नई दिल्ली : बीस से अधिक केंद्रीय और दिल्ली सरकार के विभागों ने 2020-21 में 7.04 लाख मीट्रिक टन पुनर्नवीनीकरण उत्पादों का उपयोग किया. हालांकि, यह आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा निर्धारित लक्ष्य (15.8 लाख मीट्रिक टन) का सिर्फ 44.5 प्रतिशत था.
2019-20 में, विभागों ने मंत्रालय द्वारा निर्धारित 16 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य में से केवल 4.13 लाख मीट्रिक टन का उपयोग किया था. दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के अनुसार, कम से कम 10 प्रतिशत निर्माण और तोड़फोड़ (सी एंड डी) कचरे से पुनर्नवीनीकरण उत्पादों का उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जाना है और कम से कम 2 प्रतिशत निर्माण कार्यों में इसका उपयोग किया जाना है.
शहरी स्थानीय निकाय निजी व्यक्तियों सहित सभी द्वारा गैर-संरचनात्मक अनुप्रयोग के लिए ऐसे 5 प्रतिशत उत्पादों का उपयोग करना अनिवार्य करते हैं. सी एंड डी पुनर्नवीनीकरण उत्पादों में निर्मित रेत, पेवर ब्लॉक, कर्ब स्टोन, टाइल, खोखले ब्लॉक और पूर्व-निर्मित संरचनाएं जैसे फ्रेम, मैनहोल कवर, बेंच आदि शामिल हैं. केवल तीन एजेंसियों- पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली मेट्रो रेल निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण - ने अपने लक्ष्य को पूरा किया या उससे अधिक किया.
यह भी पढ़ें-इंजेक्शन लगते ही युवक ने तड़प-तड़पकर तोड़ा दम, झकझोर कर रख देगा वीडियो
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा तैयार एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में रेलवे बोर्ड शामिल है, जिसने 10,000 मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 15 मीट्रिक टन सी एंड डी पुनर्नवीनीकरण उत्पादों को उठाया. इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी), जिसने पिछले साल अपनी परियोजनाओं में किसी भी पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग नहीं किया.
(पीटीआई-भाषा)