नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ने मलयालम भाषा से संबंधित विवादित सर्कुलर को वापस ले लिया है. बता दें कि अस्पताल प्रशासन ने शनिवार को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि जीबी पंत अस्पताल में भर्ती ज्यादातर मरीज मलयालम भाषा नहीं जानते हैं, इसलिए यहां सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी का इस्तेमाल करें.
चिकित्सा निदेशक डॉ. अनिल अग्रवाल ने एक नया आदेश जारी कर कहा, 'अस्पताल प्रशासन और दिल्ली सरकार की जानकारी या किसी भी निर्देश के बिना जी बी पंत अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक द्वारा जारी परिपत्र तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है.'
डॉ. अग्रवाल ने कहा, 'मामले की जांच चल रही है और कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'
इस सर्कुलर के पीछे एक शिकायत को वजह बताया गया था, जिसमें कहा गया था कि अस्पताल के स्टाफ मलयालम भाषा में बात कर रहे हैं, जो मरीजों को समझ नहीं आ रहा. सर्कुलर पर विवाद होने पर दिल्ली सरकार ने अस्पताल प्रशासन को सर्कुलर वापस लेने का आदेश दिया था.
उल्लेखनीय है कि अस्पताल के नर्सिंग अधीक्षक ने शनिवार को एक परिपत्र जारी कर अपने नर्सिंग कर्मचारियों को काम के दौरान मलयालम भाषा में बात नहीं करने को कहा था, क्योंकि 'अधिकतर मरीज और सहकर्मी इस भाषा को नहीं जानते हैं,' जिसके कारण बहुत असुविधा होती है.
यहां के प्रमुख अस्पतालों में से एक गोविंद बल्लभ पंत स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (जीआईपीएमईआर) द्वारा जारी परिपत्र में नर्सों से कहा गया था कि वे संवाद के लिए केवल हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग करें, अन्यथा 'कड़ी कार्रवाई' का सामना करने के लिए तैयार रहें.
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जी बी पंत के नर्सिंग स्टाफ संगठन के एक अधिकारी ने कहा कि अस्पताल में करीब 850 नर्स काम कर रही हैं जिनमें से तकरीबन 400 मलयाली हैं.
संगठन के अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने दावा किया कि अस्पताल में मलयालम भाषा का इस्तेमाल करने के संबंध में एक मरीज द्वारा स्वास्थ्य विभाग में एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजी शिकायत के आधार पर परिपत्र जारी किया गया, हालांकि 'संगठन परिपत्र में इस्तेमाल शब्दों पर आपत्ति व्यक्त करता है.'
इस परिपत्र की चिकित्सा समुदाय, नेताओं और जनता ने आलोचना की थी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहां भाषायी भेदभाव खत्म करने का आह्वान किया, वहीं पार्टी के नेता शशि थरूर ने कहा कि यह आदेश 'अस्वीकार्य, अशिष्ट, अपमानजनक और भारतीय नागरिकों के मौलिक मानवाधिकारों का हनन है.'