रायपुर : नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से राज्य सरकारों की आत्मसमर्पण और पुनर्वास की अपनी नीतियां हैं. राज्य सरकारों के प्रयास को संतुलित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार अपनी नीति के अनुसार नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय (SRI) योजना के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास पर राज्य सरकार की तरफ से किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति करती है.
भारत सरकार ने एक अप्रैल 2013 से नक्सल प्रभावित राज्यों में 'आत्मसमर्पण सह- पुनर्वास योजना' के दिशानिर्देशों में संशोधन किया है. संशोधित नीति के अनुसार केंद्र सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में ऊंचे रैंक वाले LWE कैडर के लिए ढाई लाख रुपये और मध्य और निचले रैंक वाले LWE कैडर के लिए 1 लाख 50 हजार रुपये के अनुदान पर किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति तय की है.
हथियार और गोला बारूद के आत्मसमर्पण के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन की भी प्रतिपूर्ति की जाती है. जो डेटोनेटर, सेल लाइट मशीन गन, रॉकेट लॉन्चर जैसे आत्मसमर्पण किए गए हथियार की श्रेणी के आधार पर प्रति हथियार 10 से 35 हजार रुपये तक होती है. इसके अलावा आत्मसमर्पण किए नक्सली को अधिकतम 36 माह की अवधि के लिए 4 हजार रुपये प्रतिमाह मासिक वजीफे का भुगतान भी किया जाता है. शुरुआत में उन्हें पुनर्वास शिविर में रखा जाता है.जहां उन्हें उनकी पसंद के व्यापार/ व्यवसाय में प्रशिक्षण दिया जाता है.
छत्तीसगढ़ में साल 2013 से 2016 तक आत्मसमर्पित नक्सलियों के आंकड़ें-
- साल 2013 में 28
- साल 2014 में 413
- साल 2015 में 323
- साल 2016 में 15 फरवरी तक के 173 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था.
सरकारी पुनर्वास नीति के मुख्य बिंदु-
- सरेंडर नक्सलियों को तत्काल 10 हजार की सहायता राशि
- रैंक के हिसाब से नक्सलियों को पैसा दिया जाता हैं.
- नक्सलियों को सरकारी नौकरी (रैंक के हिसाब से)
- जिन नक्सलियों को नौकरी नहीं दिया जाता. उन्हें लाइवलीहुड कॉलेज में ट्रेनिंग कराई जाती है ताकि वे आगे कुछ काम कर सकें
- सरकारी आवास में रहने की व्यवस्था
- इलाज की व्यवस्था
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के नाम पर या संगठन में उनके द्वारा पदनाम के आधार पर घोषित पुरस्कार राशि दोनों में से जो ज्यादा हो, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दी जाती है. इस तरह उपलब्ध कराई गई इनाम की राशि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए सुविधाओं में शामिल की जा सकती है.
शस्त्र के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दी जाने वाली राशि
शस्त्र का नाम | राशि |
LMG | 4,50,000 |
एके-47 | 300000 |
SLR राइफल | 1,50,000 |
थ्री नॉट थ्री राइफल | 75,000 |
12 बोर बंदूक | 30,000 |
2" मोटार्र | 2,50,000 |
सिंगल शॉट गन | 30,000 |
9 MM कार्बाइन | 20000 |
पिस्टल रिवाल्वर | 20000 |
वायरलेस सेट | 5000 |
रिमोट डिवाइस | 3000 |
IED | 3000 |
विस्फोटक पदार्थ | 1000 (प्रति किलो) |
ग्रेनेड जिलेटिन राइट | 500 |
सभी प्रकार के एनिमेशन | 05 एम्युनिशन |
बिना शस्त्र के आत्मसमर्पण करने पर उसे प्रोत्साहन के रूप में 10 हजार अनुग्रह राशि दी जाएगी. इसके अलावा भी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कई सुविधाएं और व्यवस्थाएं दी जाती हैं.
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क्यों नहीं मिल सका नक्सल समस्या से निजात
आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति लागू होने के बावजूद अब तक प्रदेश से नक्सल समस्या ना तो कम हुई है और ना ही खत्म हुई है. ETV भारत ने जानने की कोशिश की कि आखिर क्या वजह है कि इस नीति के लागू होने के बावजूद अब तक प्रदेश को नक्सल समस्या से निजात नहीं मिल सकी है.
इसे लेकर राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी शासन काल में नक्सली घटनाएं बढ़ी हैं, तो वहीं बीजेपी इसे कांग्रेस की देन बता रही है. इधर नक्सल एक्सपर्ट्स का मानना है कि नक्सल आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का सही तरीके से क्रियान्वयन ही नहीं हो रहा है.
भाजपा शासनकाल में बढ़ी नक्सल समस्या : कांग्रेस
प्रदेश में नक्सल समस्या खत्म होने को लेकर कांग्रेस ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी का आरोप है कि 15 सालों में नक्सलियों का आतंक बढ़ा है. क्योंकि उन्हें रमन सरकार का संरक्षण मिला था. लेकिन जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से नक्सली हमले में 48% की कमी आई है. तिवारी ने आंध्र प्रदेश की नक्सल आत्मसमर्पण नीति को सफल करार दिया है. विकास ने कहा कि पूर्व की बीजेपी सरकार की नीयत में कमी थी. इस कारण प्रदेश से नक्सलवाद खत्म नहीं हो सका. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने बीजेपी नेताओं पर नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए केंद्र की तरफ से मिलने वाली 12 सौ करोड़ की राशि के बंदरबांट का भी आरोप लगाया.
नक्सल समस्या की जन्मदाता है कांग्रेस : भाजपा
भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने नक्सल समस्या के लिए उल्टे कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है. उन्होंने कहा कि नक्सल की जन्मदाता कांग्रेस रही है. नक्सली भी मानते हैं कि जहां कांग्रेस की सरकार रहती है. वहां उनके लिए अनुकूल वातावरण होता है. उपासने ने ये भी आरोप लगाया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली पुलिस लाइन में आत्महत्या कर रहे हैं.
नक्सल एक्सपर्ट का मानना है कि प्रदेश में आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति लागू तो की गई है. लेकिन उनका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो रहा है. नक्सल एक्सपर्ट शुभ्रांशु चौधरी बताते हैं कि साल 2015 में प्रदेश में नक्सल आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति बनी थी, लेकिन उसका लाभ नहीं मिल रहा है. नीति का ठीक से पालन दोनों ही सरकारों में नहीं हुआ. जिस वजह से आज प्रभावित सड़कों पर आ रहे हैं. मुख्यधारा में आने वालों का सम्मान नहीं करते हैं. कागजों पर ही योजनाएं संचालित हो रही हैं.
छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या नासूर बनती जा रही है. जिसके समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जाने के दावे, तो किए जाते रहे हैं. लेकिन सही ढंग से इसका क्रियान्वयन नहीं होने से प्रभावितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार के लिए नक्सली एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं. अब देखने वाली बात है कि सरकार इस समस्या के समाधान के लिए आने वाले समय में क्या कदम उठाती है.