नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव खत्म बेशक हो गए हैं, लेकिन सिख राजनीति के गलियारों में अब भी कमेटी के आगामी चयनों को लेकर चर्चाएं तेज हैं. आने वाले दिनों में कमेटी के लिए चुने जाने वाले 2 सदस्यों के लिए कुल 6 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है. अफवाह है कि इस चुनाव में आखिरी मौके पर कुछ ऐसा हो सकता है जिसकी उम्मीद नहीं है. बता दें कि ये दो सदस्य नौ सितंबर को चुने जाएंगे.
दरअसल, इस चुनाव में किसी भी सदस्य को चुनने के लिए 16 वोट की ज़रूरत है. मौजूदा उम्मीदवारों की बात करें तो यहां चार प्रत्याशी शिरोमणि अकाली दल बादल खेमे से तो एक प्रत्याशी शिरोमणी अकाली दल दिल्ली का है. अब तक सब ठीक था लेकिन जागो पार्टी ने भी अपना एक उम्मीदवार खड़ा कर यहां अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है.
बादल खेमे के पास कुल 28 (27+1) सदस्य हैं तो वहीं सरना दल के पास 15(14+1) और जागो के पास 3 सदस्य हैं. सीटों के गणित को देखें तो बादल दल अपना एक सदस्य बहुत आसानी से कमेटी में ला सकेगा. हालांकि दूसरे सदस्य के लिए न तो बादल दल के पास बहुमत है और न ही सरना खेमे के पास. सरना खेमे को एक वोट की ज़रूरत होगी.
कयास लगाए जा रहे थे कि चुने जाने वाले मेंबर के लिए जागो पार्टी सरना दल को समर्थन करेगी. हालांकि ऐन मौके पर जीके के सबसे भरोसेमंद माने जाने वाले परमिंदर पाल सिंह ने पर्चा भर दिया. यानि चुनाव में संभावित नतीजों से अलग नतीजे भी हो सकते हैं.
खबर है कि शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी इन दिनों मनजीत सिंह जी के से मिलने की जुगत में हैं. क्रॉस वोटिंग की संभावना भी लगातार बनी हुई है. हालांकि मनजीत सिंह जी के का किंगमेकर बनना तय है.
आपकाे बता दें कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद जीते हुए सदस्यों द्वारा दो सदस्य नौ सितंबर को चुने जाएंगे. कमेटी में कुल 55 सदस्य होते हैं.इनमें से 46 सीधे संगत से चुनकर आते हैं. दो का चुनाव जीते हुए सदस्य मतदान से करते हैं.
दिल्ली के गुरुद्वारा सिंह सभाओं के अध्यक्षों में से दो लाटरी से चुनकर कमेटी में पहुंचते हैं. एक सदस्य एसजीपीसी का प्रतिनिधि होता है. इन 51 सदस्यों को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले मतदान में मत देने का अधिकार होता है. शेष चार सदस्य अलग-अलग तख्त के जत्थेदार होते हैं और इन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता है.
ये भी पढ़ें : हार के बाद भी DSGMC में रहेंगे सिरसा, जानें क्या है वजह?