नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित आतंकी टेरर फंडिंग मामले में आरोपित कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की नियमित जमानत याचिका पर सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जवाब मांगा है. शब्बीर ने अपनी नियमित जमानत याचिका में विशेष न्यायाधीश द्वारा सात जुलाई को उनकी जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शाह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि यह कोई महत्वपूर्ण मामला नहीं है. इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा पहले ही आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. आरोप तय हो चुके हैं और मुकदमा भी शुरू हो गया है. आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील इस अदालत में लंबित है. शाह के वकील की इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने एनआईए को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर मामले में जवाब की प्रतियों के साथ प्रासंगिक सामग्री रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया है.
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साथ ही मामले को अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. शाह की वकील मुग्धा और कामरान ख्वाजा के जरिए दायर अपील में कहा गया है कि एनआईए द्वारा दायर मुख्य और पहली चार्जशीट में शाह के बारे में कोई उल्लेख नहीं है. अपील में यह भी कहा गया है कि अपीलकर्ता के खिलाफ किसी भी सामग्री के अभाव में वर्तमान एफआईआर के तहत चार साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया है. साथ ही बीच-बीच में उन्हें 35 साल तक कश्मीर और देश की विभिन्न जेलों में कैद रखा गया है. जबकि शब्बीर अहमद शाह के खिलाफ एक भी दोषसिद्धि या आरोप नहीं है.
उनके खिलाफ पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) के कुल नौ मामले रद्द कर दिए गए हैं. अब ईसीआईआर नंबर/04/डीजेड/2007 मामले में ईडी द्वारा उन पर पहली बार आरोप लगाया गया है, जिसमें भी अपीलकर्ता ने अपनी बेगुनाही बरकरार रखी है.
एनआईए ने आरोप लगाया है कि विभिन्न आरोपी व्यक्तियों ने कश्मीर घाटी में व्यवधान पैदा करने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए धन जुटाने और इकट्ठा करने की साजिश रची. शाह को जून 2019 में गिरफ्तार किया गया था और चार अक्टूबर, 2019 को एनआईए द्वारा दायर दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
शाह के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साथ ही मारे गए आतंकवादियों के परिवार को हवाला लेनदेन के माध्यम से श्रद्धांजलि स्वरूप धन प्रदान करना, एलओसी व्यापार के माध्यम से धन जुटाना और धन का इस्तेमाल विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करना शामिल है.
बता दें कि पिछले साल मार्च में पटियाला हाउस कोर्ट ने शब्बीर, यासीन मलिक, हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह, फंटूश, नईम खान, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे सहित कई अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे. बाद में यासीन मलिक को दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
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