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सांप्रदायिकता को ठेंगा दिखा रहे दिलशान, बिना धर्म देख लावारिस शवों का करते हैं अंतिम संस्कार, बन रहे नजीर - Dilshan Hussain performs last rites of unclaimed

Dilshan Hussain performs last rites of unclaimed श्रीनगर के दिलशान हुसैन गरीब और लावारिस शवों के 'वारिस' हैं. वे लावारिस लाशों को मोक्ष दिलाते हैं. ऐसे में पुलिस भी उनकी अक्सर मदद लेती है. दिलशान पिछले 15 सालों से सैड़कों गरीब और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

Dilshan Hussain
दिलशान हुसैन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 18, 2023, 7:59 PM IST

Updated : Dec 18, 2023, 10:39 PM IST

सांप्रदायिकता को ठेंगा दिखा रहे श्रीनगर के दिलशान हुसैन.

श्रीनगर (उत्तराखंड): मानवता का कोई चेहरा, कोई धर्म नहीं होता. ऐसा ही कुछ उत्तरांखड के श्रीनगर गढ़वाल में देखने को मिल रहा है. श्रीनगर गढ़वाल में मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दिलशान हुसैन गरीब और लावारिस शवों का दाह संस्कार कर मानवता की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं. 42 वर्षीय दिलशान हुसैन करीब 15 सालों से लावारिस शवों का धार्मिक कर्मकांड के अनुसार उनका दाह संस्कार करते हैं.

आज जब देश में हिंदू-मुस्लिम के नाम की बहस छिड़ी है. हिंदू-मुस्लिम के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. वहीं, इन सबके बीच श्रीनगर के दिलशान भाईचारे की मिशाल पेश कर रहे हैं. दिलशान अब तक बिना किसी स्वार्थ के सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. पुलिस से लेकर स्थानीय लोग हमेशा दिलशान की मदद लेते हैं. इस सेवा के रूप में दिलशान ने आजतक कभी कोई शुल्क नहीं लिया. वे ये सब मानवता के नाते करते हैं.

हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पुलिस लावारिस शवों की कार्रवाई में शवों को घाट तक पहुंचाती है. जिसके बाद दिलशान हुसैन ही धार्मिक कर्मकांडों के अनुसार पंडित, लकड़ी की व्यवस्था और शव को मुखाग्नि देने का काम करते हैं. दिलशान ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया उन्हें इस कार्य की प्रेरणा अपने पिता स्व. इंतजार हुसैन से मिली. वे भी मानवीय कार्यों में आगे रहा करते थे. दिलशान कहते हैं पुलिस द्वारा ही उन्हें लावारिस शवों जानकारियां दी जाती है. जिसके बाद वे मदद के लिए पहुंच जाते हैं. उन्होंने बताया उनके इस नेक कार्य के लिए उनके धर्म से जुड़े लोग भी उनका खूब मनोबल बढ़ाते हैं. दिलशान ने बताया उन्हें लोगों की मदद करना अच्छा लगता है.

ये भी पढ़ेंः ये मसीहा कर चुका है 1400 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार, ऐसे शुरू हुआ था नेकी का सिलसिला

दिलशान के दोस्त नरेंद्र जैन बताते हैं कि दिलशान के द्वारा किए जा रहे कार्य से वे बेहद खुश हैं. 'राम की मदद के लिए रहीम' वाली कहावत को दिलशान निभा रहे हैं. इससे उन्हें खुशी के साथ गर्व भी होता है. श्रीनगर कोतवाली के इंस्पेक्टर विनोद गुसाईं द्वारा बताया गया कि कीर्तिनगर पुलिस और श्रीनगर पुलिस दिलशान की मदद लेती है. दिलशान चिता लगाने से लेकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में हमेशा पुलिस की मदद करते हैं. यह उनका मानवीय चेहरा बताता है.

सांप्रदायिकता को ठेंगा दिखा रहे श्रीनगर के दिलशान हुसैन.

श्रीनगर (उत्तराखंड): मानवता का कोई चेहरा, कोई धर्म नहीं होता. ऐसा ही कुछ उत्तरांखड के श्रीनगर गढ़वाल में देखने को मिल रहा है. श्रीनगर गढ़वाल में मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले दिलशान हुसैन गरीब और लावारिस शवों का दाह संस्कार कर मानवता की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं. 42 वर्षीय दिलशान हुसैन करीब 15 सालों से लावारिस शवों का धार्मिक कर्मकांड के अनुसार उनका दाह संस्कार करते हैं.

आज जब देश में हिंदू-मुस्लिम के नाम की बहस छिड़ी है. हिंदू-मुस्लिम के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. वहीं, इन सबके बीच श्रीनगर के दिलशान भाईचारे की मिशाल पेश कर रहे हैं. दिलशान अब तक बिना किसी स्वार्थ के सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. पुलिस से लेकर स्थानीय लोग हमेशा दिलशान की मदद लेते हैं. इस सेवा के रूप में दिलशान ने आजतक कभी कोई शुल्क नहीं लिया. वे ये सब मानवता के नाते करते हैं.

हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पुलिस लावारिस शवों की कार्रवाई में शवों को घाट तक पहुंचाती है. जिसके बाद दिलशान हुसैन ही धार्मिक कर्मकांडों के अनुसार पंडित, लकड़ी की व्यवस्था और शव को मुखाग्नि देने का काम करते हैं. दिलशान ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया उन्हें इस कार्य की प्रेरणा अपने पिता स्व. इंतजार हुसैन से मिली. वे भी मानवीय कार्यों में आगे रहा करते थे. दिलशान कहते हैं पुलिस द्वारा ही उन्हें लावारिस शवों जानकारियां दी जाती है. जिसके बाद वे मदद के लिए पहुंच जाते हैं. उन्होंने बताया उनके इस नेक कार्य के लिए उनके धर्म से जुड़े लोग भी उनका खूब मनोबल बढ़ाते हैं. दिलशान ने बताया उन्हें लोगों की मदद करना अच्छा लगता है.

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दिलशान के दोस्त नरेंद्र जैन बताते हैं कि दिलशान के द्वारा किए जा रहे कार्य से वे बेहद खुश हैं. 'राम की मदद के लिए रहीम' वाली कहावत को दिलशान निभा रहे हैं. इससे उन्हें खुशी के साथ गर्व भी होता है. श्रीनगर कोतवाली के इंस्पेक्टर विनोद गुसाईं द्वारा बताया गया कि कीर्तिनगर पुलिस और श्रीनगर पुलिस दिलशान की मदद लेती है. दिलशान चिता लगाने से लेकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में हमेशा पुलिस की मदद करते हैं. यह उनका मानवीय चेहरा बताता है.

Last Updated : Dec 18, 2023, 10:39 PM IST
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