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हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, 'जल्द ही दिल्ली बन सकती है कोरोना राजधानी'

दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों, रिटायर्ड इंजीनियर्स और सफाई कर्मियों की बकाया सैलरी देने के मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली देश की कोरोना राजधानी बन सकती है. राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 16 दिसंबर तक इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

delhi can soon become corona capital
राजधानी में लगतार बढ़ रहे कोरोना के मामले
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Published : Nov 5, 2020, 7:47 PM IST

नई दिल्ली : राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली जल्द ही देश की कोरोना राजधानी बन सकती है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोरोना वायरस दिल्ली पर पूरी तरह हावी हो चुका है. कोर्ट ने ये टिप्पणी उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों, रिटायर्ड इंजीनियर्स और सफाईकर्मियों की बकाया सैलरी देने के मामले पर सुनवाई के दौरान की.

HC ने केंद्र से पूछा- बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए

राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पूछा कि उसके आदेश के बावजूद इस समस्या के समाधान के लिए बुलाई गई बैठक में केंद्र की ओर से क्यों कोई शामिल नहीं हुआ? कोर्ट ने तीनों नगर निगमों और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो सैलरी के लिए फंड को रिलीज करने के मामले पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने 16 दिसंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ेंः कोरोना मरीजों के घर के बाहर न लगाए जाएं पोस्टर : दिल्ली हाईकोर्ट


'लोगों को मूलभूत जरूरतों से नहीं रखा जा सकता वंचित'

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से उठाए गए कदम पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं, हम इस मामले पर अलग से विचार करेंगे. कोर्ट ने बकाया सैलरी के मामले को लटकाए रखने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को फटकार लगाते हुए कहा कि त्योहारों का मौसम है, कर्मचारियों को अपने परिवारों को देखना है. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम के कर्मचारियों को अपने परिवार की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. पैसों की कमी सब जगह है, लेकिन इस वजह से इन लोगों को उनकी मूलभूत जरूरतों से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

पढ़ें: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर ने तोड़ा रिकॉर्ड, एक्यूआई 450 के पार

'दिल्ली सरकार ने 98 करोड़ 35 लाख रुपये दिये'

बता दें कि पिछले 29 सितंबर को सुनवाई के दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कोर्ट को बताया था कि उसने सितंबर महीने की शुरुआत में ही शिक्षकों की जून महीने की सैलरी जारी कर दी थी. उसके बाद कोर्ट ने बाकी महीने की सैलरी भी जारी करने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने सितंबर और अक्टूबर की शिक्षकों की सैलरी देने के लिए पिछले 3 सितंबर को ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 98 करोड़ 35 लाख रुपये जारी कर दिये थे.

नई दिल्ली : राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली जल्द ही देश की कोरोना राजधानी बन सकती है. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोरोना वायरस दिल्ली पर पूरी तरह हावी हो चुका है. कोर्ट ने ये टिप्पणी उत्तरी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों, रिटायर्ड इंजीनियर्स और सफाईकर्मियों की बकाया सैलरी देने के मामले पर सुनवाई के दौरान की.

HC ने केंद्र से पूछा- बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए

राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने पूछा कि उसके आदेश के बावजूद इस समस्या के समाधान के लिए बुलाई गई बैठक में केंद्र की ओर से क्यों कोई शामिल नहीं हुआ? कोर्ट ने तीनों नगर निगमों और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो सैलरी के लिए फंड को रिलीज करने के मामले पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने 16 दिसंबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ेंः कोरोना मरीजों के घर के बाहर न लगाए जाएं पोस्टर : दिल्ली हाईकोर्ट


'लोगों को मूलभूत जरूरतों से नहीं रखा जा सकता वंचित'

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से उठाए गए कदम पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं, हम इस मामले पर अलग से विचार करेंगे. कोर्ट ने बकाया सैलरी के मामले को लटकाए रखने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को फटकार लगाते हुए कहा कि त्योहारों का मौसम है, कर्मचारियों को अपने परिवारों को देखना है. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम के कर्मचारियों को अपने परिवार की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. पैसों की कमी सब जगह है, लेकिन इस वजह से इन लोगों को उनकी मूलभूत जरूरतों से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

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'दिल्ली सरकार ने 98 करोड़ 35 लाख रुपये दिये'

बता दें कि पिछले 29 सितंबर को सुनवाई के दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने कोर्ट को बताया था कि उसने सितंबर महीने की शुरुआत में ही शिक्षकों की जून महीने की सैलरी जारी कर दी थी. उसके बाद कोर्ट ने बाकी महीने की सैलरी भी जारी करने का आदेश दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने सितंबर और अक्टूबर की शिक्षकों की सैलरी देने के लिए पिछले 3 सितंबर को ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 98 करोड़ 35 लाख रुपये जारी कर दिये थे.

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