जोधपुर. राजस्थान का जोधपुर स्वाद के शौकीनों का शहर है. मिठाई, रोटी से लेकर सब्जी तक, यहां सब कुछ दूध से बनता है. जोधपुर के भोजन में दूध का प्रयोग ज्यादा होता है. मिठाइयां तो दूध से बनती ही हैं, दूध की रोटी और सब्जी भी बनती है, जिसे बड़े चाव से खाया जाता है. दूध के प्रयोग से बनी सब्जियों को शाही सब्जियों का दर्जा दिया गया है.
इसके अलावा दूध से बना खोया भी सब्जियों में यहां प्रयोग में आता है, यानी कि मिठाई के साथ रोटी व सब्जी में भी दूध का उपयोग होता है. यहां दूध की मलाई रोटी तो विश्वप्रसिद्ध हो गई है. इसी तरह से गुलाब जामुन और चक्की की सब्जी भी फेमस है. जोधपुर आने वाले पर्यटक इसका स्वाद उठाना नहीं भूलते हैं.
मलाई रोटी एक हजार रुपये किलो : शहर में मलाई रोटी की शुरुआत इत्तेफाक से ही हुई थी, जो आज 40 साल से लोगों की पसंद बनी हुई है. दूध के गिलास में दिखने वाली मलाई की रोटी बनाने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. यह एक ही रेस्टोरेंट पर मिलती है, जिसका स्वाद लेने के लिए भीतरी शहर में जाना पड़ता हैं. विजय रेस्टोरेंस संचालक भरत भाटी बताते हैं कि 1980 में उनके पिता जवरीलाल भाटी मलाई ने रोटी का अविष्कार किया था.
दरअसल, वे घर में बैठै थे. इस दौरान एक बिल्ली आ गई तो उन्होंने एक कटोरी उसकी ओर फेंकी. उस कटोरी में मलाई जमा थी. कटोरी में से मलाई उछल कर गर्म कड़ाही पर जा चिपकी. जब उसे उतारा तो वह सुख चुकी थी. उसके बाद जवरीलाल ने मलाई को रोटी का रूप देकर घी में फ्राय किया और चाशनी में डाल कर एक नया व्यंजन बना दिया, जिसे नाम दिया गया मलाई रोटी. भरत बताते हैं कि इसे सिमित मात्रा में बनाते हैं. इसमें समय बहुत ज्यादा लगता है.
इसे भी पढ़ें : Diwali 2023 : ये पटाखे हैं 'खास', इन्हें जलाया नहीं, बल्कि खाया जाता है, यहां जानें क्रैकर स्वीट्स की खासियत
एक रोटी करीब 100-110 ग्राम की होती है. क्षेत्र में रहने वाले शहरवासियों के रिश्तेदार आते हैं तो वे मलाई रोटी जरूर चखते हैं, क्योंकि इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं होती. देशी घी में तला जाता है. इसके बाद ड्राई फ्रूट्स से ग्रानिश किया जाता है. इसका व्रत और त्योहारों में भी उपयोग होता है. मलाई रोटी 1 हजार रुपये प्रति किलो मिलती है.
गुलाब जामुन है मिठाई, जोधपुर में बनती है सब्जी : गुलाब जामुन नाम आते ही मिठाई का नाम दिमाग में आता है, लेकिन जोधपुर में गुलाब जामुन की सब्जी बनती है. वह भी तड़के के साथ. जोधपुर आने वाले यह सब्जी खाना नहीं भूलते. मावे से ही फीके गुलाब जामुन बनाए जाते हैं, जो सिर्फ सब्जी के ही काम आते हैं. गुलाब जामुन की सब्जी जोधपुरी शाही सब्जी की श्रेणी में आती है. इसकी करी काफी रिच होती है.
पूरी तरह से देशी घी में यह सब्जी बनती है. इसका चलन यहां शादी-ब्याह में भी होता है. यह फीके गुलाब जामुन 400 रुपए किलो मिलते हैं. 'राज अल्पाहार' से इसकी 50 साल पहले शुरुआत हुई थी, जिसका स्वाद आज भी बना हुआ हैं. गुलाब जामुन सब्जी निर्माता संजय परिहार बताते हैं कि मीठे गुलाब जामुन की तर्ज पर ही जामुन तैयार होते हैं. सब्जी के लिए दही में मसाला तैयार किया जाता है. ड्राय फ्रूट की ग्रेवी के साथ इसे छौंका जाता है. साबूत ड्राय फ्रूट्स भी डाले जाते हैं. एक प्लेट 300 रुपये की होती है.
इसे भी पढ़ें : सोशल मीडिया पर बूंदी के भ्रामक प्रचार से लगातार कम हो रहे पर्यटक, ये है पूरा मामला
दूध की लगती है मंडी : जोधपुर एक मात्र शहर है, जहां पर दूध की मंडी लगती है, जिसे दूध का चौहटा कहा जाता है. घांची समाज के लोग इससे व्यवसाय से ज्यादा जुड़े हुए हैं. दूध की क्वालिटी पर भाव तय होते हैं, क्योंकि मिठाई विक्रेता और रेस्टोरेंट संचालक अपना जायका बनाए रखने के लिए क्वालिटी से समझौता नहीं करते हैं. यही वजह है कि जोधपुर की मिठाइयां भी फेमस हैं. खांडा फलसा दूध चौहटा संघ के अध्यक्ष पुखराज सोलंकी बताते हैं कि यहां 100 साल से चौहटा लग रहा है. प्रतिदिन 50 से 60 हजार लीटर दूध यहां से बिकता है, जिससे सिर्फ पनीर, मावा व गुलाब जामुन बनता है.