ETV Bharat / bharat

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट का केंद्र को नोटिस

14 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनकी शादी की अनुमति नहीं दी. यहां तक कि याचिकाकर्ताओं को एसडीएम के दफ्तर में प्रवेश नहीं करने दिया गया.

author img

By

Published : Jul 6, 2021, 11:22 AM IST

Updated : Jul 6, 2021, 1:00 PM IST

delhi high court issues notice to the centre over foreign marriage act
विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होने वाली शादियों को संविधान के मुताबिक लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

यह याचिका अभिजीत अय्यर मित्रा ने दायर की है. दूसरी याचिका डॉक्टर कविता अरोड़ा और अंकिता खन्ना ने दायर की है. पिछले 8 जनवरी को कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया था. 14 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था.

14 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनकी शादी की अनुमति नहीं दी. यहां तक कि याचिकाकर्ताओं को एसडीएम के दफ्तर में प्रवेश नहीं करने दिया गया. उन्होंने कहा था कि नवतेज जोहार केस में समलैंगिक जोड़ों की गरिमा और निजता के अधिकार की बात कही गई है. उन्होंने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है.

गुरुस्वामी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने फॉरेन मैरिज एक्ट के तहत कांसुलेट से भी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था लेकिन वहां भी अनुमति नहीं दी गई. कांसुलेट ने कहा कि यह शादी दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं हो सकती है. कांसुलेट जनरल को नवतेज जोहार के फैसले के बारे में भी बताया गया लेकिन नवतेज जोहार का फैसला शादी के वर्तमान कानूनों पर लागू नहीं होता है. गुरुस्वामी ने कहा कि हाईकोर्ट ने हमेशा ही भेदभाव से बचाव किया है.

डॉक्टर कविता अरोड़ा और अंकिता खन्ना पिछले आठ सालों से एक साथ रहती आ रही हैं. डॉक्टर कविता अरोड़ा पेशे से साइक्रिएटिस्ट हैं जबकि अंकिता खन्ना पेशे से थेरेपिस्ट हैं. दोनों मेंटल हेल्थ एंड लर्निंग डिसेबिलिटीज फॉर चिल्ड्रेन एंड यंग एडल्ट्स नामक क्लिनिक के लिए एक टीम का हिस्सा हैं.

दोनों ने मांग की है कि उनकी शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत करने का दिशा-निर्देश दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के मैरिज अफसर को दिया जाए. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अरुंधति काटजू , गोविंद मनोहरनॉ, सुरभि धर और मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि दोनों की शादी होने से न केवल एक संबंध बनेगा बल्कि दोनों परिवार एक साथ होंगे. लेकिन बिना शादी हुए दोनों कानून के मुताबिक अलग-अलग हैं.

पढ़ें: आरोपी भागे तो मुठभेड़ का 'पैटर्न' अपनाए पुलिस- असम CM

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि संविधान की धारा 21 अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की छूट देता है. ये अधिकार समलैंगिक जोड़े पर भी वैसे ही लागू होता है जैसे असमान लिंग वाले जोड़े पर. यह अधिकार केवल शादी से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह गरिमा और बराबरी से साथ जीने के अधिकार का भी मामला है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होने वाली शादियों को संविधान के मुताबिक लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

यह याचिका अभिजीत अय्यर मित्रा ने दायर की है. दूसरी याचिका डॉक्टर कविता अरोड़ा और अंकिता खन्ना ने दायर की है. पिछले 8 जनवरी को कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया था. 14 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था.

14 अक्टूबर 2020 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनकी शादी की अनुमति नहीं दी. यहां तक कि याचिकाकर्ताओं को एसडीएम के दफ्तर में प्रवेश नहीं करने दिया गया. उन्होंने कहा था कि नवतेज जोहार केस में समलैंगिक जोड़ों की गरिमा और निजता के अधिकार की बात कही गई है. उन्होंने कहा था कि पूर्वी दिल्ली के एसडीएम ने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है.

गुरुस्वामी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने फॉरेन मैरिज एक्ट के तहत कांसुलेट से भी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था लेकिन वहां भी अनुमति नहीं दी गई. कांसुलेट ने कहा कि यह शादी दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं हो सकती है. कांसुलेट जनरल को नवतेज जोहार के फैसले के बारे में भी बताया गया लेकिन नवतेज जोहार का फैसला शादी के वर्तमान कानूनों पर लागू नहीं होता है. गुरुस्वामी ने कहा कि हाईकोर्ट ने हमेशा ही भेदभाव से बचाव किया है.

डॉक्टर कविता अरोड़ा और अंकिता खन्ना पिछले आठ सालों से एक साथ रहती आ रही हैं. डॉक्टर कविता अरोड़ा पेशे से साइक्रिएटिस्ट हैं जबकि अंकिता खन्ना पेशे से थेरेपिस्ट हैं. दोनों मेंटल हेल्थ एंड लर्निंग डिसेबिलिटीज फॉर चिल्ड्रेन एंड यंग एडल्ट्स नामक क्लिनिक के लिए एक टीम का हिस्सा हैं.

दोनों ने मांग की है कि उनकी शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत करने का दिशा-निर्देश दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के मैरिज अफसर को दिया जाए. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अरुंधति काटजू , गोविंद मनोहरनॉ, सुरभि धर और मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि दोनों की शादी होने से न केवल एक संबंध बनेगा बल्कि दोनों परिवार एक साथ होंगे. लेकिन बिना शादी हुए दोनों कानून के मुताबिक अलग-अलग हैं.

पढ़ें: आरोपी भागे तो मुठभेड़ का 'पैटर्न' अपनाए पुलिस- असम CM

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि संविधान की धारा 21 अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की छूट देता है. ये अधिकार समलैंगिक जोड़े पर भी वैसे ही लागू होता है जैसे असमान लिंग वाले जोड़े पर. यह अधिकार केवल शादी से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि यह गरिमा और बराबरी से साथ जीने के अधिकार का भी मामला है.

Last Updated : Jul 6, 2021, 1:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.