जयपुर. दिल्ली की विशेष अदालत ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले मामले में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिजनों के खिलाफ बयानबाजी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आंशिक राहत दी है. विशेष न्यायालय के न्यायाधीश एम के नागपाल ने मानहानि परिवाद पर सुनवाई कर रही निचली अदालत को निर्देश दिए हैं कि वह समन जारी करने के मामले में सुनवाई जारी रख सकती है, लेकिन मामले में कोई अंतिम आदेश जारी नहीं करे.
प्रार्थना पत्र में ये कहा : अदालत ने मामले में गजेंद्र सिंह के वकील को बहस करने के लिए 30 अक्टूबर और 1 नवंबर का समय दिया है. अदालत ने यह आदेश मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दायर रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान अदालत ने गजेंद्र सिंह के वकील की ओर से कार में बैठकर वीसी से जुड़ने पर भी नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान गजेंद्र सिंह के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई कुछ दिन टालने की गुहार की. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से उनके अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र पेश कर निचली अदालत की ओर से आरोप तय करने पर रोक की गुहार की. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि यदि निचली अदालत आरोप तय कर देगी तो अदालत में चल रही रिवीजन पिटिशन अर्थहीन हो जाएगी. ऐसे में निचली अदालत को मामले में आरोप तय करने से रोका जाए.
रिवीजन याचिका में सीएम ने निचली कोर्ट के 6 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें समन के जरिए कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था. सीएम की ओर से कहा गया कि मामले में दायर मानहानि के परिवाद में आपराधिक मानहानि के कोई साक्ष्य ही नहीं हैं. अखबार में छपी खबरों के आधार पर परिवाद दायर किया है जो सही नहीं माना जा सकता. सीएम ने जो बयान दिया था वह गृह मंत्री के तौर पर और एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर दिया था. एसओजी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में परिवादी शेखावत को आरोपी माना है, इसलिए उनके खिलाफ समन पर रोक लगाई जाए. गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह ने दिल्ली की निचली कोर्ट में संजीवनी घोटाले मामले में सीएम गहलोत के बयानबाजी करने पर उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का दावा दायर किया है.