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निर्जला एकादशी: श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, निकाली गई भव्य कलश यात्रा

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Published : Jun 21, 2021, 2:17 PM IST

सनातन धर्म में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. सनातन धर्म में इसका बहुत महत्व है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इसका प्रारंभ द्वापर युग के महाभारत काल से माना जाता है. इस मौके पर आज निर्जल रहकर लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. इतना ही नहीं, इस मौके पर बाबा विश्वनाथ धाम तक भव्य कलश यात्रा भी निकाली गई.

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी

लखनऊ : भगवान विष्णु की उपासना का पर्व निर्जला एकादशी सोमवार यानी आज मनाया जा रहा है. 9:42 बजे तक निर्जला एकादशी का मान होने की वजह से सोमवार को पूरे दिन इस पर्व को मनाए जाने की बात ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कही गई है. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा नदी में स्नान करने का विशेष फल माना जाता है. इसी क्रम में काशी में श्रद्धालुओं ने मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ कमाया.

गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.

सर्वोत्तम है निर्जला एकादशी व्रत
धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि निर्जला एकादशी का व्रत सालभर की 24 एकादशी में सर्वोत्तम व्रत होता है, यदि कोई व्यक्ति एकादशी के इन 24 व्रतों को नहीं करता है तो वह अकेला निर्जला एकादशी के दिन व्रत रहे तो उसे 24 एकादशियों के फल के बराबर पुण्य मिलता है. यही वजह है कि कोरोना महामारी के दौरान भी आस्थावान मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे. लोगों ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद पानी भरे मिट्टी के पात्र के साथ ही फल फूल और अन्न का दान ब्राह्मणों को किया.

निकाली गई कलश यात्रा.
निकाली गई कलश यात्रा.

पढ़ें- निर्जला एकादशी: 24 एकादशी का फल देता है एक अकेला यह व्रत, जानें इसका महत्व

निकाली गई कलश यात्रा
निर्जला एकादशी पर कई सालों से चल रही परंपरा को निभाते हुए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में लोगों ने दुग्ध और गंगाजल से बाबा भोलेनाथ का अभिषेक संपन्न कराया. इसके लिए सुबह 25 कलश में गंगाजल और दूध भरकर कलश यात्रा निकाली गई. यह कलश यात्रा विश्वनाथ मंदिर तक गई. यहां पर विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की अनुमति के बाद कलश यात्रा समिति से जुड़े एक पदाधिकारी के द्वारा गर्भगृह में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया गया.

लखनऊ : भगवान विष्णु की उपासना का पर्व निर्जला एकादशी सोमवार यानी आज मनाया जा रहा है. 9:42 बजे तक निर्जला एकादशी का मान होने की वजह से सोमवार को पूरे दिन इस पर्व को मनाए जाने की बात ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कही गई है. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य और गंगा नदी में स्नान करने का विशेष फल माना जाता है. इसी क्रम में काशी में श्रद्धालुओं ने मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ कमाया.

गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.

सर्वोत्तम है निर्जला एकादशी व्रत
धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि निर्जला एकादशी का व्रत सालभर की 24 एकादशी में सर्वोत्तम व्रत होता है, यदि कोई व्यक्ति एकादशी के इन 24 व्रतों को नहीं करता है तो वह अकेला निर्जला एकादशी के दिन व्रत रहे तो उसे 24 एकादशियों के फल के बराबर पुण्य मिलता है. यही वजह है कि कोरोना महामारी के दौरान भी आस्थावान मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे. लोगों ने गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद पानी भरे मिट्टी के पात्र के साथ ही फल फूल और अन्न का दान ब्राह्मणों को किया.

निकाली गई कलश यात्रा.
निकाली गई कलश यात्रा.

पढ़ें- निर्जला एकादशी: 24 एकादशी का फल देता है एक अकेला यह व्रत, जानें इसका महत्व

निकाली गई कलश यात्रा
निर्जला एकादशी पर कई सालों से चल रही परंपरा को निभाते हुए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में लोगों ने दुग्ध और गंगाजल से बाबा भोलेनाथ का अभिषेक संपन्न कराया. इसके लिए सुबह 25 कलश में गंगाजल और दूध भरकर कलश यात्रा निकाली गई. यह कलश यात्रा विश्वनाथ मंदिर तक गई. यहां पर विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की अनुमति के बाद कलश यात्रा समिति से जुड़े एक पदाधिकारी के द्वारा गर्भगृह में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया गया.

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