रायपुर : अंतरिक्ष में भारत बड़ी कामयाबी की तैयारी कर रहा है. पूरे विश्व की निगाहें भारत पर टिकी हैं. वजह है चंद्रयान 3. आगामी 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान 3 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. यदि चंद्रयान सफलता पूर्व चांद तक पहुंच गया तो ये काफी बड़ी उपलब्धि होगी. इससे पहले भी भारत ने चंद्रयान 2 को चांद के सफर में भेजा था, लेकिन वो मिशन फेल हो गया. इसके बाद तकनीकि खामियों को दूर करके फिर से तैयारी की गई है. चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 में क्या भिन्नताएं हैं.ये जानने की कोशिश की है ईटीवी भारत ने.
क्यों है मिशन चंद्रयान महत्वपूर्ण : ईटीवी भारत ने रविशंकर विश्वविद्यालय के एस्ट्रोफिजिक्स डिपार्टमेंट के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नंदकुमार चक्रधारी से मिशन चंद्रयान को लेकर बात की. प्रोफेसर ने बताया कि किस तरह से चंद्रयान 2 से चंद्रयान 3 अलग है. प्रोफेसर नंदकुमार चक्रधारी की माने तो यह एक महत्वपूर्ण मिशन है. यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है.दुनिया की निगाहें भारत की ओर इस मिशन पर लगी हुई है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि हम इस मिशन में सक्सेसफुल होते है तो भारत भी इलाइट देशों में शामिल हो जाएगा. वर्तमान में इलाइट देश में यूनाइटेड स्टेट अमेरिका,रशिया और चीन शामिल हैं.
चंद्रयान 2 से कितना अलग है चंद्रयान 3 : चन्द्रयान 3 ,चंद्रयान 2 का उन्नत मॉडल है. चंद्रयान 2 में जो खामियां पाई गई थी. उन खामियों को चंद्रयान 3 में दूर किया गया है. चंद्रयान 2 की लैंडिंग सही तरह से नहीं हो पाई थी. वो क्रैश हो गया था. उसके क्रैश होने का मुख्य कारण ये था कि जब विक्रम लैंडर चंद्रमा में लैंड कर रहा उसको लैंड करते समय फोटोग्राफ लेने थे. उन फोटोग्राफ के माध्यम से लैंडर को यह पता करना था कि सतह पर उबड़ खाबड़ ना हो. लैंडिंग के वक्त थ्रस्टर की स्पीड थोड़ी ज्यादा हो गई थी.जब लैंडर लैंड कर रहा था तो वो सतह की दूरी का सही अनुमान नहीं लगा पाया.जिससे लैंडिंग के वक्त लैंडर का स्पीड कम होने के बजाय बढ़ गया और वो क्रैश हो गया.चंद्रयान 3 में इसी कमी को दूर करके सॉफ्टवेयर अपग्रेड किया गया है.
चंद्रयान 3 में किन कमियों को किया गया दूर : डॉ नंदकुमार चक्रधारी के मुताबिक चंद्रयान 2 में जो कमियां थी, उसमें चंद्रयान 3 में दूर किया गया है. इसमें मुख्य रूप से लैंडिंग का जो टारगेट है उसे बढ़ाया गया है. चंद्रयान 2 में आधा किलोमीटर बाय आधा किलोमीटर दायरा था. लेकिन चंद्रयान 3 में उसे बढ़ाकर 4 किलोमीटर बाय 2.5 किलोमीटर किया गया है. लैंडर पर सोलर पैनल को चारों दिशाओं में रखा गया है. जब वह लैंड होगा तो सूर्य की ऊर्जा से बिजली उत्पादन अच्छे से कर पाए. इसके साथ ही लैंडर के लेग को काफी मजबूत बनाया गया ताकि लैंड होते समय किसी प्रकार का नुकसान ना हो. लैंडर में चंद्रयान 2 के समय पांच थ्रस्टर थे. लेकिन चंद्रयान 3 में 5 की जगह 4 थ्रष्टर का उपयोग किया गया है. चंद्रयान 2 का ऑर्बिटल मिशन जो अभी भी अच्छे से काम कर रहा है. उसके माध्यम से लैंडिंग स्पॉट की फोटोग्राफी की गई है. उन फोटोग्राफ्स को चंद्रयान 3 के सॉफ्टवेयर में डाला गया है. ताकि लैंडिंग के वक्त फोटो को कम्पेयर करके आसानी से लैंडिंग कराई जा सके.
किसकी सहायता से जा रहा चंद्रयान 3 : चंद्रयान 3 को एबीएम 3 रॉकेट की सहायता से लांच किया जाएगा. यह जीएसएलबी मार्क 3 का रैकेट का नया रूप है. यह ऐसा रॉकेट है जो भारी सैटेलाइट को ऊपर ले जाने में सक्षम है. पहली बार रॉकेट चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित करेगा. लगभग 175 किलो मीटर की ऊंचाई पर. धीरे धीरे यान पृथ्वी से दूरी पर पहुचेगा तो उसकी कक्षा को बढ़ाया जाएगा. 5 से 6 बार उसकी कक्षा को बढ़ाया जाएगा. आखिरी कक्षा में 36 हजार 500 किलोमीटर दूर तक पहुचाया जाएगा. चन्द्रयान 2 को 45 हजार किलोमीटर की कक्षा तक पहुंचाया गया था. लेकिन इस समय चंद्रयान 3 को लगभग 36500 किलोमीटर दूरी की कक्षा तक पहुंचाया जाएगा. ताकि स्टेबल ऑर्बिट मिल सके.
कब लैंड होगा चंद्रयान 3 : यह काम जुलाई कें आख़िरी सप्ताह तक चलेगा. अगस्त के पहले सप्ताह में चंद्रयान 3 को चंद्रमा में भेजा जाएगा. सबसे पहले जब यह चंद्रमा के करीब पहुंचेगा तब गुरुत्वाकर्षण बल के कारण चंद्रमा को कैप्चर कर लेगा. फिर यह चंद्रमा के चारों और दीर्घ वृत्ताकार पथ पर परिक्रमन करेगा.चंद्रयान के परिक्रमन पाथ को कम किया जाएगा.आखिरी परिक्रमन पथ में चंद्रयान 3 को लगभग 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर रखा जाएगा.वहां से चंद्रयान 3 की लैंडर के माध्यम से लैंड करवाने की प्रक्रिया की जाएगी. यह काम होने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगेगा. अगस्त के आखिरी सप्ताह में चंद्रयान तीन की लैंडिंग की प्रकिया पूरी की जाएगी.
चंद्रयान तीन एक बहुआयामी मिशन है. इसमें बहुत सारे वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं. मुख्य रूप से उन उपकरणों का उद्देश्य चंद्रमा की सतह मौजूद तत्वों और मिनिरल्स का एक्सप्लोर करना है. चंद्रमा की आसपास सतह पर जो वातावरण है. उसे एक्सप्लोर करना है. -डॉ नंदकुमार चक्रधारी,असिस्टेंट प्रोफेसर
चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर मिशन था. जो अभी भी काफी अच्छे से काम कर रहा है.उसके स्थान पर परपोशन मॉड्यूल है. इस मॉड्यूल में खास किस्म का स्पेक्ट्रो पोलारीमीटर रखा गया है.यह स्पेक्ट्रो पोलारीमीटर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करके पृथ्वी का निरीक्षण करेगा. पृथ्वी एक अकेला ग्रह है. जिसमें जीवन पाया गया है. चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए यह स्पेक्ट्रो पोलारी मीटर पृथ्वी का डाटा कलेक्ट करेगा. इसके माध्यम से यह पता लगाने में फायदा होगा कि अन्य तारामंडल या तारों में ग्रह पाए गए हैं.उनमे जीवन की संभावना कितनी हो सकती.इसका अध्ययन डेटा के माध्यम से किया जाएगा.
चंद्रमा में लैंडिंग कराना चुनौती : अभी तक तीन देश चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सक्षम हुए हैं. इन 3 देशों ने लैंडिंग का जो स्पॉट चुना था वहां लैंडिंग करना आसान था. लेकिन चंद्रयान 3 के लिए जो स्पॉट चुना गया है. वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आसपास है. लगभग 70 डिग्री लैटिट्यूड पर लैंडिंग के लिए चुना गया है. यह ऐसी जगह है जहां पर लैंडर को उतारना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. चंद्रयान 3 को लैंड कराने के लिए यह स्थान इसलिए चयन किया गया है क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सूर्य की किरणें बहुत कम पड़ती हैं, वहां पानी के होने की संभावना ज्यादा है.