नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने बिजली का तार बिछाने के लिए पेड़ों की जड़ों की खोदाई करने पर कड़ा एतराज जताया है. जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने दक्षिणी दिल्ली में बिपिन चंद्र पाल मार्ग पर पेड़ों को नुकसान पहुंचाने पर बिजली वितरण कंपनी BSES पावर के CEO, चितरंजन पार्क के SHO और PWD के चीफ इंजीनियर को नोटिस जारी किया है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पेड़ों की जड़ों को खोदने पर सख्त लहजे में कहा कि अब और नहीं. आप शहर को 20 साल पीछे कैसे ले जा सकते हैं. हम इसके लिए FIR दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं. जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सकती है. ये आपराधिक कृत्य है. नुकसान काफी बड़ा है. याचिका दिल्ली नेचर सोसायटी ने दायर की है.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदित्य एन प्रसाद ने कहा कि बिपिन चंद्र पाल मार्ग पर बिजली की तार बिछाने के लिए पेड़ों की जड़ों को खोदा जा रहा है. वहीं, BSES की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग ने कहा कि बिजली के भूमिगत तारों को बिछाने के लिए 70 मीटर खोदाई की गई है और इससे पेड़ों को कोई नुकसान नहीं हुआ है. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि PWD ने BSES को इस बात की ताकीद की थी कि वो बिजली के तारों को बिछाने के दौरान पेड़ों से एक मीटर की दूरी का ख्याल रखें, लेकिन खोदाई के तीन दिन बाद PWD ने पाया कि खोदाई से पेड़ों को नुकसान पहुंचा है.
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कोर्ट ने कहा कि पेड़ों को नुकसान के लिए PWD और स्थानीय पुलिस दोनों की लापरवाही है. इसके लिए ट्री अफसर को खुद जवाब देना होगा. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिया कि वे इस मामले को देखें. कोर्ट ने कहा कि बिजली के तार बिछाने के लिए जो खोदाई हुई उससे दिव्यांग और पैदल चलने वाले लोगों का भी नुकसान हुआ है क्योंकि फुटपाथ की चौड़ाई कम कर दी गई है.
कोर्ट ने PWD से पूछा कि आप बताएं कि फुटपाथ की चौड़ाई कैसे कम कर दी गई. कोर्ट ने PWD के चीफ इंजीनियर को निर्देश दिया कि वो फुटपाथ की चौड़ाई कम होने के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करें.
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