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बड़े अस्पतालों और 8000 ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की देखभाल के लिए डिजिटल स्वास्थ्य पहल : विशेषज्ञ - rural health centers

आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को लेकर प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत न केवल बड़े अस्पतालों में बल्कि देश भर में फैले 8000 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से भी लोगों की देखभाल कर सकता है.

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Published : Sep 27, 2021, 9:22 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा सोमवार को आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (Ayushman Bharat Digital Health Mission ) की शुरुआत ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक नया रास्ता खोल दिया.

पीएम मोदी की घोषणा को लेकर प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत न केवल बड़े अस्पतालों में बल्कि देश भर में फैले 8000 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से भी लोगों की देखभाल कर सकता है.

एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष (president of Asian Society of Emergency Medicine) डॉ तामोरिश कोले ने कहा, 'नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन प्रोजेक्ट का इरादा मरीजों, प्रदाताओं, क्लीनिकों और यहां तक ​​कि फार्मेसियों के लिए डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को जोड़ने वाला एक खुला, इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म बनाना है.'

विश्व स्तर पर 3.8 बिलियन से अधिक लोग अपनी आवश्यक निवारक, उपचारात्मक, पुनर्वास और उपशामक स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच सकते हैं. डॉ कोले ने कहा, 'डिजिटल कनेक्टिविटी (digital connectivity ) की कमी और वित्तीय कठिनाइयों (financial hardships) के कारण कई लोग ऐसी सुविधाओं से वंचित थे.'

उन्होंने कहा कि जब भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के रूप में अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत की यात्रा शुरू की, तो डिजिटल एकीकरण की अत्यधिक आवश्यकता थी. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को की थी.

वर्तमान में मिशन को छह केंद्र शासित प्रदेशों में पायलट चरण में लागू किया जा रहा है.

कोले ने कहा, 'मिशन का उद्देश्य डिजिटल हेल्थ इको सिस्टम के भीतर सूचना-साझाकरण को सक्षम करने के लिए एक सहज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाना है.'

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन की शुरुआत की और कहा कि इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की ताकत है.इस डिजिटल मिशन के तहत लोगों को डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड दर्ज होगा.

प्रधानमंत्री ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी. वर्तमान में इस योजना को छह केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभिक चरण में लागू किया जा रहा है.

आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने गरीब के जीवन की बहुत बड़ी चिंता दूर की है. अभी तक दो करोड़ से अधिक देशवासियों ने इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है. इसमें भी आधी लाभार्थी, हमारी माताएं, बहनें, बेटियां हैं.'

उन्होंने कहा, 'आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन के तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी. हर नागरिक का स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेगा.'

मोदी ने कहा, 'आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अस्पतालों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ ही रहन-सहन की सुगमता को भी बढ़ाएगा.'

पढ़ें - देश के हर नागरिक को मिलेगा डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र : मोदी

उन्होंने कहा, 'वर्तमान में अस्पतालों में प्रौद्योगिकी का जो इस्तेमाल होता है, वो फिलहाल सिर्फ एक ही अस्पताल तक या एक ही समूह तक सीमित रहता है. नए अस्पताल या नए शहर में जब मरीज़ जाता है, तो उसको फिर से उसी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है.... सभी नागरिकों को इस तरह की परेशानी से मुक्ति दिलाने में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन बड़ी भूमिका निभाएगा.'

उनके मुताबिक, 'इस मिशन का सबसे बड़ा लाभ देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को होगा. एक सुविधा तो ये होगी कि मरीज़ को देश में कहीं पर भी ऐसा डॉक्टर ढूंढने में आसानी होगी, जो उसकी भाषा भी जानता और समझता है और उसकी बीमारी के उत्तम से उत्तम उपचार का वो अनुभवी है. इससे मरीजों को देश के किसी कोने में भी उपस्थित विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करने की सलूहियत बढ़ेगी. बेहतर जांच के लिए लैब और दवा दुकानों की भी पहचान आसानी से संभव हो पाएगी.'

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 'अब भारत में एक ऐसे स्वास्थ्य मॉडल पर काम जारी है जो समग्र हो और समावेशी भी हो. एक ऐसा मॉडल, जिसमें बीमारियों से बचाव पर जोर हो, - यानी रोकथाम संबंधी स्वास्थ्य सेवा हो, बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ हो, सस्ता हो और उस तक सबकी पहुंच हो.'

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा सोमवार को आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (Ayushman Bharat Digital Health Mission ) की शुरुआत ने भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक नया रास्ता खोल दिया.

पीएम मोदी की घोषणा को लेकर प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत न केवल बड़े अस्पतालों में बल्कि देश भर में फैले 8000 ग्रामीण स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से भी लोगों की देखभाल कर सकता है.

एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष (president of Asian Society of Emergency Medicine) डॉ तामोरिश कोले ने कहा, 'नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन प्रोजेक्ट का इरादा मरीजों, प्रदाताओं, क्लीनिकों और यहां तक ​​कि फार्मेसियों के लिए डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को जोड़ने वाला एक खुला, इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म बनाना है.'

विश्व स्तर पर 3.8 बिलियन से अधिक लोग अपनी आवश्यक निवारक, उपचारात्मक, पुनर्वास और उपशामक स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं पहुंच सकते हैं. डॉ कोले ने कहा, 'डिजिटल कनेक्टिविटी (digital connectivity ) की कमी और वित्तीय कठिनाइयों (financial hardships) के कारण कई लोग ऐसी सुविधाओं से वंचित थे.'

उन्होंने कहा कि जब भारत ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के रूप में अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत की यात्रा शुरू की, तो डिजिटल एकीकरण की अत्यधिक आवश्यकता थी. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को की थी.

वर्तमान में मिशन को छह केंद्र शासित प्रदेशों में पायलट चरण में लागू किया जा रहा है.

कोले ने कहा, 'मिशन का उद्देश्य डिजिटल हेल्थ इको सिस्टम के भीतर सूचना-साझाकरण को सक्षम करने के लिए एक सहज ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाना है.'

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन की शुरुआत की और कहा कि इसमें स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की ताकत है.इस डिजिटल मिशन के तहत लोगों को डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड दर्ज होगा.

प्रधानमंत्री ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट परियोजना की घोषणा की थी. वर्तमान में इस योजना को छह केंद्र शासित प्रदेशों में प्रारंभिक चरण में लागू किया जा रहा है.

आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने गरीब के जीवन की बहुत बड़ी चिंता दूर की है. अभी तक दो करोड़ से अधिक देशवासियों ने इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है. इसमें भी आधी लाभार्थी, हमारी माताएं, बहनें, बेटियां हैं.'

उन्होंने कहा, 'आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन के तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी. हर नागरिक का स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेगा.'

मोदी ने कहा, 'आयुष्मान भारत- डिजिटल मिशन, अस्पतालों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ ही रहन-सहन की सुगमता को भी बढ़ाएगा.'

पढ़ें - देश के हर नागरिक को मिलेगा डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र : मोदी

उन्होंने कहा, 'वर्तमान में अस्पतालों में प्रौद्योगिकी का जो इस्तेमाल होता है, वो फिलहाल सिर्फ एक ही अस्पताल तक या एक ही समूह तक सीमित रहता है. नए अस्पताल या नए शहर में जब मरीज़ जाता है, तो उसको फिर से उसी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है.... सभी नागरिकों को इस तरह की परेशानी से मुक्ति दिलाने में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन बड़ी भूमिका निभाएगा.'

उनके मुताबिक, 'इस मिशन का सबसे बड़ा लाभ देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को होगा. एक सुविधा तो ये होगी कि मरीज़ को देश में कहीं पर भी ऐसा डॉक्टर ढूंढने में आसानी होगी, जो उसकी भाषा भी जानता और समझता है और उसकी बीमारी के उत्तम से उत्तम उपचार का वो अनुभवी है. इससे मरीजों को देश के किसी कोने में भी उपस्थित विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करने की सलूहियत बढ़ेगी. बेहतर जांच के लिए लैब और दवा दुकानों की भी पहचान आसानी से संभव हो पाएगी.'

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 'अब भारत में एक ऐसे स्वास्थ्य मॉडल पर काम जारी है जो समग्र हो और समावेशी भी हो. एक ऐसा मॉडल, जिसमें बीमारियों से बचाव पर जोर हो, - यानी रोकथाम संबंधी स्वास्थ्य सेवा हो, बीमारी की स्थिति में इलाज सुलभ हो, सस्ता हो और उस तक सबकी पहुंच हो.'

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