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छत्तीसगढ़: बस्तर में पानी को साक्षी मानकर धुरवा आदिवासी समाज के जोड़ों ने किया विवाह - पानी को सक्षी मानकर सात फेरे

छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति में बस्तर के धुरवा आदिवासी समाज (Dhurwa tribal society of Bastar) के लोगों का अहम योगदान है. धुरवा आदिवासी समाज पानी के पूजक हैं. यही वजह है कि बस्तर के दरभा ब्लॉक में धुरवा आदिवासी समाज (Dhruwa tribe of Bastar) के जोड़ों ने पानी को साक्षी मानकर विवाह किया. कुल 17 जोड़े विवाह के बंधन में बंधे.

Marriage in Dhurwa tribal society of Bastar
धुरवा आदिवासी समाज पानी के पूजक
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Published : May 10, 2022, 10:56 PM IST

बस्तर: बस्तर आदिवासी कला और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. बस्तर की खूबसूरती, आदिवासी संस्कृति, रहन सहन, खान पान और लोकगीत पूरे विश्व में विख्यात है. यहां के आदिवासी प्रकृति के पूजक हैं. यही कारण है कि बस्तर में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा को आदिवासी समाज आज भी कायम रखे हुए है. बस्तर में धुरवा आदिवासी समाज के 17 जोड़ों ने अनोखे रूप में विवाह किया. धुरवा समाज के (Dhruwa tribe of Bastar) जोड़ों ने अग्नि नहीं बल्कि पानी को साक्षी मानकर (Dhurwa tribal society of Bastar got married considering water) सात फेरे लिए और विवाह किया.

धुरवा आदिवासी समाज के जोड़ों ने किया विवाह

क्या है धुरवा समाज: बस्तर का धुरवा आदिवासी समाज बस्तर (Dhurwa tribal society of Bastar) के मूल निवासी हैं. इस समाज के लोग वर्षों से जल को अपनी माता मानते आए हैं. इसलिए सभी शुभकार्यों में ये लोग पानी को महत्व देते हैं. धुरवा समाज के लोग बस्तर में अधिक संख्या में निवासरत हैं. बस्तर जिला मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर दरभा ब्लॉक में धुरवा समाज के 17 जोड़े विवाह के बंधन में बंधे. इन्होंने पानी को साक्षी मानकर विवाह किया.

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धुरवा समाज के लोग हर वर्ष मनाते हैं स्थापना दिवस: समाज के प्रमुखों ने बताया कि" प्रति वर्ष धुरवा समाज के लोग (People of Dhurwa tribal society) मई माह में भव्य रूप से समाज का स्थापना दिवस मनाते हैं. इस वर्ष भी यह स्थापना दिवस संभागीय स्तर पर मनाया गया. जिसके बाद 17 जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ". धुरवा समाज के संभाग अध्यक्ष पप्पू कुमार (Dhurva Samaj Divisional President Pappu Kumar) ने बताया कि" धुरवा समाज की पुरानी पीढ़ी कांकेर घाटी के राष्ट्रीय उद्यान के समीप निवास करती थी और कांकेर नाला के पानी को साक्षी मानकर शुभ कार्य करती थी. धुरवा समाज के लोग आज भी कांकेर नाला से पानी लेकर आते हैं. विवाह के अवसर पर भी कांकेर नाले से पानी लेकर यह समाज पहुंचा था. इस पानी को शादी के समय सभी नवदंपति के ऊपर छिड़क कर रस्म को पूरा किया गया.

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आने वाले समय में 100 जोड़ों का होगा सामूहिक विवाह: समाज के अध्यक्ष ने बताया कि इस शादी से पहले भी दो जोड़ों ने दरभा ब्लॉक में पानी को साक्षी मानकर विवाह किया था. यह विवाह दरभा ब्लॉक के छिंदवाड़ा में संपन्न कराई गई. धुरवा समाज के (Dhruwa tribe of Bastar) संभाग अध्यक्ष पप्पू कुमार ने कहा कि आने वाले समय में बस्तर संभाग के 100 जोड़ों का सामूहिक विवाह पानी को साक्षी मानकर करया जाएगा. पप्पू कुमार के मुताबिक इस तरह के विवाह से बस्तर के आदिवासी जो वनोपज पर आश्रित हैं उन्हें फिजूलखर्जी से निजात मिलेगी.

बस्तर: बस्तर आदिवासी कला और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. बस्तर की खूबसूरती, आदिवासी संस्कृति, रहन सहन, खान पान और लोकगीत पूरे विश्व में विख्यात है. यहां के आदिवासी प्रकृति के पूजक हैं. यही कारण है कि बस्तर में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा को आदिवासी समाज आज भी कायम रखे हुए है. बस्तर में धुरवा आदिवासी समाज के 17 जोड़ों ने अनोखे रूप में विवाह किया. धुरवा समाज के (Dhruwa tribe of Bastar) जोड़ों ने अग्नि नहीं बल्कि पानी को साक्षी मानकर (Dhurwa tribal society of Bastar got married considering water) सात फेरे लिए और विवाह किया.

धुरवा आदिवासी समाज के जोड़ों ने किया विवाह

क्या है धुरवा समाज: बस्तर का धुरवा आदिवासी समाज बस्तर (Dhurwa tribal society of Bastar) के मूल निवासी हैं. इस समाज के लोग वर्षों से जल को अपनी माता मानते आए हैं. इसलिए सभी शुभकार्यों में ये लोग पानी को महत्व देते हैं. धुरवा समाज के लोग बस्तर में अधिक संख्या में निवासरत हैं. बस्तर जिला मुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर दरभा ब्लॉक में धुरवा समाज के 17 जोड़े विवाह के बंधन में बंधे. इन्होंने पानी को साक्षी मानकर विवाह किया.

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धुरवा समाज के लोग हर वर्ष मनाते हैं स्थापना दिवस: समाज के प्रमुखों ने बताया कि" प्रति वर्ष धुरवा समाज के लोग (People of Dhurwa tribal society) मई माह में भव्य रूप से समाज का स्थापना दिवस मनाते हैं. इस वर्ष भी यह स्थापना दिवस संभागीय स्तर पर मनाया गया. जिसके बाद 17 जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ". धुरवा समाज के संभाग अध्यक्ष पप्पू कुमार (Dhurva Samaj Divisional President Pappu Kumar) ने बताया कि" धुरवा समाज की पुरानी पीढ़ी कांकेर घाटी के राष्ट्रीय उद्यान के समीप निवास करती थी और कांकेर नाला के पानी को साक्षी मानकर शुभ कार्य करती थी. धुरवा समाज के लोग आज भी कांकेर नाला से पानी लेकर आते हैं. विवाह के अवसर पर भी कांकेर नाले से पानी लेकर यह समाज पहुंचा था. इस पानी को शादी के समय सभी नवदंपति के ऊपर छिड़क कर रस्म को पूरा किया गया.

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आने वाले समय में 100 जोड़ों का होगा सामूहिक विवाह: समाज के अध्यक्ष ने बताया कि इस शादी से पहले भी दो जोड़ों ने दरभा ब्लॉक में पानी को साक्षी मानकर विवाह किया था. यह विवाह दरभा ब्लॉक के छिंदवाड़ा में संपन्न कराई गई. धुरवा समाज के (Dhruwa tribe of Bastar) संभाग अध्यक्ष पप्पू कुमार ने कहा कि आने वाले समय में बस्तर संभाग के 100 जोड़ों का सामूहिक विवाह पानी को साक्षी मानकर करया जाएगा. पप्पू कुमार के मुताबिक इस तरह के विवाह से बस्तर के आदिवासी जो वनोपज पर आश्रित हैं उन्हें फिजूलखर्जी से निजात मिलेगी.

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