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अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास के लिए अनावश्यक नियंत्रण हटाने की जरूरत : इसरो प्रमुख सोमनाथ

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By PTI

Published : Nov 25, 2023, 10:33 PM IST

भारत के प्रथम रॉकेट के प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ पर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरित्र क्षेत्र के विकास के लिए अनावश्यक नियंत्रण को हटा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उपग्रह विनिर्माण के लिए भारत के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है. पढ़िए पूरी खबर... ISRO Chairman S Somanath, 60 years since India first sounded rocket launch,space sector

ISRO Chairman S Somanath
इसरो प्रमुख सोमनाथ

तिरुवनंतपुरम : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास के लिए अनावश्यक नियंत्रण हटाए जाने की जरूरत है. उन्होंने अंतरिक्ष उद्योग में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति का श्रेय इस क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने को भी दिया. भारत के प्रथम रॉकेट के प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान सोमनाथ ने अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित किया, जिसने भारत की उपग्रह निर्माण क्षमताओं को काफी बढ़ाया है.

इसरो प्रमुख ने कहा, 'पहले उपग्रहों, प्रक्षेपण यान और संबद्ध प्रौद्योगिकियों का विकास व उत्पादन केवल इसरो करता था. इसरो में केवल 17,000 लोग हैं और 13,000 करोड़ रुपये का बजट है.' उन्होंने कहा कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में अब 130 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से कुछ कंपनियों में 400 से 500 कर्मचारी हैं और उनका कारोबार 500 से 1,000 करोड़ रुपये है. सोमनाथ ने कहा, 'उनमें से कुछ इसरो की तुलना में बेहतर वेतन दे रहे हैं, और इसरो से सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों की वहां काफी मांग है. ये कंपनियां इसरो से सेवानिवृत्त होने वाले लोगों का इंतजार कर रही हैं.'

  • VIDEO | ISRO chief S Somanath talks about the 60th anniversary of launch of India's first sounding rocket.

    The Vikram Sarabhai Space Centre (VSSC) is holding a series of events on November 25 to mark the 60th anniversary of the launch of India's first sounding rocket from Thumba… pic.twitter.com/vaGGFvsQST

    — Press Trust of India (@PTI_News) November 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इसरो प्रमुख ने कहा कि उपग्रह विनिर्माण के लिए भारत के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है और यह इसके कारोबार में अपनी मौजूदगी बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा, 'प्रौद्योगिकी विकास और अंतरिक्ष विज्ञान में प्रगति ठीक है, लेकिन कारोबार महत्वपूर्ण है.' वर्तमान में, पांच भारतीय कंपनियां उपग्रह विनिर्माण करने में सक्षम हैं, और उनमें से तीन ने अपने उपग्रहों का विनिर्माण और विदेशों से सफल प्रक्षेपण किया है.

सोमनाथ ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि उनके उपग्रह विदेशों से प्रक्षेपित किए जाएं. हम चाहते हैं कि वे हमारे प्रक्षेपण केंद्रों का उपयोग करें. हम चाहते हैं कि वे उपग्रह यहां बनाएं; वे जो भी प्रौद्योगिकी चाहते हैं ला सकते हैं, लेकिन यहां विनिर्माण करें और यहां से उनका प्रक्षेपण करें.' उन्होंने स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष विज्ञान में निजी क्षेत्र इसरो की भूमिका को नहीं घटाता है. सोमनाथ ने कहा, 'इसरो अभी जो कुछ कर रहा है उसे करना जारी रखेगा. हम अब लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की बात कर रहे हैं. इसरो प्रगति करना जारी रखेगा.'

उन्होंने कहा कि जीएसएलवी रॉकेट को नियमित रूप से अद्यतन किया गया है और इसने अंतरिक्ष में काफी अधिक वजन ले जाने की क्षमता प्रदर्शित की है. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में ‘पेलोड’ ले जाने की पीएसएलवी की क्षमता 850 किलोग्राम थी जो अब बढ़ाकर दो टन कर दी गई है.

ये भी पढ़ें - विवाद बढ़ने पर इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने आत्मकथा का विमोचन टाला

तिरुवनंतपुरम : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास के लिए अनावश्यक नियंत्रण हटाए जाने की जरूरत है. उन्होंने अंतरिक्ष उद्योग में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति का श्रेय इस क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने को भी दिया. भारत के प्रथम रॉकेट के प्रक्षेपण की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह के दौरान सोमनाथ ने अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित किया, जिसने भारत की उपग्रह निर्माण क्षमताओं को काफी बढ़ाया है.

इसरो प्रमुख ने कहा, 'पहले उपग्रहों, प्रक्षेपण यान और संबद्ध प्रौद्योगिकियों का विकास व उत्पादन केवल इसरो करता था. इसरो में केवल 17,000 लोग हैं और 13,000 करोड़ रुपये का बजट है.' उन्होंने कहा कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में अब 130 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से कुछ कंपनियों में 400 से 500 कर्मचारी हैं और उनका कारोबार 500 से 1,000 करोड़ रुपये है. सोमनाथ ने कहा, 'उनमें से कुछ इसरो की तुलना में बेहतर वेतन दे रहे हैं, और इसरो से सेवानिवृत्त वैज्ञानिकों की वहां काफी मांग है. ये कंपनियां इसरो से सेवानिवृत्त होने वाले लोगों का इंतजार कर रही हैं.'

  • VIDEO | ISRO chief S Somanath talks about the 60th anniversary of launch of India's first sounding rocket.

    The Vikram Sarabhai Space Centre (VSSC) is holding a series of events on November 25 to mark the 60th anniversary of the launch of India's first sounding rocket from Thumba… pic.twitter.com/vaGGFvsQST

    — Press Trust of India (@PTI_News) November 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इसरो प्रमुख ने कहा कि उपग्रह विनिर्माण के लिए भारत के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है और यह इसके कारोबार में अपनी मौजूदगी बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा, 'प्रौद्योगिकी विकास और अंतरिक्ष विज्ञान में प्रगति ठीक है, लेकिन कारोबार महत्वपूर्ण है.' वर्तमान में, पांच भारतीय कंपनियां उपग्रह विनिर्माण करने में सक्षम हैं, और उनमें से तीन ने अपने उपग्रहों का विनिर्माण और विदेशों से सफल प्रक्षेपण किया है.

सोमनाथ ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि उनके उपग्रह विदेशों से प्रक्षेपित किए जाएं. हम चाहते हैं कि वे हमारे प्रक्षेपण केंद्रों का उपयोग करें. हम चाहते हैं कि वे उपग्रह यहां बनाएं; वे जो भी प्रौद्योगिकी चाहते हैं ला सकते हैं, लेकिन यहां विनिर्माण करें और यहां से उनका प्रक्षेपण करें.' उन्होंने स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष विज्ञान में निजी क्षेत्र इसरो की भूमिका को नहीं घटाता है. सोमनाथ ने कहा, 'इसरो अभी जो कुछ कर रहा है उसे करना जारी रखेगा. हम अब लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की बात कर रहे हैं. इसरो प्रगति करना जारी रखेगा.'

उन्होंने कहा कि जीएसएलवी रॉकेट को नियमित रूप से अद्यतन किया गया है और इसने अंतरिक्ष में काफी अधिक वजन ले जाने की क्षमता प्रदर्शित की है. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में ‘पेलोड’ ले जाने की पीएसएलवी की क्षमता 850 किलोग्राम थी जो अब बढ़ाकर दो टन कर दी गई है.

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