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Delhi Liquor Scam: सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित, पत्नी से कर सकेंगे वर्चुअल बात - सिसोदिया पत्नी से कर सकेंगे वर्चुअल बात

दिल्ली HC ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि कोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने संबंधित जेल अधीक्षक को उनकी बात पत्नी से वर्चुअल कराने का निर्देश दिया है.

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Published : May 11, 2023, 3:46 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की CBI केस में जमानत याचिका पर गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने संबंधित जेल अधीक्षक को यह भी निर्देश दिया कि जमानत याचिका के निस्तारण तक सिसोदिया और उनकी पत्नी के बीच हर वैकल्पिक दिन को दोपहर 3-4 बजे के बीच वीसी बैठक सुनिश्चित करें. अदालत सिसोदिया की पत्नी की बीमारी के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर भी फैसला करेगी.

सिसोदिया ने सबूत मिलने का दिया था तर्क: सिसोदिया आबकारी घोटाला में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें 31 मार्च को सीबीआई मामले में विशेष न्यायाधीश ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. उन्हें हाल ही में कोर्ट ने ईडी मामले में भी जमानत देने से मना कर दिया था. सिसोदिया ने नियमित जमानत की मांग करते हुए पहले की सुनवाई में तर्क दिया था कि शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई को उनके पास से पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला है और उनके खिलाफ आरोप संभावित हैं.

सिसोदिया की जमानत याचिका का एजेंसी ने किया था विरोध: सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने कहा कि इस मामले में एक गहरी जड़ वाली और बहुस्तरीय साजिश शामिल है. जिसमें सिसोदिया जो कथित तौर पर जांच के दौरान असहयोगी और टालमटोल करने वाले रहे हैं. सिसोदिया कार्यप्रणाली का पता लगाने की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं. सीबीआई ने कहा कि उच्च पद पर आसीन आप पार्टी के सहयोगी तथ्यात्मक रूप से गलत दावे करते रहते हैं कि सिसोदिया एक राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं और जांच को प्रभावित कर रहे हैं.

26 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे सिसोदिया: सीबीआई ने आठ घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद आप नेता को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया था. जांच एजेंसी का मानना है कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं. सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया.

निजी कंपनियों को लाभ देने का सिसोदिया पर आरोप: सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया और अन्य ने लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर को अनुचित लाभ देने के इरादे से सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना 2021-22 की आबकारी नीति के बारे में सिफारिश करने और निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दूसरी ओर ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12 प्रतिशत का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी.

ये भी पढ़ें: LG vs Delhi Govt: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से केजरीवाल ही दिल्ली के बॉस, एलजी मानें सरकार की सलाह

इसने कहा है कि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के कार्यवृत्त में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था. एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि एक साजिश थी, जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था. एजेंसी के मुताबिक नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे था.
ये भी पढ़ें: Kejriwal Calls Meeting: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद CM केजरीवाल ने दिल्ली सचिवालय में बुलाई अहम बैठक

नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की CBI केस में जमानत याचिका पर गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने संबंधित जेल अधीक्षक को यह भी निर्देश दिया कि जमानत याचिका के निस्तारण तक सिसोदिया और उनकी पत्नी के बीच हर वैकल्पिक दिन को दोपहर 3-4 बजे के बीच वीसी बैठक सुनिश्चित करें. अदालत सिसोदिया की पत्नी की बीमारी के आधार पर अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका पर भी फैसला करेगी.

सिसोदिया ने सबूत मिलने का दिया था तर्क: सिसोदिया आबकारी घोटाला में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें 31 मार्च को सीबीआई मामले में विशेष न्यायाधीश ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. उन्हें हाल ही में कोर्ट ने ईडी मामले में भी जमानत देने से मना कर दिया था. सिसोदिया ने नियमित जमानत की मांग करते हुए पहले की सुनवाई में तर्क दिया था कि शराब नीति घोटाला मामले में सीबीआई को उनके पास से पैसे के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला है और उनके खिलाफ आरोप संभावित हैं.

सिसोदिया की जमानत याचिका का एजेंसी ने किया था विरोध: सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने कहा कि इस मामले में एक गहरी जड़ वाली और बहुस्तरीय साजिश शामिल है. जिसमें सिसोदिया जो कथित तौर पर जांच के दौरान असहयोगी और टालमटोल करने वाले रहे हैं. सिसोदिया कार्यप्रणाली का पता लगाने की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं. सीबीआई ने कहा कि उच्च पद पर आसीन आप पार्टी के सहयोगी तथ्यात्मक रूप से गलत दावे करते रहते हैं कि सिसोदिया एक राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं और जांच को प्रभावित कर रहे हैं.

26 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे सिसोदिया: सीबीआई ने आठ घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद आप नेता को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया था. जांच एजेंसी का मानना है कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं. सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया.

निजी कंपनियों को लाभ देने का सिसोदिया पर आरोप: सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया और अन्य ने लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर को अनुचित लाभ देने के इरादे से सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना 2021-22 की आबकारी नीति के बारे में सिफारिश करने और निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दूसरी ओर ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12 प्रतिशत का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी.

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इसने कहा है कि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के कार्यवृत्त में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया था. एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि एक साजिश थी, जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था. एजेंसी के मुताबिक नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे था.
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