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Pahla Sawan Somwar 2023: दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, बम बम भोले के जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर

देशभर के मंदिरों में सावन के पहले सोमवार को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ जुट रही है. श्रद्धालु सुबह से ही भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए लाइन में लगे दिखाई दे रहे हैं. वहीं भगवान शिव का ससुराल कहे जाने वाले दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का रेला उमड़ रहा है.

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Published : Jul 10, 2023, 9:45 AM IST

Updated : Jul 10, 2023, 10:32 AM IST

दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

हरिद्वार (उत्तराखंड): सावन का पहला सोमवार शिव भक्तों के लिए सबसे खास माना जाता है. लोग इस दिन भगवान शिव की उपासना के लिए व्रत रखते हैं. साथ ही विधि विधान से पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं. सावन का पहला सोमवार को लेकर देशभर के सभी शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. कुछ ऐसा ही धर्मनगरी हरिद्वार में भी देखने को मिला. जहां सावन के पहले सोमवार को भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए हरिद्वार कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का सुबह से तांता लगा रहा.

Haridwar Daxeshwar Prajapati Mahadev Temple
भगवान शिव का जलाभिषेक करते श्रद्धालु

सावन में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़: हरिद्वार कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर को भगवान शिव का ससुराल भी माना जाता है. माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शंकर अपने ससुराल में रहते हैं और यही से सृष्टि का संचालन करते हैं. मान्यता है कि सावन के सोमवार को यहां भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए सावन के पहले सोमवार को लेकर मंदिर में श्रद्धालु सुबह से ही लाइन में लगे दिखाई दिए.

Haridwar Daxeshwar Prajapati Mahadev Temple
मंदिर में उमड़ी भीड़
पढ़ें-52 शक्तिपीठों में से एक है मां मनसा देवी का मंदिर, ये है पौराणिक कथा

सावन में यहां निवास करते है भगवान शिव: मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार का दिन सबसे ज्यादा प्रिय है. इसलिए इस दिन भगवान शिव की भक्ति और उनका जलाभिषेक करने से उनकी कृपा बनी रहती है.हालांकि भगवान शिव सावन के पूरे महीने अपने ससुराल कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति में ही निवास करते हैं और यही से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं. इसलिए कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं. वहीं दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से माहौल भक्तिमय बना हुआ है. पूरा मंदिर परिसर बम बम भोले के जयकारों से गूंज रहा है. दर्शन के लिए लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं. वहीं मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ रहा है.

मंदिर की पौराणिक कहानी: पौराणिक मान्यता के अनुसार दक्षेश्वर महादेव मंदिर में राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था. राजा दक्ष ने यज्ञ में सभी देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों को तो आमंत्रित किया गया था लेकिन भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया किया. जब ये बात माता सती को पता चलती है तो वो पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की जिद करती हैं. लेकिन भगवान शिव उन्हें बिना निमंत्रण यज्ञ में जाने से रोकते हैं, लेकिन माता सती नहीं मानती हैं और यज्ञ में पहुंच जाती हैं. जहां माता सती देखती हैं कि सारे देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों को यज्ञ में आमंत्रित किया गया है.

भगवान शिव का ससुराल: लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया है. इस दौरान राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान मां सती सहन नहीं कर पाती और अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग देती हैं. जिसके बाद भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और उन्होंने गुस्से में दक्ष का सिर काट दिया. देवताओं के मनाने पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया. गलती का अहसास होने पर राजा दक्ष से माफी मांगी. जिसके बाद भगवान शिव कहते हैं कि भक्तों के कल्याण के लिए वो हर साल सावन के महीने में कनखल में निवास करेंगे. तब से अब तक सावन महीने में भगवान शिव यहां भव्य पूजा होती है.

दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

हरिद्वार (उत्तराखंड): सावन का पहला सोमवार शिव भक्तों के लिए सबसे खास माना जाता है. लोग इस दिन भगवान शिव की उपासना के लिए व्रत रखते हैं. साथ ही विधि विधान से पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं. सावन का पहला सोमवार को लेकर देशभर के सभी शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. कुछ ऐसा ही धर्मनगरी हरिद्वार में भी देखने को मिला. जहां सावन के पहले सोमवार को भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए हरिद्वार कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का सुबह से तांता लगा रहा.

Haridwar Daxeshwar Prajapati Mahadev Temple
भगवान शिव का जलाभिषेक करते श्रद्धालु

सावन में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़: हरिद्वार कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति महादेव मंदिर को भगवान शिव का ससुराल भी माना जाता है. माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शंकर अपने ससुराल में रहते हैं और यही से सृष्टि का संचालन करते हैं. मान्यता है कि सावन के सोमवार को यहां भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए सावन के पहले सोमवार को लेकर मंदिर में श्रद्धालु सुबह से ही लाइन में लगे दिखाई दिए.

Haridwar Daxeshwar Prajapati Mahadev Temple
मंदिर में उमड़ी भीड़
पढ़ें-52 शक्तिपीठों में से एक है मां मनसा देवी का मंदिर, ये है पौराणिक कथा

सावन में यहां निवास करते है भगवान शिव: मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार का दिन सबसे ज्यादा प्रिय है. इसलिए इस दिन भगवान शिव की भक्ति और उनका जलाभिषेक करने से उनकी कृपा बनी रहती है.हालांकि भगवान शिव सावन के पूरे महीने अपने ससुराल कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति में ही निवास करते हैं और यही से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं. इसलिए कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं. वहीं दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से माहौल भक्तिमय बना हुआ है. पूरा मंदिर परिसर बम बम भोले के जयकारों से गूंज रहा है. दर्शन के लिए लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं. वहीं मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ रहा है.

मंदिर की पौराणिक कहानी: पौराणिक मान्यता के अनुसार दक्षेश्वर महादेव मंदिर में राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था. राजा दक्ष ने यज्ञ में सभी देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों को तो आमंत्रित किया गया था लेकिन भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया किया. जब ये बात माता सती को पता चलती है तो वो पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की जिद करती हैं. लेकिन भगवान शिव उन्हें बिना निमंत्रण यज्ञ में जाने से रोकते हैं, लेकिन माता सती नहीं मानती हैं और यज्ञ में पहुंच जाती हैं. जहां माता सती देखती हैं कि सारे देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों को यज्ञ में आमंत्रित किया गया है.

भगवान शिव का ससुराल: लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया है. इस दौरान राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान मां सती सहन नहीं कर पाती और अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग देती हैं. जिसके बाद भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और उन्होंने गुस्से में दक्ष का सिर काट दिया. देवताओं के मनाने पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया. गलती का अहसास होने पर राजा दक्ष से माफी मांगी. जिसके बाद भगवान शिव कहते हैं कि भक्तों के कल्याण के लिए वो हर साल सावन के महीने में कनखल में निवास करेंगे. तब से अब तक सावन महीने में भगवान शिव यहां भव्य पूजा होती है.

Last Updated : Jul 10, 2023, 10:32 AM IST
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