चंडीगढ़ : पंजाब मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहली कैबिनेट से उम्मीद थी कि बड़े फैसले लिए जाएंगे क्योंकि बार-बार यही कहा जा रहा था कि जो कि पंजाब के अहम मुद्दे हैं उन पर चर्चा की जाएगी, लेकिन साेमवार की बैठक में भी कुछ खास नहीं हुआ.
सिर्फ किसानों के मुद्दे को लेकर चर्चा हुई जहां पर सरकार ने कहा कि वह किसानों के साथ है और केंद्र सरकार से फिर से अपील की जाएगी कि तीन कृषि कानूनों पर जो बातचीत रुकी हुई है वह दोबारा से शुरू की जाए.
पंजाब के कैबिनेट मंत्री जैसे दोहरा रहे हैं यह आम जनता की सरकार है आम पंजाबी की सरकार है लेकिन इस पर भी कई सवाल उठते हैं कि अगर आम आदमी की सरकार है तो फैसले क्यों नहीं लिए जा रहे क्योंकि कुछ एजेंडे आज की बैठक में उठाए जा सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
कैबिनेट मंत्री अमरिंदर सिंह राजा ने कहा कि कैबिनेट में सिर्फ यही मुद्दा आया कि कैसे कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार से अपील की जाए कि दोबारा किसानाें और केंद्र सरकार के बीच बातचीत शुरू की जाए.
दूसरा एजेंडा यही रहा कि किसानों के भारत बंद को लेकर उसका समर्थन किया है, वहीं पंजाब भर में जहां पर भी किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं वहां कैबिनेट मंत्री जाएंगे. हर कैबिनेट मंत्री को जिला अलॉट किया जाएगा. कानून के मुताबिक 5 लाख रुपये का मुआवजा चेक के जरिए दिए जाएंगे.
किसानों से पंजाब सरकार बात करेगी कि किसानों को सरकार से क्या उम्मीद है. वह क्या चाह रही है इसको लेकर सड़क से लेकर संसद तक उनके लिए लड़ेंगे और अगर वह चाहेंगे कि कानून का दरवाजा खटखटाना है तो वह भी किसान के साथ मिलकर सरकार करेगी. अगर वह कहेंगे कि विधानसभा के अंदर कोई संशोधन दोबारा से लेकर आना है तो वह भी सरकार लेकर आएगी.
किसान मोर्चे को लेकर पंजाब सरकार और पंजाब कांग्रेस अपील करती है कि संयुक्त किसान मोर्चा हमें बताएं कि उनसे का बैठक की जा सकती है.
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