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माघ मेला 2021: श्रद्धा का केंद्र बना किन्नर अखाड़ा, आर्शीवाद लेने पहुंच रहे श्रद्धालु

प्रयागराज में संगम की रेती पर लगभग दो माह तक चलने वाले माघ मेले 2021 की शुरुआत हो गई है. माघ मेले में साधु संतो के साथ कई अखाड़ों ने अपना डेरा जमा लिया है. इन्ही अखाड़ों में एक किन्नर अखाड़ा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस अखाड़े में किन्नर संतों से आर्शीवाद लेने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

Prayagraj Magh Mela 2021
प्रयागराज माघ मेला 2021
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Published : Feb 4, 2021, 9:40 PM IST

प्रयागराज : अध्यात्म की नगरी प्रयागराज के माघ मेले में किन्नर अखाड़ा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसे देखने के लिए सिर्फ शहर से ही नहीं बल्कि दूर-दराज से लोग खींचे चले आ रहे हैं. किन्नर अखाड़ा की सभ्यता और संस्कृति को बेहद नजदीकी से जानने और समझने के लिए लोग काफी उत्साहित हैं.

किन्नर अखाड़ा में श्रद्धालुओं का लगता है जमावड़ा

आशीर्वाद लेने के लिए जमा होती है भीड़

किन्नर अखाड़े में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए किन्नर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. माघ मेले में आने वाला हर श्रद्धालु इनके दर्शन पाने को आतुर रहता है. सेक्टर 5 में लगे इनके शिविर में सुबह से ही भीड़ जमा रहती है. कोरोना काल के चलते माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घटी है, लेकिन इन अखाड़ों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर ऐसा नहीं लगता कि कोरोना काल का असर इन पर पड़ा है. संगम दर्शन को आने वाले युवा भी किन्नर अखाड़े को लेकर काफी उत्साहित हैं. इनका कहना है कि वह पिछले 2 सालों से किन्नर अखाड़ा के दर्शन कर रहे हैं. यहां आने वाले लोगों का मानना है कि किन्नरों से आशीर्वाद प्राप्त कर उनकी हर मनोकामना को पूरी होती है.

Prayagraj Magh Mela 2021
संगम

विरोध के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी नहीं

किन्नर महामंडलेश्वर टीना मां का कहना है कि "अखाड़ा परिषद के विरोध के बाद भी हमारे यहां श्रद्धालु की संख्या में कमी नहीं आई है. हमने कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया है, लेकिन आस्था लिए श्रद्धालुओं की भीड़ यहां लग रहती है. जो भी श्रद्धालु आ रहे हैं उनको हम प्यार से गले लगा कर उनको आशीर्वाद दे रहे हैं. गंगा मैया की गोद में बैठकर देशवासियों और प्रयागराजवासियों की सुख शांति की हम कामना कर रहे हैं. जूना अखाड़े के साथ एग्रीमेंट के बाद अब हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में शाही स्नान भी करने की तैयारी है."

Prayagraj Magh Mela 2021
फाइल फोटो

किन्नरों को मना जाता है उपदेवता का रूप

यहां आई उज्जैन पीठाधीश्वर पवित्रा नन्दगीरी ने कहा कि "किन्नरों के हित के लिए हमने सनातन धर्म का हाथ पकड़ा है. क्योंकि हम हिंदू हैं, जो अखाड़े इनका विरोध कर रहे हैं उनको लगता है कि हम लोग छोटे समाज से आते हैं और हमारी ख्याति बढ़ने के बाद इनकी ख्याति कम हो जाएगी. क्योंकि पुराणों में हो या इतिहास में हो हर जहां किन्नरों को उप देवता के रूप में माना गया है."

Prayagraj Magh Mela 2021
फाइल फोटो

प्रसाद के रुप में मिलता है दांत से दबाया सिक्का

किन्नर अखाड़े की संत आशार्वाद लेने आने वाले श्रद्धालुओं को किन्नर प्रसाद स्परूप अपने दांत से सिक्का दबाकर देती हैं. श्रद्धालु इसे आशीर्वाद के तौर पर ग्रहण करते हैं और उस सिक्के को अपने पास रख लेते हैं. इस सिक्के को लोग अपने पाप सुरक्षित रख लेते हैं.

किन्नर अखाड़े का विवादों से नाता

किन्नर अखाड़ा बनाने की बात जब शुरू हुई तो किन्नर समुदाय के लोगों ने ही इसका विरोध करना शुरू किया. किन्नर समुदाय में विरोध की वजह भी धर्म है. सनातन परंपरा पर बने 13 अखाड़ों ने भी शुरुआत से ही किन्नरों का अलग अखाड़ा बनाने का विरोध किया. अखाड़ों को मान्यता देने वाली संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने 2019 में कहा था कि "किन्नर अखाड़ा का कोई अस्तित्व सनातन परंपरा में नहीं है और आगे चलकर भी इसे 14वें अखाड़े के तौर पर मान्यता नहीं मिलेगी."

Prayagraj Magh Mela 2021
फाइल फोटो

वर्ष 2015 में जब से किन्नर अखाड़ा का गठन हुआ. पहली बार कुंभ में किन्नर अखाड़े की पेशवाई का अधिकार प्राप्त हुआ था. किन्नर अखाड़ा के लिए 2019 का कुंभ बेहद महत्वपूर्ण रहा लंबे समय से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किन्नर अखाड़े को देश के सबसे बड़े अखाड़े ने अपने साथ जोड़ कर इतिहास रच दिया. किन्नर अखाड़ा पहली बार कुंभ मेले की पेशवाई से लेकर शाही स्नान में सम्मिलित हुआ. इस अखाड़े में करीब 2500 साधु और संन्यासी हैं. प्रयागराज में किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े में शामिल किया गया.

पढ़ें: देह व्यापार से जुड़ी महिलाओं का सहारा 'रूपचंद', वर्षों से चली आ रही यह परंपरा

धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा किन्नर अखाड़ा

किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज ने किन्नरों के धार्मिक उत्पीड़न पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़ा अब धार्मिक उत्पीड़न बर्दाश्त नही करेगा. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा. माघ मेला शिविर में महामंडलेश्वर ने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के कुछ ऐसे पदाधिकारी है जो आए दिन किन्नर अखाड़ा और उनके पदाधिकारियों की धार्मिक और सामाजिक उपेक्षा करने से नहीं कतराते है. किन्नर अखाड़ा अब उच्चतम न्यायालय की शरण लेगा.

प्रयागराज : अध्यात्म की नगरी प्रयागराज के माघ मेले में किन्नर अखाड़ा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इसे देखने के लिए सिर्फ शहर से ही नहीं बल्कि दूर-दराज से लोग खींचे चले आ रहे हैं. किन्नर अखाड़ा की सभ्यता और संस्कृति को बेहद नजदीकी से जानने और समझने के लिए लोग काफी उत्साहित हैं.

किन्नर अखाड़ा में श्रद्धालुओं का लगता है जमावड़ा

आशीर्वाद लेने के लिए जमा होती है भीड़

किन्नर अखाड़े में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए किन्नर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. माघ मेले में आने वाला हर श्रद्धालु इनके दर्शन पाने को आतुर रहता है. सेक्टर 5 में लगे इनके शिविर में सुबह से ही भीड़ जमा रहती है. कोरोना काल के चलते माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घटी है, लेकिन इन अखाड़ों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर ऐसा नहीं लगता कि कोरोना काल का असर इन पर पड़ा है. संगम दर्शन को आने वाले युवा भी किन्नर अखाड़े को लेकर काफी उत्साहित हैं. इनका कहना है कि वह पिछले 2 सालों से किन्नर अखाड़ा के दर्शन कर रहे हैं. यहां आने वाले लोगों का मानना है कि किन्नरों से आशीर्वाद प्राप्त कर उनकी हर मनोकामना को पूरी होती है.

Prayagraj Magh Mela 2021
संगम

विरोध के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी नहीं

किन्नर महामंडलेश्वर टीना मां का कहना है कि "अखाड़ा परिषद के विरोध के बाद भी हमारे यहां श्रद्धालु की संख्या में कमी नहीं आई है. हमने कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया है, लेकिन आस्था लिए श्रद्धालुओं की भीड़ यहां लग रहती है. जो भी श्रद्धालु आ रहे हैं उनको हम प्यार से गले लगा कर उनको आशीर्वाद दे रहे हैं. गंगा मैया की गोद में बैठकर देशवासियों और प्रयागराजवासियों की सुख शांति की हम कामना कर रहे हैं. जूना अखाड़े के साथ एग्रीमेंट के बाद अब हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में शाही स्नान भी करने की तैयारी है."

Prayagraj Magh Mela 2021
फाइल फोटो

किन्नरों को मना जाता है उपदेवता का रूप

यहां आई उज्जैन पीठाधीश्वर पवित्रा नन्दगीरी ने कहा कि "किन्नरों के हित के लिए हमने सनातन धर्म का हाथ पकड़ा है. क्योंकि हम हिंदू हैं, जो अखाड़े इनका विरोध कर रहे हैं उनको लगता है कि हम लोग छोटे समाज से आते हैं और हमारी ख्याति बढ़ने के बाद इनकी ख्याति कम हो जाएगी. क्योंकि पुराणों में हो या इतिहास में हो हर जहां किन्नरों को उप देवता के रूप में माना गया है."

Prayagraj Magh Mela 2021
फाइल फोटो

प्रसाद के रुप में मिलता है दांत से दबाया सिक्का

किन्नर अखाड़े की संत आशार्वाद लेने आने वाले श्रद्धालुओं को किन्नर प्रसाद स्परूप अपने दांत से सिक्का दबाकर देती हैं. श्रद्धालु इसे आशीर्वाद के तौर पर ग्रहण करते हैं और उस सिक्के को अपने पास रख लेते हैं. इस सिक्के को लोग अपने पाप सुरक्षित रख लेते हैं.

किन्नर अखाड़े का विवादों से नाता

किन्नर अखाड़ा बनाने की बात जब शुरू हुई तो किन्नर समुदाय के लोगों ने ही इसका विरोध करना शुरू किया. किन्नर समुदाय में विरोध की वजह भी धर्म है. सनातन परंपरा पर बने 13 अखाड़ों ने भी शुरुआत से ही किन्नरों का अलग अखाड़ा बनाने का विरोध किया. अखाड़ों को मान्यता देने वाली संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने 2019 में कहा था कि "किन्नर अखाड़ा का कोई अस्तित्व सनातन परंपरा में नहीं है और आगे चलकर भी इसे 14वें अखाड़े के तौर पर मान्यता नहीं मिलेगी."

Prayagraj Magh Mela 2021
फाइल फोटो

वर्ष 2015 में जब से किन्नर अखाड़ा का गठन हुआ. पहली बार कुंभ में किन्नर अखाड़े की पेशवाई का अधिकार प्राप्त हुआ था. किन्नर अखाड़ा के लिए 2019 का कुंभ बेहद महत्वपूर्ण रहा लंबे समय से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किन्नर अखाड़े को देश के सबसे बड़े अखाड़े ने अपने साथ जोड़ कर इतिहास रच दिया. किन्नर अखाड़ा पहली बार कुंभ मेले की पेशवाई से लेकर शाही स्नान में सम्मिलित हुआ. इस अखाड़े में करीब 2500 साधु और संन्यासी हैं. प्रयागराज में किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े में शामिल किया गया.

पढ़ें: देह व्यापार से जुड़ी महिलाओं का सहारा 'रूपचंद', वर्षों से चली आ रही यह परंपरा

धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा किन्नर अखाड़ा

किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महाराज ने किन्नरों के धार्मिक उत्पीड़न पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़ा अब धार्मिक उत्पीड़न बर्दाश्त नही करेगा. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा. माघ मेला शिविर में महामंडलेश्वर ने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के कुछ ऐसे पदाधिकारी है जो आए दिन किन्नर अखाड़ा और उनके पदाधिकारियों की धार्मिक और सामाजिक उपेक्षा करने से नहीं कतराते है. किन्नर अखाड़ा अब उच्चतम न्यायालय की शरण लेगा.

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