रुड़की : राज्यसभा में 20 जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया था कि स्वास्थ्य मंत्रालय को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ऑक्सीजन की कमी से एक भी कोविड-19 संक्रमित की मौत नहीं हुई है. सरकार के इस बयान के बाद उन लोगों ने सवाल खड़े किए जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी से अपनों को मरते देखा. सोशल मीडिया पर लोगों ने उनकी तस्वीरें भी शेयर की.
इसी कड़ी में 'ईटीवी भारत' ने ये जानने की कोशिश की कि मई महीने में रुड़की के एक निजी अस्पताल में एक साथ 5 मौतों की हकीकत क्या थी? उस दौरान अस्पताल प्रशासन ने मौतों का कारण ऑक्सीजन का खत्म होना बताया था. अस्पताल प्रशासन का कहना था कि ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना पहले ही दे दी गई थी. इस गंभीर मामले पर हरिद्वार डीएम सी रविशंकर ने तुरंत मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए थे.
दो महीने बाद सामने आया सच? घटना के 2 महीने बाद ईटीवी भारत को विनय विशाल हॉस्पिटल से कुछ खास जानकारी हासिल हुई है. अस्पताल के डॉ. विशाल ने माना है कि, 'हां हमारे यहां यह घटना हुई थी उस वक्त हम लोग बेहद होपलेस हो गए थे. पूरा स्टाफ परेशान था कि अचानक पांच मौतें कैसे हो गईं. लिहाजा उस वक्त हमने तमाम जगहों पर यही बताया था कि ऑक्सीजन की कमी से ये मौतें हुई हैं. क्योंकि हम लगातार प्रशासन को इस बात से आगाह करवा रहे थे कि ऑक्सीजन हमारे पास कुछ समय के लिए ही बची है. लिहाजा जब यह 5 मौतें हुई तो हमें भी यही लगा कि मौतें ऑक्सीजन की कमी से हुई हैं.'
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क्या ऑक्सीजन की कमी थी मौत का कारण: डॉ. विशाल ने बताया कि, 'इस पूरे मामले पर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश हुए थे. लिहाजा उस वक्त अस्पताल में मजिस्ट्रेट और डॉक्टरों की टीम ने पूरे हालातों को देखा था. ऐसे में हमने इस गलती को स्वीकार किया था कि 5 में से 3 मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं, बल्कि उससे पहले हो गई थीं. जबकि 2 मौतें ऑक्सीजन की कमी से हुई थीं'. इस दौरान ईटीवी भारत ने डॉ. विशाल से फोन पर बातचीत करके एक बार फिर दोहराया कि क्या यह 2 मौतें ऑक्सीजन की कमी से हुई थीं, जिस पर डॉ. विशाल ने पुष्टि करते हुए कहा कि 'हां दो मौतें ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई थीं.'
इसके बाद डॉ. विशाल कहते हैं कि, 'मजिस्ट्रेट जांच में क्या हुआ है, क्या नहीं, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है. हां इतना जरूर है कि एक नोटिस हमारे पास जरूर आया था, जिसका जवाब हमने यही दिया था कि तीन मौतें पहले हो चुकी थी, जबकि 2 मौतें ऑक्सीजन की कमी से हुईं'.
क्या कहती हैं जांच अधिकारी: इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने जांच करने वाली अधिकारी नमामि बंसल से भी बातचीत की तो उन्होंने बताया कि, 'इस पूरे मामले पर हमने घटना के 20 दिन बाद ही रिपोर्ट डीएम को भेज दी थी. अस्पताल की जांच के दौरान हमने पाया कि यह मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं बल्कि दूसरे कारणों से हुई'. नमामि बंसल का कहना है कि, 'अस्पताल में कई अनियमितताएं थीं जिसको हमने अपनी रिपोर्ट में दर्ज किया है. एक रिपोर्ट हमने अस्पताल की जांच के बाद भी तैयारी की है. हमने डेट ऑडिट में भी इसका जिक्र किया है'.
नमामि बंसल कहती हैं कि, 'अस्पताल पहुंचकर हमने देखा कि जितने मरीज वहां भर्ती हैं उन मरीजों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई पर्याप्त मात्रा में दी जा रही थी. ऐसे में अस्पताल की तरफ से जब यह कहा गया कि यह मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है. तब हमने उनको एक नोटिस भी जारी किया. जिसके जवाब में अस्पताल प्रशासन ने स्वीकार किया कि कहीं न कहीं अस्पताल द्वारा जल्दबाजी में ऑक्सीजन की कमी से मौत वाला बयान जारी किया गया. अब इस मामले में क्या कार्रवाई हो रही है मुझे इसलिए नहीं मालूम क्योंकि, अब मेरा ट्रांसफर टिहरी हो गया है. लेकिन इतना जरूर है कि यह मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थीं'.
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DM का बयान एकदम अलग: इसके बाद 'ईटीवी भारत' ने इस पूरे मामले पर हरिद्वार के डीएम सी रविशंकर से फोन पर बात कि तो डीएम ने बताया कि, 'हां हमने इस पूरे मामले की एक जांच करवाई थी. 20 से 25 दिनों में जो रिपोर्ट आई उसमें इस बात का जिक्र था कि अस्पताल प्रशासन द्वारा लिखित में बताया गया कि अस्पताल में पांच मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी नहीं, बल्कि अन्य कारण था.' उन्होंने रिपोर्ट में घटना के दौरान अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों की जानकारी भी दी.
डीएम ने बताया कि, 'हमने इस पूरे मामले पर अस्पताल को नोटिस भी भेजा था. जिसका जवाब हमें प्राप्त हुआ है. हालांकि वह जवाब संतोषजनक नहीं है. लिहाजा, हमने उनसे दोबारा से जवाब देने के लिए कहा है. अभी उनके पास वक्त है वह अपना पक्ष रख सकते हैं. उसके बाद हम इस पूरे मामले पर आगे की कार्रवाई करेंगे.' डीएम ने कहा कि इस पूरी जांच प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों की टीम, ऑक्सीजन प्लांट स्पेशलिस्ट, मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे थे. लिहाजा बड़ी बारीकियों से इस पूरे मामले की जांच की गई है.
जिलाधिकारी का कहना है इस पूरे मामले पर कुछ कर्मचारियों के खिलाफ आपदा एक्ट में मामला बनता था. लेकिन क्योंकि कोरोनाकाल में कई लोगों की सेवा भी की गई है, इसलिए उस वक्त इस तरह का कोई कदम उठाने पर यह संदेश जाता कि जो लोग मरीजों की सेवा कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, इसलिए अभी हमने अस्पताल प्रशासन को जवाब देने का वक्त दिया है.
मामला पेचीदा, सवाल कई: अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर यह पांचों मौतें अस्पताल प्रशासन की वजह से हुई हैं, तो 2 महीने बीत जाने के बाद अब तक प्रशासन ने क्या कार्रवाई की है? सवाल ये भी उठता है कि अगर प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक यह मौतें ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई हैं तो इन मौतों का असली कारण क्या था? बहरहाल इस पूरे घटनाक्रम और जांच में पेंच बरकरार है.