है. इस संबंध में पिछले साल इस समुदाय के प्रतिनिधियों, केंद्र, त्रिपुरा एवं मिजोरम की सरकारों के बीच एक समझौता हुआ था.

इसके तहत पुनर्वास किये जाने वाले हर परिवार को मकान के लिए 1200 वर्गफुट भूखंड और डेढ लाख रूपये दिये जाएंगे.

पढ़ें : शरणार्थी शिविरों में बुनियादी सुविधाएं देने को लेकर दिल्ली सरकार को HC का आदेश

मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा, ''23 वर्षों से निर्वासित ब्रू आदिवासियों को बसाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया एवं इस समस्या का हल करने के लिए काम किया.

(पीटीआई-भाषा)

अगरतला : साल 1996 में हुए जातीय संघर्ष के चलते मिजोरम के कई ब्रू परिवारों को अपना पैतृक घर-बार छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद 1997 से हजारों ब्रू लोग त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे हैं. अब उनकी संख्या बढ़कर 37,136 हो गयी है. इस समुदाय की शरणार्थी समस्या का स्थायी हल प्रदान करने के लिए सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की थी. अब उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर उपंसभाग के नयसिंहपारा शिविर में रह रहे 92 परिवारों के कुल 426 लोग धलाई जिले के हडुकलाऊ में लाये गये हैं जहां उन्हें पक्का मकान बनाने के लिए जमीन और पैसे मिले हैं.

जातीय संघर्ष (Ethnic conflicts) के कारण 24 साल पहले मिजोरम के मामित जिला (Mizoram’s Mamit district) स्थित अपना घर-बार छोड़ पलायन कर गई और त्रिपुरा में उत्तरी त्रिपुरा जिले के एक शरणार्थी शिविर में शरण लेने वाली ब्रू जनजातीय समुदाय की 40 वर्षीय महिला लक्सिति रियांग (Laksiti Reang) को आखिरकार इसी राज्य के धलाई जिले (Dhalai district) के एक आदिवासी बहुल क्षेत्र (A tribal hamlet) में स्थायी आशियाना मिल गया है.

वह अपने परिवार के चार सदस्यों के साथ सभी जरूरी सुविधाओं से लैस अपने मकान में रह रही हैं. यह मकान केंद्र सरकार द्वारा मंजूर राहत पैकेज के पैसे से बना है. अप्रैल के तीसरे सप्ताह में 400 से अधिक ब्रू लोगों ने सरकार द्वारा प्रदत्त जमीन पर घर बनाने के लिए राहत शिविर छोड़ा था. इस समुदाय की शरणार्थी समस्या का स्थायी हल प्रदान करने के लिए सरकार ने उन्हें जमीन आवंटित की थी.

दरअसल, साल 1996 में ब्रू और बहुसंख्यक मिजो समुदाय के बीच सांप्रदायिक दंगा हुआ था. त्रिपुरा में 1997 से हजारों ब्रू लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. उन्होंने जातीय संघर्ष के चलते मिजोरम में अपना पैतृक घर-बार छोड़ा था. अब उनकी संख्या बढ़कर 37,136 हो गयी है.

एक अधिकारी ने बताया कि उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर उपंसभाग के नयसिंहपारा शिविर में रहे रहे 92 परिवारों के कुल 426 लोग धलाई जिले के हडुकलाऊ में लाये गये हैं. लक्सिति रियांग ने पत्रकारों से कहा, हमें अपना घर बनाने के लिए जमीन और पैसे मिले. अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय हमारे बच्चों के लिए खोले गये हैं और हमें प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि हमें सब्सिडी वाला राशन भी दिया जाएगा.

ये लोग समुदाय के प्रथम समूह हैं, जिनका पुनर्वास कराया गया है. इस संबंध में पिछले साल इस समुदाय के प्रतिनिधियों, केंद्र, त्रिपुरा एवं मिजोरम की सरकारों के बीच एक समझौता हुआ था.

इसके तहत पुनर्वास किये जाने वाले हर परिवार को मकान के लिए 1200 वर्गफुट भूखंड और डेढ लाख रूपये दिये जाएंगे.

पढ़ें : शरणार्थी शिविरों में बुनियादी सुविधाएं देने को लेकर दिल्ली सरकार को HC का आदेश

मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा, ''23 वर्षों से निर्वासित ब्रू आदिवासियों को बसाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया एवं इस समस्या का हल करने के लिए काम किया.

(पीटीआई-भाषा)

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