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Delhi Riots: हिंदुओं में देश छोड़ने का डर पैदा करना चाहती थी गैरकानूनी सभा: दिल्ली कोर्ट

दिल्ली की कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में दस लोगों के खिलाफ दंगा और अन्य आरोप तय करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं में देश छोड़ने का डर पैदा करना चाहती थी गैरकानूनी सभा.

Delhi Riots
दिल्ली कोर्ट
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Published : Dec 17, 2021, 8:31 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में दस लोगों के खिलाफ दंगा और अन्य आरोप तय करने का आदेश दिया है, जब अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि वे हिंदुओं में भय और दहशत पैदा करने और उन्हें देश छोड़ने की धमकी देने के उद्देश्य से बनाई गई एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट के आदेश में कहा गया है.

'रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री प्रथम दृष्टया खुलासा करती है कि आरोपी 25.02.2020 को एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे, जो हिंदू समुदाय के लोगों में भय और दहशत पैदा करने के लिए उन्हें देश छोड़ने और आगजनी, लूट आदि करने के साथ-साथ उनकी दुकानों / घरों को आग लगाने के उद्देश्य से बनाया गया था.'

इसी क्रम में मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू और मोहम्मद ताहिर के खिलाफ न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस दंगा), 436 (आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत घर को नष्ट करने के इरादे से), 452 (घर में अतिचार), 454 (गुप्त घर-अतिचार या घर तोड़ना), 392 (डकैती), 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), धारा 149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य वस्तु के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है.

पढ़ें: दिलदार दिल्ली कब-कब हुई दागदार, जानिए 1984 से लेकर अब का इतिहास

यह मामला 25 फरवरी, 2020 को हुई एक कथित घटना से उपजा था. कहा जाता है कि भीड़ ने एक ऑटो मरम्मत की दुकान में तोड़फोड़ की थी. जिसके बाद उसे जला दिया था. विशेष अभियोजक ने तर्क दिया कि पुलिस गवाहों के अलावा, शिकायतकर्ता सहित तीन सार्वजनिक गवाहों ने आरोपी व्यक्तियों की पहचान की थी.

पढ़ें: जेल अधिकारियों का रवैया यह नहीं हो सकता कि कैदियों को पीटा जाए: दिल्ली हाईकोर्ट

आरोपी व्यक्तियों की ओर से पेश वकील ने इसे झूठा मामला बताया.

कोर्ट ने कहा, 'प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर इन तीन गवाहों के बयान पर अविश्वास करने का कोई आधार नहीं दिखता है. उन्होंने केवल तीन आरोपियों के नाम लिए हैं, जिन्हें वे पहले से जानते थे और भीड़ में देख चुके थे'.

पढ़ें: दिल्ली दंगा : विरोधाभासी बयानों पर अदालत ने कहा, शपथ लेकर झूठी गवाही दे रहे पुलिस गवाह

रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री से अदालत ने पाया कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा शिकायतकर्ता की संपत्ति को दंगा, लूटपाट और आग लगा दी गई थी.अदालत 21 दिसंबर को औपचारिक रूप से आरोप तय करेगी.

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में दस लोगों के खिलाफ दंगा और अन्य आरोप तय करने का आदेश दिया है, जब अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि वे हिंदुओं में भय और दहशत पैदा करने और उन्हें देश छोड़ने की धमकी देने के उद्देश्य से बनाई गई एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट के आदेश में कहा गया है.

'रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री प्रथम दृष्टया खुलासा करती है कि आरोपी 25.02.2020 को एक गैरकानूनी सभा के सदस्य थे, जो हिंदू समुदाय के लोगों में भय और दहशत पैदा करने के लिए उन्हें देश छोड़ने और आगजनी, लूट आदि करने के साथ-साथ उनकी दुकानों / घरों को आग लगाने के उद्देश्य से बनाया गया था.'

इसी क्रम में मोहम्मद शाहनवाज, मोहम्मद शोएब, शाहरुख, राशिद, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू और मोहम्मद ताहिर के खिलाफ न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस दंगा), 436 (आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत घर को नष्ट करने के इरादे से), 452 (घर में अतिचार), 454 (गुप्त घर-अतिचार या घर तोड़ना), 392 (डकैती), 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), धारा 149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य वस्तु के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है.

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यह मामला 25 फरवरी, 2020 को हुई एक कथित घटना से उपजा था. कहा जाता है कि भीड़ ने एक ऑटो मरम्मत की दुकान में तोड़फोड़ की थी. जिसके बाद उसे जला दिया था. विशेष अभियोजक ने तर्क दिया कि पुलिस गवाहों के अलावा, शिकायतकर्ता सहित तीन सार्वजनिक गवाहों ने आरोपी व्यक्तियों की पहचान की थी.

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आरोपी व्यक्तियों की ओर से पेश वकील ने इसे झूठा मामला बताया.

कोर्ट ने कहा, 'प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर इन तीन गवाहों के बयान पर अविश्वास करने का कोई आधार नहीं दिखता है. उन्होंने केवल तीन आरोपियों के नाम लिए हैं, जिन्हें वे पहले से जानते थे और भीड़ में देख चुके थे'.

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रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री से अदालत ने पाया कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा शिकायतकर्ता की संपत्ति को दंगा, लूटपाट और आग लगा दी गई थी.अदालत 21 दिसंबर को औपचारिक रूप से आरोप तय करेगी.

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