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HC ने फिल्म 'फराज' की रिलीज को लेकर फिल्म निर्माता हंसल मेहता और अन्य को समन जारी किया - फिल्म 'फराज' की रिलीज को लेकर

दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म निर्माता हंसल मेहता और अन्य के खिलाफ उनकी फिल्म 'फराज' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दायर एक मुकदमें में समन जारी किया है. यह मुकदमा 2016 को बांग्लादेश के ढाका में हुए आतंकवादी हमले में अपनी बेटियों को खोने वाले परिवार ने दायर किया है.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Oct 19, 2021, 6:27 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म निर्माता हंसल मेहता और अन्य के खिलाफ उनकी फिल्म 'फराज' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दायर एक मुकदमें में समन जारी किया. बता दें कि यह फिल्म एक जुलाई, 2016 को बांग्लादेश के ढाका के होली आर्टिसन में हुए आतंकवादी हमले पर आधारित है. यह मुकदमा उस परिवार ने दायर किया है जिसने हमले में अपनी बेटियों को खो दिया था.

याचिका में कहा गया है कि उन्हें डर है कि फिल्म में उनकी बेटियों को गलत तरीके से दिखाया जा सकता है, इसलिए उनके पक्ष में एक स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा जारी करने का अनुरोध कोर्ट से किया गया है. इसके साथ ही फिल्म पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनकी निजता के अधिकार और निष्पक्ष परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है.

ये भी पढ़ें- SC ST act case : बॉम्बे हाईकोर्ट ने अस्पताल कर्मचारियों को दी अग्रिम जमानत

इस संबंध में न्यायमूर्ति आशा मेनन ने अंतरिम राहत की मांग करने वाली याचिका पर भी नोटिस जारी किया. कोर्ट ने आदेश दिया, 'समन इंगित करेगा कि वाद के लिए लिखित बयान और आवेदन (आवेदनों) के उत्तरों को प्रतिवादियों द्वारा समन प्राप्त होने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर दायर किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्रतिवादी वादी द्वारा दायर दस्तावेज (दस्तावेजों) के दाखिले/इनकार का हलफनामा भी दाखिल करेगा, जिसमें विफल रहने पर लिखित बयान को रिकॉर्ड में नहीं लिया जाएगा.'

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म निर्माता हंसल मेहता और अन्य के खिलाफ उनकी फिल्म 'फराज' की रिलीज पर रोक लगाने के लिए दायर एक मुकदमें में समन जारी किया. बता दें कि यह फिल्म एक जुलाई, 2016 को बांग्लादेश के ढाका के होली आर्टिसन में हुए आतंकवादी हमले पर आधारित है. यह मुकदमा उस परिवार ने दायर किया है जिसने हमले में अपनी बेटियों को खो दिया था.

याचिका में कहा गया है कि उन्हें डर है कि फिल्म में उनकी बेटियों को गलत तरीके से दिखाया जा सकता है, इसलिए उनके पक्ष में एक स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा जारी करने का अनुरोध कोर्ट से किया गया है. इसके साथ ही फिल्म पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनकी निजता के अधिकार और निष्पक्ष परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है.

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इस संबंध में न्यायमूर्ति आशा मेनन ने अंतरिम राहत की मांग करने वाली याचिका पर भी नोटिस जारी किया. कोर्ट ने आदेश दिया, 'समन इंगित करेगा कि वाद के लिए लिखित बयान और आवेदन (आवेदनों) के उत्तरों को प्रतिवादियों द्वारा समन प्राप्त होने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर दायर किया जाना चाहिए. इसके अलावा प्रतिवादी वादी द्वारा दायर दस्तावेज (दस्तावेजों) के दाखिले/इनकार का हलफनामा भी दाखिल करेगा, जिसमें विफल रहने पर लिखित बयान को रिकॉर्ड में नहीं लिया जाएगा.'

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